एनएच 56: अरबों के घोटाले में एफआईआर नहीं, एनएचएआई को बख्शा

प्रमुख सचिव राजस्व के निर्देशों पर एनएच 56 बाईपास मुआवजा घोटाले में कार्रवाई का दौर शुरू

संदेश वाहक डिजिटल डेस्क लखनऊ। एनएच 56 से जुड़े बाईपास के मुआवजा वितरण में अरबों के घोटाले की कलंक कथा अफसरों ने लिखी है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के सख्त रुख के बाद अमेठी डीएम ने जांच रिपोर्ट शासन भेजी। जिसके बाद शासन के आदेश पर कार्रवाई का दौर भले शुरू हो गया है। लेकिन अभी भी कार्रवाई का हंटर सिर्फ छोटे अफसरों पर चल रहा है।

एनएचएआई के बड़े अफसरों समेत तत्कालीन अमेठी डीएम की भूमिका पर क्या कार्रवाई होगी। ये बताने को कोई अफसर तैयार नहीं है। सिर्फ यही नहीं अरबों के घोटाले के बावजूद जिला प्रशासन ने एफआईआर कराना भी नहीं जरुरी समझा। एफआईआर दर्ज होने के बाद बड़े अफसरों तक जांच की आंच आना तय थी।

तीन कानूनगो और छह लेखपालों को चार्जशीट जारी

प्रमुख सचिव राजस्व के निर्देशों के बाद अमेठी डीएम राकेश कुमार मिश्रा ने तीन कानूनगो और छह लेखपालों को चार्जशीट जारी की है। वहीं तत्कालीन तहसीलदार यशवंत राव और दो नायब तहसीलदारों विद्या सागर मिश्र और श्रद्धा पांडेय के खिलाफ भी राजस्व परिषद को रिपोर्ट भेजी गई है। तत्कालीन एसडीएम रहे पीसीएस अशोक कनौजिया के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी शुरू हुई है। जबकि रिटायर हो चुके पीसीएस अधिकारी आरडी राम के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए शासन ने लिखा था।

प्रशासन की रिपोर्ट में 11 अन्य कर्मचारी भी दोषी करार दिए गए हैं। करीब 384 करोड़ रुपये के इस खेल में एनएचएआई के अफसर भी बराबर के दोषी हैं। तत्कालीन सक्षम अधिकारी भूमि अध्याप्ति द्वारा मुआवजे की राशि तय करने के बाद उसे स्वीकृति देने के लिए एनएचएआई अफसरों के पास भेजा गया था। जिस पर एनएचएआई अफसरों ने स्वीकृति प्रदान करते हुए राशि जारी कर दी।

एनएचएआई के अफसरों ने इस बात की समीक्षा तक नहीं की कि राजस्व विभाग के अफसरों द्वारा निर्धारित मुआवजा नियमानुसार है भी या नहीं। एनएचएआई की ओर से लिखित स्वीकृति व धनराशि आवंटित होते ही अफसरों ने आनन-फानन उसी राशि (वास्तविक मुआवजा 180 करोड़ रुपये के बजाए 564 करोड़ रुपये) का वितरण कर दिया। एनएचएआई के अफसरों ने कई साल तक किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं की। चार साल तक एनएचएआई के अफसर चुप्पी साधे रहे। इसके बावजूद प्रशासन और एनएचएआई ने एफआईआर दर्ज कराना भी जरुरी नहीं समझा।

सुलतानपुर में घोटाले पर हुई थी सीबीआई जांच की सिफारिश

2018 में सुलतानपुर में भी एनएच-56 के जमीन अधिग्रहण में 200 करोड़ का घोटाला सामने आया था। नैशनल और स्टेट हाइवे न होने के बावजूद 38 गांवों के करीब 6 हजार काश्तकारों को करीब 200 करोड़ से ज्यादा का भुगतान कर दिया गया था। तत्कालीन डीएम विवेक ने शासन से सीबीआई जांच तक की सिफारिश की थी। लेकिन सीबीआई जांच आज तक नहीं हुई।

ईडी ने भी दिया दखल, एफआईआर क्यों नहीं हुई दर्ज

अरबों के घोटाले के मामले में ईडी ने भी पिछले वर्ष दिसंबर में डीएम को पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी थी। सूत्रों के मुताबिक ईडी ने ये भी पूछा है कि इतने बड़े घोटाले की एफआईआर क्यों नहीं हुई। ये मामला राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की वित्तीय क्षति से जुड़ा है, इसलिए इसमें ईडी ने दखल दिया था। एफआईआर होने के बाद ईडी भी मनीलांड्रिंग की जांच कर सकती थी।

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