एयर इंडिया के प्लेन में आग लगती तो एक भी पैसेंजर जिंदा न बचता, पायलट ने ऐसे बचाई जान

कोझीकोड. केरल में शुक्रवार को हुए प्लने हादसे में पायलट दीपक साठे की जान चली गई, लेकिन मरते दम तक उन्होंने अपने अनुभव और सूझबूझ से 169 पैसेंजर्स को बचा लिया। अगर हादसे के बाद प्लेन में आग लग जाती तो बहुत से लोग मारे जाते। दीपक के कजिन और दोस्त नीलेश साठे ने फेसबुक पोस्ट में बताया कि आखिर कैसे अनुभवी पायलट ने प्लेन को आग लगने से बचाया। एविएशन मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने मृतकों के परिवारों को 10-10 लाख रुपए और गभीर घायलों को 2-2 लाख रुपए मुआवजा देने का ऐलान किया है। जिन्हें मामूली चोटें आई हैं उन्हें 50-50 हजार रुपए दिए जाएंगे। वहीं, केरल सरकार ने भी मृतकों के परिवारों को 10-10 लाख रुपए मुआवजा देने का ऐलान किया है।
इस तरह से पायलट ने आग लगने से बचाया
बता दें, प्लेन के लैंडिंग गियर्स ने काम करना बंद कर दिया था। दीपक ने एयरपोर्ट के तीन चक्कर लगाए, ताकि फ्यूल खत्म हो जाए। तीन राउंड के बाद प्लेन लैंड करवा दिया। उसका राइट विंग टूट गया था। प्लेन क्रैश होने से ठीक पहले इंजन बंद कर दिया। इसलिए एयरक्राफ्ट में आग नहीं लगी।
एक प्लेन क्रैश में बाल बाल बचे थे दीपक
पायलट के दोस्तों ने फेसबुक पर लिखा, दीपक को 36 साल का एक्सपीरियंस था। वे एनडीए पासआउट और स्वॉर्ड ऑफ ऑनर अवॉर्डी थे। 2005 में एयर इंडिया जॉइन करने से पहले 21 साल तक एयरफोर्स में रहे थे। 6 महीने अस्पताल में भर्ती रहे, तब लोगों ने सोचा कि शायद दोबारा प्लेन नहीं उड़ा पाएंगे
नीलेश ने बताया, 1990 के दशक में दीपक एक प्लेन क्रैश में बच गए थे। उनकी खोपड़ी में कई चोटें आई थीं। 6 महीने अस्पताल में भर्ती रहे थे। किसी ने सोचा नहीं था कि अब दोबारा प्लेन उड़ा पाएंगे, लेकिन उनकी स्ट्रॉन्ग विल पावर और प्लेन उड़ाने के जज्बे की वजह से यह संभव हो पाया, जो एक चमत्कार जैसा था।
इस मिशन में शामिल होने पर गर्व महसूस कर रहे थे दीपक
दोस्त बताते हैं, ‘पिछले हफ्ते उन्होंने मुझे कॉल किया था और हमेशा की तरह खुश थे। मैंने वंदे भारत मिशन के बारे में बात की। वे अरब देशों में फंसे भारतीयों की वतन वापसी करवाने से खुश थे। मैंने पूछा- दीपक कई देश पैसेंजर्स को एंट्री नहीं दे रहे तो क्या आप खाली एयरक्राफ्ट उड़ा रहे हैं? उन्होंने कहा- बिल्कुल नहीं। हम उन देशों के लिए फल, सब्जियां और दवाएं ले जाते हैं। एयरक्राफ्ट कभी खाली नहीं जाते। ये मेरी उनसे आखिरी बातचीत थी।’