अस्तित्व मिटाने का प्रयास, फिर भी हुई सत्य की जीत: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

अयोध्या (संदेशवाहक न्यूज़ डेस्क)। रामकाज कीन्हें बिना मोहि कहां विश्राम। सिया वर राम चन्द्र की जय। यह उद्गार हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी के। वे अयोध्या राम जन्मभूमि परिसर में राम मंदिर निर्माण की नींव रखने के बाद साधु-सन्तों व देश को सम्बोधित कर रहे थे।
चांदी की कन्नी व फावड़े से रखी गई मन्दिर नींव की 9 शिलाएं
प्रधानमंत्री मोदी ने निर्धारित मुहूर्त दोपहर 12:44 पर राम मंदिर निर्माण के लिए पूजन व नींव की 9 शिलाओं को वैदिक मंत्रों के बीच चांदी की कन्नी व फावड़े से नींव में रखीं। पूजन के बाद अपने सम्बोधन में कहा कि वर्षो टेंट में रहे भगवान राम के भव्यमन्दिर निर्माण संघर्षों की देन है। यहां तक कि अस्तित्व को मिटाने का ही कुत्सित प्रयास किया गया। स्वतंत्रता आंदोलन से आज तक कई पीढ़ियों ने इसके लिए अपना सब कुछ समर्पित किया है। जिस प्रकार देश के कोने कोने से आजादी के लिए हुंकार हुई। कई देशभक्त शहीद हुए। ठीक उसी प्रकार राम मंदिर निर्माण के लिए कई सदियों तक, कई कई पीढ़ियों के एक निष्ठ प्रयास से यह सब सम्भव हुआ है। सभी का राम मंदिर के लिए तन-मन अर्पण, समर्पण, संघर्ष व बलिदान का संकल्प था। प्रधानमंत्री ने संघर्षों के साथ देश की राजनीतिक पार्टियों को इशारे में आड़े हाथों लिया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के अस्तित्व को ही मिटाने का प्रयास किया गया। लेकिन अब यही राम मंदिर राष्ट्रीय भावना का, करोड़ों लोगों के संकल्प व संघर्ष का प्रतीक बनेगा।
राम मंदिर बनने के बाद बदल जाएगी अयोध्या व आसपास की अर्थव्यवस्था
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह विश्वस्तरीय मन्दिर अयोध्या ही नहीं आसपास के जिलों की अर्थ तन्त्र को बदल देगा। लोगों को तमाम प्रकार के स्वरोजगार उपलब्ध हो जाएंगे क्योंकि पूरी दुनिया के लोग प्रभु श्रीराम, माता जानकी, वीर बजरंगी का दर्शन करने सपरिवार आएंगे। जिसका सीधा असर यहां की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा की जो-जो स्थल श्रीराम से सम्बंधित हैं सभी को राम सर्किट से जोड़ा जा रहा है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की नीतियों को समेकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करते हुए भगवान राम की मर्यादा के अनुरूप ही श्रीराम मंदिर न्यायप्रिय भारत की अनुपम भेंट है। कोरोना संकट के बीच राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया जो कि आस्था, संकल्प का प्रेरणा देता रहेगा।
पीएम ने कहा कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है। जैसे भगवान राम का भील, निषाद, नर बानर आदि ने धर्म युद्ध में सहयोग कर जीत दिलाई। ठीक उसी प्रकार इस मंदिर के निर्माण में हर किसी का योगदान मिल रहा है। “राम सबके, सब में राम” भारतीय संस्कृति की द्योतक है। राम मंदिर भी अंनतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देता रहेगा। करीब 45 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने कई बार भगवान राम की मर्यादाओं का ध्यान दिलाया। कहा इतना होते हुए भी अभी बहुतों को विश्वास ही नही हो रहा कि राम मंदिर निर्माण शुरू हो गया है। आज भारत ही नही पूरे विश्व मे आनंद ही आनंद है।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने वैभवशाली अयोध्या के निर्माण का संकल्प दोहराया। कहा कि “राम काज कीन्हें बिना मोहि कहां विश्राम”। सभा में भारत वर्ष की 36 परम्पराओं के सन्त महात्माओं के अलावा 175 आमंत्रित लोग तथा श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास जी महाराज, राज्यपाल आनंदी बेन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत समेत तमाम लोग मौजूद रहे।