हमेशा विवादों में रही अयोध्या का दिखा स्वर्णिम पल, भूमि पूजन के बाद नए इतिहास की ओर ‘राम मंदिर’

लखनऊ (संदेशवाहक न्यूज़ डेस्क)। हमेशा मंदिर मस्जिद के विवादों में दिखने वाली अयोध्या नगरी के लिए पांच अगस्त 2020 की तारीख स्वर्णिम अक्षरों में लिखी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भूमि पूजन के बाद अयोध्या एक नए इतिहास की ओर होगी। क्योंकि अब आज के बाद अयोध्या में कभी अब राष्ट्रीय स्तर पर मंदिर मस्जिद का विवाद नहीं होगा। प्रधानमंत्री द्वारा मन्दिर की आधार शिला रखने में बाद देश के हिंदुओं के दिलों में खुशी की लहर देखने को मिली। 492 साल पुराने अयोध्या में मंदिर मस्जिद के विवाद पर कई उतार चढ़ाव देखने रहे। लेकिन साढ़े तीन दशक की राजनीति ने अयोध्या को एक नए मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया जो गौरव से परिपूर्ण रहा। पांच अगस्त को मंदिर निर्माण के लिए रखी गई आधारशिला के बाद भारतीय राजनीति के इतिहास का एक अध्याय भी पूरा हो गया।
भूमि पूजन के बाद नए इतिहास की ओर अयोध्या
देश को मिली आजादी के बाद 1949 में पहली बार अयोध्या की राजनीति शुरू हुई। तब विवादित ढांचे के बाहर चबूतरे पर मंदिर निर्माण मि कवायद शुरू हुई। 22-23 दिसंबर को विवादित स्थल पर राम, सीता, लक्ष्मण की मूर्ति रखी गई। जिसके बाद अयोध्या पर राजनीति तूल पकड़ने लगी। अयोध्या के विवाद पर दूसरा पड़ाव 1989 में देखने को मिला। जब विश्व हिंदू परिषद ने विवादित ढांचे के बाहर मंदिर का शिलान्यास किया गया। राममंदिर आंदोलन के आगे तत्कालीन केंद्र की राजीव ग़ांधी सरकार को पीछे हटना पड़ा। मंडल के साथ कमंडल की राजनीति करके भाजपा ने अयोध्या को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने में कोई कसर नही छोड़ी। 1990 भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से राम मंदिर के आंदोलन को हवा देने के लिए रथ यात्रा निकाली।
उत्तर प्रदेश में तत्कालीन समाजवादी पार्टी के मुखिया व मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव ने कार सेवको पर गोली चलवाकर आंदोलन को रोक दिया। लेकिन 1991 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने छूट दी तो विहिप कार्यकर्ता कारसेवक पुरम पहुंच गए। इस उठापटक के बाद तीसरा पड़ाव 1992 में देखने को मिला जब 6 दिसंबर को विवादित ढांचा गिरा दिया गया। देश को साम्प्रदायिक दंगो का दंश झेलना पड़ा। तब कल्याण सिंह ने अयोध्या विवाद की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 30 सितंबर 2010 की तारीख को अयोध्या चौथे पड़ाव पर पहुंच गई जब हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया। लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो पांचवा पड़ाव 9 नवम्बर 2019 में देखने को मिला। जब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर अपना ऐतीहसिक फैसला मंदिर पक्ष में सुनाया। अब 5 अगस्त 2020 को अयोध्या छठे पड़ाव व नए में पहुंच गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शिलान्यास किया। मंदिर निर्माण की राह के सारे रोड़े हमेशा के लिए खत्म हो गए। विवाद खत्म हो जाने के बाद अयोध्या अब एक नए अध्याय के साथ नए इतिहास की गणना करेगी।
घरों में दीवाली मंदिरों में भजन
पांच अगस्त को मन्दिर के निर्माण कार्य शुरू होने के बाद शाम को समूचा देश दिवाली मनाते दिखा। अयोध्या नगरी से लेकर देख के हर राज्यों में दिवाली से नजारा दिखा। लोगों ने दीवाली की तरह अपने घरों को दीपों से सजा दिया। मंदिरों में भजन कीर्तन के साथ सुंदर कांड का पाठ करते हुए लोग दिखे। जय श्री राम के नारे की गूंज गली मुहल्ले में सुनाई दी।
अयोध्या रामजन्म भूमि विवाद के आंदोलन में अनेकों नेताओं की अहम भूमिका रही
राम मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाने में लालकृष्ण आडवाणी , मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह प्रवीण तोगड़िया, अशोक सिंघल, उमा भारती, ऋतंभरा, विनय कटियार, व इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे लोग रहे जो कारसेवक के रूप में अपनी भूमिका से सदैव याद किये जाते रहेगें इनमें प्रमुख नाम बैरागी अभिराम दास, देवरहा बाबा, मोरोपन्त पिंगले, महंत अवैद्यनाथ, श्रीश चंद्र दीक्षित, विष्णु हरि डालमिया, दाऊ दयाल खन्ना, कोठारी बन्धु के हैं। कोठारी बन्धुओं की हत्या हो चुकी है। बीते काल में कोठारी बंधुओं की हत्या ने देश भर के हिंदुओं को आक्रोशित कर दिया था। दोनों को रामजन्मभूमि आंदोलन में नायकों और शहीदों का दर्जा प्राप्त हुआ। जैसे अनेक नेताओ ने अहम भूमिका निभाई। आज इन्ही नेताओं की बदौलत अयोध्या आज नए इतिहास के मुहाने पर खड़ी हो सकी।