बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे विवादों से घिरता जा रहा, मुआवजा मांगने पर मिलती है हाथ-पैर तोड़ने की धमकी

हमीरपुर (संदेशवाहक न्यूज़ डेस्क)। बुंदेलखंड वासियों को सड़क मार्ग की हाईटेक व्यवस्था देकर देश के विभिन्न हिस्सों में जोड़ने के लिए केंद्र सरकार (Central government) द्वारा बनाया जा रहा। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand expressway) लगातार विवादों से घिरता जा रहा है। एक ओर जहाँ इस एक्सप्रेस-वे में लगने वाली लाखों बोरी सरकारी सीमेंट सरेआम बाजारों में बेंची जा रही वहीं दूसरी ओर किसानों की अधिग्रहित कृषि योग्य भूमि (Arable land) से मिलने वाले मुआवजे स्वरूप पैसा ठेकेदारों तथा अधिकारियों (Contractors and officers) की सांठगांठ से बंदरबांट किया जा रहा है। जब किसान अपना हक मांगता है तो उसे हाथ-पैर तोड़ने एवं जान से मार देने की धमकी देकर भगा दिया जाता है। सत्ता की हनक से मजबूर किसान दरदर की ठोकरें खाता, अनशन एवं धरना प्रदर्शन के लिए मजबूर हो रहा है।
ठेकदारों से परेशान है गाँववाले
ऐसा ही मामला मौदहा कोतवाली क्षेत्र (Maudha Kotwali Area) के गांव रीवन का प्रकाश में बीते पखवाड़े 1 जुलाई को सामने आया था। यहाँ के किसान राममिलन पुत्र ब्रह्मस्वरूप तिवारी ने एक्सप्रेसवे के ठेकेदार एवं अधिकारियों से परेशान होकर 1 जुलाई से तहसील परिसर में अनशन शुरू किया था। लगातार उसकी फरियाद को अनदेखी कर रहे जिम्मेदारों के खिलाफ बीते 6 जुलाई से राममिलन ने आमरण अनशन (Death Strike) शुरू कर दिया। उसका कहना है कि वो लोग चार भाई हैं और चारों भाईयों के हिस्से में 5-5 बीघा जमीन है। खेतों के पास से बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे निकला है और इसका निर्माण जारी है।
- Advertisement -
10 लाख की जगह मिले मात्र पच्चीस हजार
राममिलन ने बताया है कि एक्सप्रेस-वे के ठेकेदार ने उसके खेत की मिट्टी लेने के लिए 35 से 60 फुट लम्बाई-चौड़ाई एवं 8 फुट गहराई की बात कहकर दस लाख (10 Lakh) रुपए देने की बात कही थी। इतना ही नहीं नौकरी देने का भी आश्वासन दिया था। बात होने पर ठेकेदार ने मिट्टी खुदाई करा ली और जब पैसा देने की बात आयी तो मात्र पच्चीस हजार रुपये (25 Thousand) दिये तथा बाद में और पैसा देने का भरोसा देता रहा है। कुछ दिन बीतने के बाद जब वह पैसा मांगने ठेकेदार के पास पहुंचा तो उसने पैसा देने से साफ मना कर दिया तथा दुबारा आने पर हाथपैर तोड़ने की धमकी देकर भगा दिया।
अधिकारियों की मनमानी पड़ रही है भारी
किसान राममिलन (Kisan Ramamilan) ने बताया कि बीते साल बाइक एक्सीडेंट में उसका एक पैर खराब हो चुका है, जिसके लिए डाक्टरों ने पैसों का इंतजाम करने को कहा था ताकि पैर का आपरेशन (Operation) हो सके। इसीलिए उसने अपने उपजाऊ खेत की मिट्टी बेंची थी लेकिन एक्सप्रेस-वे के ठेकेदार और सम्बंधित अधिकारियों की मनमानी ने उसे बरबाद कर दिया है। राममिलन का कहना है कि उसने इस मामले की शिकायत जिले के आला अधिकारियों सहित एक्सप्रेस-वे के अधिकारियों से भी की है लेकिन उसकी कहीं सुनवाई नहीं हुई है।
अब राममिलन थक-हारकर वह अनशन तक के लिए बाध्य हो गया इस पर भी अधिकारियों की ओर से लगातार अनदेखी होते देख मजबूर होकर उसने आमरण अनशन शुरू किया है।