छह माह से बंद है कोचिंग सेंटर, सेंटर चलाने वाले आर्थिक भुखमरी की कगार पर

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कन्नौज (संदेशवाहक न्यूज़ डेस्क)। लॉकडाउन लगने से पहले से कोचिंग सेंटर बंद हो गए थे क्योंकि छोटी कक्षा से लेकर बड़ी कक्षा तक परीक्षा हो रही थी। होली के तत्काल बाद लॉकडाउन लग गया जिसके कारण कोचिंग सेंटरों के संचालक भुखमरी के कगार पर पहुँच गए।

टॉपर्स कोचिंग सेंटर के संचालक फ़ैज़ सिद्दीकी का कहना है कि बोर्ड परीक्षा के बाद से सभी तरह की कोचिंग बंद है। छह माह बीत जाने के बाद भी सरकार का कोचिंग संचालकों के प्रति रवैया उदासीन है। जिससे उनके परिवार भुखमरी की कगार पर आ गए है। उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार कम से कम 15 बच्चों के बैच को सशर्त पढ़ाने की इजाजत दे ताकि उनका परिवार भुखमरी से बच सके।

एक अन्य कोचिंग संचालक संजय द्विवेदी का कहना है कि सरकारी तंत्र नहीं चाहता कि प्राइवेट शिक्षक जीवित रहे। प्राइवेट शिक्षक की दशा काफी सोचनीय हो गयी है। अपनी मेहनत से जो भी पैसा उनके पास था वो खर्च हो गया है। द्विवेदी ने कहा कि सरकार को 15-20 बच्चों के बैच को पढ़ाने की अनुमति देनी चाहिए ताकि उनका रोजी रोटी चलती रहे।

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ऑनलाइन क्लासेज में बच्चों के द्वारा न फीस मिलती हैं और न ही पढ़ाई ढंग से होती है। एक अन्य कोचिंग के संचालक हरीनगर के अंकित राठौर का कहना है कि कोरोना काल मे सबसे ज्यादा यदि कोई प्रभावित हुआ है तो वो प्राइवेट शिक्षक है। प्राइवेट शिक्षक की ओर सरकार ने आंख मूंद रखी है। छह महीने से कोचिंग बन्द होने से उन्हें किराया भी देना पड़ रहा है और अपना गुजर बसर करना पड़ रहा है अब सारे संचालक भुखमरी की कगार पर है।

उन्होंने सरकार से पूछा है क्या प्राइवेट शिक्षक जब आत्महत्या करने लगेंगे तभी उन पर ध्यान दिया जाएगा।

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