दुधवा में मिली आर्किड की दुर्लभ प्रजाति यूलोफिया आब्टयूसा

पलियाकलां खीरी। दुधवा टाइगर रिजर्व में आर्किड की अत्यंत दुर्लभ प्रजाति यूलोफिया आब्टयूसा मिली है। अलग—अलग क्षेत्रों में घास के मैदानों के अनुश्रवण कार्य के कार्य में लगी टीम को एक अत्यंत दुर्लभ वनस्पति को खोजने में सफलता प्राप्त हुई। इस दुर्लभ वनस्पति को सामान्यता ग्राउंड आर्किड के नाम से जाना जाता है।
इसका वानस्पतिक नाम यूलोफिया आब्ट्यूसा है। यह आर्किड की एक प्रजाति है एवं आर्केडेसी परिवार की सदस्य है। इस दुर्लभ वनस्पति को दुनिया के विभिन्न देशों में संकटग्रस्त वनस्पतियों एवं जीव जंतुओं के अंतरराष्ट्रीय व्यापार के चलते सृजित सभा साइटिस की अनुसूची-2 में रखा गया है। आईयूसीएन की रेड डाटा लिस्ट में भी इसे अत्यंत संकटापन्न क्रिटिकली एंडेंजर्ड प्रजाति के तौर पर शामिल किया गया है।
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दुधवा टाइगर रिजर्व में इस वनस्पति की खोज में लगे दल में संजय कुमार मुख्य वन संरक्षक एवं फील्ड डायरेक्टर दुधवा टाइगर रिजर्व खीरी फजलुर्रहमान सदस्य कर्तनिया घाट फाउंडेशन डा. मुदितगुप्ता समन्वयक विश्व प्रकृति निधि भारत एवं यश पाठक सम्मिलित थे। पर्यावरणीय विज्ञान प्रबंधन विभाग उत्तर दक्षिण विश्वविद्यालय ढाका बांग्लादेश के वनस्पति शास्त्री मोहम्मद शरीफ हुसैन सौरभ वैकाल टील प्रोडक्शन ढाका बांग्लादेश की रोनाल्ड हालदार एवं रायल वोटोनेकिल गार्डन इंग्लैंड के आंद्रे शूट मैन ने अपने संयुक्त शोध पत्र में यह उल्लेख किया है कि यह वनस्पति बांग्लादेश में वर्ष 2008 व 2014 में देखी गयी। परंतु वहां इसके फूलों का रंग अलग है।
यह एक ऐसी प्रजाति है। जो मौसमी तौर पर जल प्लावित घास के मैदानों में उगती है। इस वनस्पति को देखे जाने के संबंध में पुराने रिकार्ड में उतरी भारत एवं नेपाल में इसके पाए जाने का उल्लेख मिलता है। यद्यपि वर्तमान में इसके भारत अथवा नेपाल में पाए जाने के संबंध में कोई विश्वसनीय प्रमाण उपलब्ध नहीं है। नवीनतम संग्रह दीपक 1902 का है। जो यह साबित करता है कि यह अत्यंत ही दुर्लभ वनस्पति प्रजाति है।
इस खोज के संबंध में जानकारी प्राप्त होने पर मो. शरीफ हुसैन सौरभ द्वारा डायरेक्टर दुधवा टाइगर रिजर्व मोबाइल नंबर पर जर्मनी से संपर्क करते हुए अत्यंत प्रसन्नता जाहिर की गयी साथ ही यह अवगत कराया है कि इस दुर्लभ प्रजाति का रिकॉर्ड पिछले 100 वर्षों से अधिक समय से देखने को नहीं मिला है। उनके द्वारा यह भी अवगत कराया गया है इसके फल संबंध में कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
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जब कि स्थानीय लोग बताते हैं कि उन्होंने उक्त वनस्पति में फल लगते हुए देखा है। उनके द्वारा यह भी आग्रह किया गया है उक्त वनस्पति का संरक्षण करते हुए उसकी तस्वीर भी प्राप्त कर ली जाए। तो यह एक उल्लेखनीय कार्य होगा। उपरोक्त शोधकर्ताओं को शोध पत्र में उल्लेख किया है। संग्रह में एच हार्मोन जी द्वारा बनाई गई एक अप्रकाशित पेंटिंग मौजूद है।
जो 9 जुलाई 1900 को बनाई गई थी एवं उसमें यह उल्लिखित है कि उक्त आर्किड का संग्रहण मध्य भारत के रायपुर जनपद छत्तीसगढ़ से किया गया है। पेंटिंग में दर्शाई गई आर्केड की तस्वीर में रंगों के मामलों में बांग्लादेश में देखे गए आर्केड से काफी समानता दृष्टिगोचर होती है। दुधवा टाइगर रिजर्व में उक्त आर्किड की प्रजाति का पाया जाना इस तथ्य का द्योतक है कि वहां के घास के मैदानों के स्वास्थ्य की दशा बेहतर है एवं उनका अच्छी तरह से संरक्षण किया जा रहा है।