मशहूर सर्जन पर मरीज के इलाज के दौरान लापरवाही का आरोप, परिजनों ने की कार्यवाही की मांग

बहराइच। मरीज के भाई नें कोतवाल को दी गयी तहरीर में शहर के एक बड़े सर्जन पर ऑपरेशन के दौरान लापरवाही का आरोप लगाया है। मरीज के भाई नें बताया कि गॉलब्लेडर के ऑपरेशन के दौरान सर्जन ने मेरे भाई का लिवर डैमेज कर दिया जिससे उसकी जान पर बन आई है। जबकि मशहूर सर्जन ने अपने ऊपर लगाए गये सभी आरोपों को निराधार बताया है। फिलहाल मरीज का इलाज लखनऊ के एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार विशाल श्रीवास्तव पुत्र सत्य नारायण श्रीवास्तव निवासी सलारगंज थाना दरगाह ने देहात कोतवाली में दिये गये प्रार्थनापत्र में कहा है कि मेरे दोनों पैरों से विकलांग भाई प्रमोद श्रीवास्तव उम्र 40 वर्ष के गॉलब्लेडर में पथरी हो गयी थी। जिसके लिये मैंने शहर के बद्रीप्रसाद मेमोरियल हॉस्पिटल के सर्जन डॉ0 सर्वेश शुक्ला से संपर्क किया। सर्जन ने बताया कि प्रमोद का ऑपरेशन करना पड़ेगा। जिसके लिये साढ़े पन्द्रह हजार खर्च आयेगा। मेरे पैसे जमा करने के बाद सर्जन नें ऑपरेशन शुरू किया। ऑपरेशन के दौरान अस्पताल का एक कर्मचारी आया और उसने हमें बताया कि आप के भाई की हालत काफी सीरियस है। उसके पेट में काफी खराबी है और उसके ब्लीडिंग नहीं रुक रही है। आप को अब दो लाख रुपये और जमा करने पड़ेंगे तब आगे का इलाज सम्भव होगा। इस पर मैंने उधार व्यवस्था कर पच्चीस हजार रुपये और जमा किये व सर्जन के आगे काफी रोया गिड़गिड़ाया की मेरे भाई का इलाज करिये। लेकिन सर्जन को कोई रहम नहीं आया।
उन्होंने मेरे भाई के इलाज के दौरान सारे कागजात रख लिये और हमे सिर्फ रेफर स्लिप पकड़ाकर लखनऊ जाने को कह दिया। भाई की हालत सीरियस देखकर हम सब आनन फ़ानन में लखनऊ लेकर भागे और एक प्राइवेट अस्पताल में भाई को दिखाया। वहाँ के डॉक्टर ने हमे बताया कि आपके भाई का ऑपरेशन के दौरान बहराइच के सर्जन ने लीवर डैमेज कर दिया है और पेट मे कपड़ा भी मिला है। मरीज के भाई ने दी गयी तहरीर में आगे कहा कि डॉ0 सर्वेश शुक्ला नें रुपये ठगने के लिये मरीज को मरणासन्न कर दिया। इनके विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कर सख्त कार्यवाही की जाय। इस संबंध में सर्जन डॉ0 सर्वेश शुक्ला का कहना है कि मरीज पथरी के ऑपरेशन के सिलसिले में आया था।
ऑपरेशन के दौरान पता लगा कि मरीज का गॉलब्लेडर लीवर से चिपका हुआ है। मैंने निष्ठापूर्वक इलाज किया। मरीज को हल्की ब्लीडिंग थी जिस पर मैंने मरीज के बैंडेड किया जो इलाज का एक हिस्सा है। मरीज दो तीन दिन में नार्मल हो जाता। मरीज के तीमारदारों ने दबाव बनवाकर जबरदस्ती ही उसे रेफर करवा लिया। मैंने डिस्चार्ज स्लिप में मरीज के इलाज का पूरा डायग्नोस और सारी जानकारी स्लिप में लिखकर दिया है। मुझपर लगाये गये सभी आरोप निराधार हैं। जबकि मामले में देहात कोतवाल का कहना है कि तहरीर मिली है। मामले की जांच कर आगे की कार्यवाही की जाएगी।