गोण्डा: सपेरों के लिए भी खास होता है सावन, ये है वजह

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गोण्डा। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि भगवान शिव सांपों की माला धारण करते हैं, इसलिये इस माह में सांपों को देखना भी शुभ है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सावन माह में सपेरों को भी खूब काम मिल जाता है। नगर क्षेत्र से लेकर ग्रामीण इलाकों में भी सपेरे सांपों को लेकर घूमते हैं, जिन्हें देखने के लिए शिवभक्तों की भारी भीड़ भी इकट्ठा होती है। इससे जहां सपेरों की आजीविका चलती है, वहीं श्रद्धालुओं की मुराद भी पूरी होती है।

जिले के कई क्षेत्रों में सावन माह में भगवान शिव की अराधना के साथ-साथ सांपों की भी पूजा की जाती है। इसी माह में नागपंचमी का त्यौहार भी पड़ता है, जिस दिन नागों की विशेष पूजा होती है। इसलिए जगह-जगह मन्दिरों में सपेरों को तरह-तरह के सांपों के साथ देखा जा सकता है। सपेरे इन सांपों का प्रदर्शन कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। लोगों की अटूट आस्था और खुद के भरण-पोषण को ध्यान में रखते हुए सपेरे मौत से भी नहीं डरते हैं। खतरनाक जहरीले सांपों को देखकर जहां लोगों की रूह कांप जाती है, वहीं सपेरे इन सांपों का बैखौफ होकर प्रर्दशन करते हैं। कोबरा जैसे खतरनाक सांपों से सपेरे केंचुए की तरह आंख मिचौली करते हैं। यदि किसी घर या ऐसे किसी सार्वजनिक स्थलों पर सांप निकलता है, तो सपेरों को ही बुलाया जाता है। वैसे तो सांपों को पालना अपराध है, लेकिन सपेरों की मानें तो इन्हें मारने से अच्छा पालना ही है।

खुद के साथ ही परिवार का पेट पालने के लिए सांपों को साथ लेकर सपेरे खतरों से खेलते हैं। सड़क किनारे आए दिन ऐसे सपेरे दिख जाते हैं, जो मामूली पैसों के लिए अपना जीवन दांव पर लगाते हैं। सपेरा रामरती बाबा ने बताया कि उसे सांप पकड़ने की कला उसके पूर्वजों से मिली है। सांपों का प्रर्दशन कर वह अपना व पूरे परिवार का पेट पालता है। उसने बताया कि सांपों की तलाश में वह जंगल, नालों के साथ साथ पहाड़ी इलाकों में घूमता है और जहरीले व खतरनाक सांपों को पकड़ता है।

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बाबा ने इस संवाददाता को काले, पीले व भूरे रंग के सांपों के साथ ही नाग व जहरीले बिच्छू भी दिखाए। सपेरा बाबा की मानें तो लोग समझते हैं कि सपेरे सांपों के दांत तोड़ देते हैं, जिससे उन्हें खतरा नहीं होता है। बाबा ने बताया कि सांपों के दांत अपने आप गिरते और निकल आते हैं। उन्हें अपने विष ग्रंथियों से जहर निकालने के लिए दांतों का ही सहारा लेना पड़ता है। उन्होंने बताया कि उसके पिता की मौत करतब दिखाते समय जहरीले कोबरा के काटने से हुई थी, लेकिन भूख के आगे सब डर और सब जोखिम बौने नजर आते हैं।

क्यों बीन की आवाज़ पर दौड़ आते हैं सांप

आपने कई बार देखा होगा कि जब भी सपेरा बीन बजाता है तो सांप कहीं भी होता है, वह तुरंत बाहर आ जाता है और सपेरा उसे पकड़ लेता है। इस बात से हर कोई हैरान रहता है कि ऐसा कैसे होता है? आखिर बीन की आवाज कैसे सुनते हैं सांप? दरअसल, सांप हवा में मौजूद ध्वनि तरंगों पर रिएक्शन नहीं देते, बल्कि धरती से निकलने वाले कंपन यानि वाइब्रेशंस को अपने जबड़े में पाई जाने वाली एक ख़ास हड्डी के ज़रिये महसूस करते हैं। बताते हैं कि सांप केवल हिलती-डुलती चीजों को ही साफ़ देख पाते हैं। इसलिए सपेरा जब बीन को बजाते हुए उसे इधर-उधर करता है, तो बीन के साथ-साथ सांप भी हिलता-डुलता है और लोग यह समझते हैं कि सांप बीन की धुन पर नाच रहा है।

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