गोरखपुर ने ही दिया सूबे का पहला Covid हेल्प डेस्क, पूरे प्रदेश में हो चुका है अनिवार्य

गोरखपुर (संदेशवाहक न्यूज़ डेस्क)। प्रदेश सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में अनिवार्य तौर पर लागू किये जा चुके कोविड-19 हेल्प डेस्क को गोरखपुर जिले में स्वास्थ्य विभाग के अलावा सभी अन्य विभागों के लिए भी अनिवार्य किया जा रहा है। शायद बहुत कम लोग इस बात को जानते होंगे कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे कोविड-19 हेल्प डेस्क की राह गोरखपुर जिले के कोरोना समर्पित रेलवे अस्पताल ने दिखाई थी।
अब पूरे प्रदेश में अनिवार्य हो चुका है कोविड-19 हेल्प डेस्क दरअसल, शासन से भेजे गये नोडल अधिकारी और गोरखपुर के जिलाधिकारी विजयेंद्र पांडियन भी इस अस्पताल के हेल्प डेस्क की कार्यपद्धति को देख कर सराह चुके हैं। इस समय प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे में कुल 15170 हेल्प डेस्क बनाई जा चुकी हैं। गोरखपुर जनपद के सरकारी अस्पतालों में कुल 510 हेल्प डेस्क क्रियाशील हैं। अब गोरखपुर से ही सभी विभागों के लिए हेल्प डेस्क को अनिवार्य कर दिया गया है। इस संबंध में जिलाधिकारी ने निर्देश भी दे दिया है।
रेलवे अस्पताल में कोविड-19 हेल्प डेस्क स्थापित करने की परिकल्पना सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी, एसीएमओ आरसीएच डॉ. नंद कुमार और जिला क्वालिटी कंसल्टेंट डॉ. मुस्तफा खान का था। 22 मई को यह हेल्प डेस्क स्थापित हुआ। 23 मई को पहला कोरोना मरीज रेलवे अस्पताल में भर्ती हुआ था। बीआरडी मेडिकल कालेज, गीडा स्थित क्वारंटीन सेंटर, 100 बेड टीबी अस्पताल, एंबुलेंस सेवा, सीएमओ कार्यालय, सीएमओ कंट्रोल रूप से समन्वय स्थापित कर कोरोना मरीजों की सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित करवाने में यह अभी भी अहम भूमिका निभा रहा है।
बता दें कि अस्पताल के कोरोना वार्ड में जब भी किसी मरीज को चिकित्सकीय सहयोग, भोजन, दूध, पोषक सामग्री सहित किसी भी प्रकार की सहायता की आवश्यकता होती है तो वह डेस्क के मोबाइल नंबर पर फोन करता है। अगर मरीज का कोई परिवारीजन भी अस्पताल आता है तो डेस्क पर कोविड-19 प्रोटोकॉल का अनुपालन करते हुए उसे आवश्यक सहयोग दिया जाता है। रेलवे अस्पताल में हेल्प डेस्क सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक कार्य करता है।
कोरोना चैंपियन ने भी सराहा
रेलवे अस्पताल में संचालित सूबे के पहले कोविड-19 हेल्प डेस्क की सराहना यहां से स्वस्थ होकर जा चुके कोरोना चैंपिंयस भी कर रहे हैं। शहर के कोरोना चैंपियन अली हैदर का कहना है कि हेल्प डेस्क ने हर छोटी-बड़ी समस्या को सुना और समाधान भी किया।
गाइडलाइन का करते हैं पालन
एसीएमओ आरसीएच डॉ. नंद कुमार ने बताया कि नोडल अधिकारी ने शासन में गोरखपुर के कोविड-19 हेल्प डेस्क की रिपोर्ट दी थी। उनके दौरे के बाद 18 जून और 20 जून को शासन से आए दो अलग-अलग दिशा-निर्देशों के अनुसार पूरे प्रदेश के अस्पतालों में हेल्प डेस्क अनिवार्य कर दी गई।
दिशा-निर्देशों का सभी करें पालन
डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया, हेल्प डेस्क पर पैरामेडिकल स्टॉफ के साथ पल्स ऑक्सीमीटर, इंफ्रारेड थर्मामीटर और सैनिटाइजर रखना अनिवार्य है। अस्पताल में किसी भी मरीज को प्रवेश डेस्क से गुजरने के बाद ही मिलना है। सभी को दिशा-निर्देशों से अवगत कराया जा चुका है। रेलवे अस्पताल का कोविड-19 समर्पित हेल्प डेस्क एक मॉडल के तौर पर कार्य कर रहा है।