हरतालिका तीज व्रत: माता पार्वती का संकल्प आज ही के दिन हुआ था पूरा

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संदेशवाहक न्यूज़ डेस्क। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तीज को हरतालिका का 36 घंटे का व्रत पारम्परिक रूप से मनाया गया। आज सुबह भगवन शिव और माता पार्वती का पूजन-अर्चन कर नीबूं का शर्बत पीकर व्रत का परा यण किया गया। सुहागिन महिलाओं व कुंवारी कन्याओं ने भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की और दिन भर 36 घंटे का व्रत रखा। यह व्रत काफी कठिन माना जाता है क्योंकि इसका परायण दूसरे दिन सुबह भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करने के बाद होता है।

नई पीढ़ी की महिलायें व कन्याएं कठिन व्रत के कारण इस व्रत को नहीं करती हैं लेकिन ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

गुरुवार की रात से यह व्रत शुरू हुआ था। सुहागिन महिलाओं व कन्याओं ने नींबू का शर्बत और पान चखकर इस व्रत की शुरुआत की थी और शुक्रवार को दिन भर निर्जला व्रत रहक़र शाम को महिलाओं ने भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाकर विधिविधान से पूजा की और कथा का श्रवण किया। इस व्रत में रात भर महिलायें सोती नही है इसलिए रात भर मंगलगान करती है।

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आज शानिवार को व्रत रखने वाली महिलायों एवं कन्यायों ने प्रातः पांच बजे स्नान करके विधिविधान पूर्वक माता पार्वती और भगवान शिव का पूजन अर्चन किया और शर्बत पीकर व्रत का परायण किया। इसके उपरात मिट्टी के बनाये गये पार्थिव शिव पार्वती का गंगा में विर्सजन किया गया।

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