उप्र: उद्यान निदेशक आरके. तोमर पर लगे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

संदेश वाहक डिजिटल डेस्क लखनऊ। उद्यान विभाग के प्रभारी निदेशक डॉ. आरके तोमर पर टेंडरों में करोड़ों का घोटाला करने के आरोप लगे हैं। भारतीय किसान मंच के देवेंद्र तिवारी ने वीवीआईपी गेस्ट हाउस में प्रेस कांफ्रेंस कर प्रभारी निदेशक पर आरोप लगाते हुए कहा है कि तोमर द्वारा किए गए घोटालों की जानकारी मंत्री से लेकर अपर मुख्य सचिव तक है। लेकिन कोई भी न तो जांच करा रहा है और न ही कार्रवाई की जा रही है।
शासनादेश को दरकिनार कर दिए चहेतों को करोड़ों के टेंडर
देवेंद्र तिवारी ने बताया कि विभाग की तरफ से 2015 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में डीबीटी की व्यवस्था लागू की गई थी। शासनादेश के तहत एमआईडीएच व अन्य संचालित योजनाओं में कैश डीबीटी की योजना लागू की गई, जो दिसंबर 2020 तक सफलतापूर्वक लागू थी। वर्तमान प्रभारी निदेशक डॉ. आरके तोमर ने जनवरी 2021 में तत्कालीन प्रमुख सचिव से साठ-गांठ कर कैश डीबीटी के स्थान पर काइंड डीबीटी का प्रस्ताव शासन को भेज पास करा लिया।
जबकि भारत सरकार के अनुसार इन दोनों योजनाओं में काइंड डीबीटी का कोई प्राविधान नहीं है। काइंड डीबीटी का मुख्य उद्देश्य मध्यस्थ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के माध्यम से अपनी स्वेच्छानुसार सामग्री क्रय कर मोटा कमीशन प्राप्त करना तथा उस मैटेरियल को कृषकों में काइंड डीबीटी के रूप में वितरित करना है। इस परिवर्तन के कारण कृषकों को उक्त कंपनी का बीज खरीदने को बाध्य किया गया। इसकी शिकायत कर्मचारी संगठनों ने मुख्यमंत्री से की है।
संस्था चयन में भी भ्रष्टाचार
देवेंद्र ने बताया कि भारत सरकार के पत्र में दिए गए निर्देशों के अनुसार न तो संस्थाओं के चयन के लिए खुली एवं पारदर्शी निविदा आमंत्रित की गई न ही न्यूनतम दरों को सुनिश्चित करने के लिए संस्थाओं से पारदर्शी प्रतिस्पर्धात्मक दरें निविदा से आमंत्रित की गईं। बल्कि शासनादेशों के विपरीत बिना निविदा कराए संस्थाओं का चयन स्वयं कर लिया गया। इन चयनित पांच संस्थाओं से सीधे पत्र के माध्यम से दरें आमंत्रित की गईं। जिसमें नैफेड ने पत्र निर्गत के दिनांक को ही अपनी दरें विभाग को उपलब्ध करा दी थी।
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