विकास दुबे के एनकाउंटर के इरादे से नहीं गई थी पुलिस टीम, दबिश में शामिल घायल SO ने कही ये बात

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कानपुर. यूपी के कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के विकरू गांव में 3 जुलाई की रात पुलिस टीम पर हुए हमले का सच सामने आ गया है। जानकारी के मुताबिक, उस रात पुलिस एनकाउंटर के इरादे से नहीं गई थी और न ही उनके पास पर्याप्त मात्रा में असलहे थे। जबकि विकास दुबे (Vikas Dubey) ने पूरी तैयारी कर रखी थी। दबिश देने गई पुलिस टीम में शामिल घायल बिठूर थाने के एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने उस रात की पूरी कहानी बताई।

कुछ इस तरह से खड़ी की गई थी जेसीबी
मुठभेड़ में घायल एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह अस्पताल में भर्ती हैं। उन्हें 3 गोलियां लगी थी। उन्होंने बताया, 3 जुलाई की रात करीब साढ़े 12 बजे दबिश देने की तैयारी थी। 3 थानों की फोर्स दबिश देने गई थी। जिसका नेतृत्व सीओ देवेंद्र मिश्रा कर रहे थे। सभी लोग करीब साढ़े 12 बजे विकरू गांव में विकास के घर के पास पहुंचे। घर से करीब 22 मीटर की दूरी पर जेसीबी खड़ी थी। जिसके बाद सभी गाड़ी से उतरकर पैदल ही उसके घर की तरफ बढ़े। रास्ते में जेसीबी को इस तरह से खड़ा किया गया था कि पैदल भी एक बार में एक ही यात्री निकल सके।

जब जेसीबी क्रॉस करते थे चलने लगी गोलियां
एसओ ने बताया, विकास के घर या आसपास लाइट ठीक से नहीं जल रही थी, जिसके कारण हम उन्हें नहीं देख पा रहे थे। जबकि वे हमें ठीक से देख रहे थे। जैसे ही मैं और मेरे साथ सिपाही अजय सेंगर जेसीबी क्रॉस कर आगे बढ़े, अचानक गोली चलने लगी। सिपाही सेंगर ने कहा कि उसके पेट में गोली लगी है। मैं कवर फायर देते हुए उसे सुरक्षित स्थान पर ले जाने लगा। मैंने इस बीच चार से पांच राउंड गोली चलाई।

एनकाउंटर के इरादे से नहीं गई थी पुलिस
कौशलेंद्र ने बताया, पुलिस एनकाउंटर की तैयारी से नहीं गई थी। सभी के पास असलहे भी नहीं थे। तीन तरफ से गोलियां चल रही थीं। करीब 15 लोग हम पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर रहे थे। जिस रफ्तार से गोली चल रही थी, उससे तो यही लगता है कि उनके पास सेमी ऑटोमेटिक वेपन्स थे, क्योंकि सिंगल शॉट वेपन्स से इस तरह गोली नहीं चल सकती।

चौबेपुर एसओ विनय तिवारी के लिए कही ये बात
कौशलेंद्र ने कहा, जेसीबी की वजह से एक बार में एक ही आदमी आगे जा सकता था। मैं और मेरी टीम पहले गए। उसके बाद अन्य लोग, लेकिन तभी गोली चलने लगी, जिसके बाद एसओ चौबेपुर और उनकी टीम के साथ अन्य लोग तितर-बितर हो गए। उन लोगों ने जीसीबी की आड़ लेकर जान बचाई। एसओ बिल्हौर देवेन्द्र कुमार मिश्रा को कैसे गोली लगी? इस पर कौशलेंद्र ने कहा कि अंधेरा था, ऊपर से तीन तरफ से फायरिंग हो रही थी, इसलिए कुछ नहीं दिख रहा था।