जिक्रे शोह-दाए-कर्बला की महफिल में घर बैठे ऑनलाइन हों शामिल

गोरखपुर (संदेशवाहक न्यूज)। कोरोना महामारी की वजह से अबकी बार जिक्रे शोह-दाए-कर्बला की महफिल या मजलिस सार्वजनिक जगहों पर नहीं होगी। हालांकि घरों में जिक्रे शोह-दाए-कर्बला की महफिल या मजलिस पहली मुहर्रम से शुरू हो जायेगी।
अकीदतमंदों की सहूलियत के लिए तंजीम कारवाने अहले सुन्नत की ओर से यूट्यूब लाइव के नूरी नेटवर्क पर जिक्रे शोह-दाए-कर्बला पर ऑनलाइन महफिल होगी। जिसका सिलसिला पहली से दसवीं मुहर्रम तक जारी रहेगा। लोग घर बैठे महफिल में ऑनलाइन शामिल हो सवाब कमा सकते हैं।
मुहर्रम पवित्र महीना है – मुफ्ती मो. अजहर
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ऑनलाइन कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मुफ्ती मो. अजहर शम्सी (नायब काजी) ने बताया कि माह-ए-मुहर्रम दीन-ए-इस्लाम के मुबारक महीनों में से एक है। इस माह में रोजा रखने की खास अहमियत है। मुख्तलिफ हदीसों व अमल से मुहर्रम की पवित्रता व इसकी अहमियत का पता चलता है।
मुहर्रम के दसों दिन खुसूसन आशूरा (दसवीं मुहर्रम) के दिन महफिल या मजलिस करना और सही रिवायतों के साथ हजरत सैयदना इमाम हुसैन व शोह-दाए-कर्बला के फजायल और वाकयात-ए-कर्बला बयान करना जायज व बाइसे सवाब है। हदीस शरीफ में है जिस महफिल या मजलिस में सालिहीन का जिक्र हो, वहां रहमत बरसती है। दसवीं मुहर्रम को फातिहा-नियाज करना, पानी व शर्बत का स्टॉल लगाना, मिस्कीन मोहताजों को खाना खिलाना, परेशान लोगों की परेशानी को दूर करना सवाब का काम है।
नौवीं व दसवीं मुहर्रम का रोजा रखना अफज़ल है। अबकी कोरोना महामारी की वजह से सार्वजनिक जगहों पर महफिल या मजलिस नहीं होगी इसलिए तंजीम ने यह पहल की है कि लोग घर बैठे जिक्रे शोह-दाए-कर्बला की ऑनलाइन महफिल में शामिल होकर फैजयाब हों। जल्द ही कार्यक्रम का पोस्टर जारी कर दिया जायेगा। पहली मुहर्रम को दीन-ए-इस्लाम के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हजरत सैयदना उमर रजियल्लाहु अन्हु का ऑनलाइन उर्स-ए-पाक भी मनाया जायेगा।
इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है ‘मुहर्रम’ – हाफिज अज़ीम
हाफिज मो. अज़ीम नूरी ने बताया कि इस्लामी कैलेंडर यानी हिजरी वर्ष का पहला महीना ‘मुहर्रम’ है। माह-ए-मुहर्रम का चांद निकलने के साथ 21 या 22 अगस्त से 1442 हिजरी शुरु हो जायेगी। मुहर्रम की पहली तारीख को मुसलमानों के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हजरत सैयदना उमर रजियल्लाहु अन्हु की शहादत हुई।
माह-ए-मुहर्रम को इस्लामी इतिहास की सबसे दुखद घटना के लिए याद किया जाता है। इसी महीने में यजीद नाम के एक जालिम बादशाह ने पैगंबर-ए-आज़म हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के नवासे हजरत सैयदना इमाम हुसैन रजियल्लाहु अन्हु व उनके 72 साथियों को कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया था। हिजरी वर्ष का आगाज इसी महीने से होता है।