गांव में गुंडई करने वाला हनुमान उर्फ राकेश पांडे कैसे बन गया मुख्तार का खास, जानें पूरी जर्नी

लखनऊ. एक लाख के इनामी हनुमान पांडे उर्फ राकेश पांडे को यूपी एसटीएफ ने रविवार सुबह राजधानी लखनऊ में एनकाउंटर में मार गिराया। उसके पिता बालदत्त पांडेय ने एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि बेटे पर कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं था। आज हम आपको राकेश पांडेय के जन्म से लेकर जुर्म तक के बारे में बताने जा रहे हैं।
राकेश को अपराध विरासत में नहीं मिला, उसने एक सीधे-साधे ब्राह्मण परिवार में जन्म लिया था। घर में किसी चीज की कमी नहीं थी। लेकिन उसकी फितरत थी कि वो जो चाहेगा वो कहेगा, जो चाहेगा वो करेगा। दबंगई उसके नेचर में शुमार हो गई थी। पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक छोटा जिला है मऊ। आज भी इसे कल्पनाथ राय के नाम से जाना जाता है, जो यहां से कई बार सांसद और कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे। लेकिन अपराध जगत में इस जगह की पहचान मुख्तार अंसारी के नाम से होती है, जो मऊ से लगातार कई बार से विधायक हैं।
ऐसे अपराध की दुनिया में आया था राकेश
बात 1995-2000 के आसपास की है। मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय की दुश्मनी चरम पर थी। उस दौरान बृजेश सिंह भूमिगत थे और कृष्णानंद राय फ्रंट फुट पर थे। ठेके-पट्टे को लेकर आए दिन गोलियां चलती थीं। इस दौरान युवाओं की ऐसी टोली तैयार हो रही थी जिन्हें जातिगत समीकरणों से कोई लेना-देना नहीं था। वो गोलियों की ताकत से अपनी जिद पूरी करना चाहते थे। गांव की चौपालों और चाय की दुकानों पर मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह और कृष्णानंद राय जैसे लोगों के चर्चे हुआ करते थे। राकेश पांडेय भी उस समय धीरे धीरे जवान हो रहा था।
मऊ जिले के थाना कोपागंज से 4 किमी दूर लिलारी भरौली गांव है। राकेश पांडेय यहीं का रहना वाला था। करीबी बताते हैं कि बचपन से ही राकेश दबंग किस्म का था, सिर्फ अपनी बात मनवाने की जिद, बेवजह लोगों को परेशान करना, दूसरों से अपेक्षा करना कि उसके सामने लोग झुक कर चलें, उसकी आदत में शुमार था। गांव में रहने के दौरान ही उसने गुंडई शुरू कर दी थी लेकिन मां-बाप की इमेज और परिजनों के दबाव में वह खुलकर दबंगई नहीं कर पाता था। स्कूली पढ़ाई के बाद जब वह पॉलिटेक्नीक करने लखनऊ पहुंचा तो उसके इरादों को पंख लग गए।
जब मुन्ना बजरंगी को मरा जान छोड़ दिया गया था
लखनऊ पहुंचने के बाद वो शौक से गुंडा बन गया। छात्र जीवन में ही उस पर हत्या का आरोप लगा। पुलिस ने जेल में डाल दिया। यहां पर उसकी मुलाकात कुख्यात अभय सिंह जैसे लोगों से हुई। बताया जाता है कि अभय सिंह ने उसे मुन्ना बजरंगी से मिलवाया। दिल्ली के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह ने 1998 में मुन्ना बजरंगी को समयपुर बादली में एक मुठभेड़ में कई गोलियां मारी थीं और मरा जानकर छोड़ दिया था। मुन्ना बजरंगी बहुत दिनों तक कोमा में रहने के बाद जी उठा। दिल्ली में हुई मुठभेड़ में उसका खास साथी मारा जा चुका था। जेल में रहने के दौरान उसका गिरोह छिन्न भिन्न हो गया था, वह जेल से भाग निकला। अब फिर से उसे अपना गैंग खड़ा करना था और राकेश पांडेय को कोई बड़ा साथ चाहिए था।
बताया जाता है कि अभय सिंह ने राकेश पांडेय को मुन्ना के पास भेजा और यहीं से दोनों की दोस्ती परवान चढ़ी। राकेश की वाफादारी मुन्ना को भा गई और दोनों साथ-साथ वारदात को अंजाम देने लगे। मुन्ना ने राकेश को मुख्तार से मिलवाया। मुख्तार को भी हर समय ऐसे आदमी की जरूरत होती है जो चुनाव में उसका साथ दे सके। जानकार कहते हैं, रॉबिनहुड वाली इमेज के चलते मुसलमानों का साथ तो मुख्तार को अपने आप मिल जाता लेकिन उस इलाके की प्राभावी जातियां ब्राह्मण और भूमिहार को गैंग में ज्यादा तवज्जो मिल जाती है। ऐसे लोग तेजी से तरक्की करने लगते हैं। राकेश पांडेय के साथ भी यही हुआ। विधानसभा का चुनाव हो या लोकसभा का राकेश मुख्तार के लिए जी जान से जुटा रहता था।
ऐसे की गई थी कृष्णानंद राय की हत्या
राकेश का प्लस प्वाइंट यह था कि उसका कोई फोटो पुलिस के पास नहीं थी। इसलिए वह खुलकर वारदात को अंजाम देता और फरार हो जाता। साल 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। विधायक बनने के बाद कृष्णानंद राय अपनी सुरक्षा के प्रति लापरवाह हो गए थे और गाड़ियों के काफिले के साथ चलना छोड़ दिया था। उस दिन वह एक वॉलीबॉल टूर्नामेंट का उद्घाटन करने जा रहे थे, रास्ते में उन्हें घेर लिया गया और एके 47 से फायरिंग कर जीप में सवार सभी 7 लोगों की हत्या कर दी गई। कुल 400 राउंड फायरिंग की गई थी।
एक सीसीटीवी फुटेज में सामने आई थी राकेश की फोटो
घटना के बाद आरोप लगा कि मुख्तार के कहने पर मुन्ना बजरंगी एंड कंपनी ने इस वारदात को अंजाम दिया। जांच के दौरान राकेश पांडेय का नाम इसमें जोड़ा गया। लेकिन फोटो न होने से पुलिस उस पर एक्शन नहीं ले पाई और वह फरार होने में कामयाब रहा। बाद में पुलिस को बनारस के एक होटल की सीसीटीवी फुटेज मिली, जिसमें राकेश पांडेय दिखा। साल 2006 में उसे कृष्णानंद हत्याकांड में गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन बाद में वो जेल से बाहर आ गया।
साल 2009 में मऊ में ठेकेदार मन्ना सिंह की हत्या कर दी गई। आरोप मुख्तार और राकेश पांडेय पर लगा। इस मामले के गवाह थे राम सिंह। बाद में राम सिंह और उनके सरकारी गनर की भी हत्या कर दी गई। आरोप लगा कि अपराध जगत में अपना सिक्का जमाने और लोगों में अपना खौफ पैदा करने के लिए राकेश पांडेय उर्फ हनुमान पांडेय ने वारदात को अंजाम दिया। मुख्तार और राकेश पर अब भी यह केस चल रहा।
मुन्ना बजरंगी के बाद मुख्तार का खास था राकेश
बताया जाता है गिरोह में राकेश की हैसियत लगातार बढ़ती जा रही थी। मुन्ना बजरंगी के मंसूबे आसमान छू रहे थे। एक समय ऐसा आया कि उसके संबंध मुख्तार से भी खराब होने लगे थे क्योंकि वह खुद राजनीति में आना चाहता था और मुख्तार को यह मंजूर नहीं था। वहीं, एसटीएफ और पुलिस लगातार मुन्ना बजरंगी के पीछे पड़ी थी, जिसके बाद वह मुंबई चला गया। बताया जाता है कि उसने वहां कांग्रेस के एक नेता का संरक्षण मिला और पुलिस से बचने के लिए उसने मुंबई में ही अपने को गिरफ्तार करा दिया। मुन्ना बजरंगी की कमी राकेश पांडेय ने मुख्तार का साथ देकर पूरी की। कहा जाता है कि बाद में मुख्तार और बजरंगी में फिर दोस्ती हो गई।
राकेश ने ली थी सपा नेता की हत्या की सुपारी
साल 2017 में जब यूपी में बीजेपी की सरकार आई। इस दौरान मुन्ना बजरंगी झांसी की जेल में बंद था। उसने बीएसपी के पूर्व विधायक से रंगदारी मांगी। पेशी के लिए उसे बागपत जेल लाया गया था। 9 जुलाई 2018 को उसकी जेल में ही हत्या कर दी गई। आरोप कुख्यात सुनील राठी पर लगा। बताया जाता है कि मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद अपनी निशानेबाजी और वाफादारी की वजह से राकेश मुख्तार का खास बन गया। राकेश पर मऊ में 6 मुकदमें दर्ज थे, यहां की पुलिस ने उस पर 25000 का इनाम भी घोषित कर रखा था। राकेश ने फर्जी हलफनामा देकर अपनी पत्नी के नाम से हथियार का लाइसेंस ले लिया था। इसी तरह गाजीपुर में उसके खिलाफ 2 और लखनऊ-रायबरेली में एक-एक मुकदमें दर्ज थे। प्रयागराज में कुछ दिनों पहले गिरफ्तार एक शूटर नीरज सिंह ने बताया था कि एक सपा नेता की हत्या की सुपारी राकेश पांडेय ने ली थी। जिसके बाद प्रयागराज पुलिस ने भी उस पर 25000 रुपये का इनाम रखा था।
पिता ने राकेश के एनकाउंटर पर उठाए सवाल
राकेश के पिता बालदत्त पांडेय ने एसटीएफ के एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि पुलिस राकेश को सुबह 3 बजे लखनऊ आवास से उठाकर ले गई और मार डाला। पिता ने दावा किया कि राकेश सभी मामलों में बरी हो चुका था। उस पर फिलहाल कोई केस नहीं था। सुबह न्यूज में दिखाया गया कि एक लाख के इनामी बदमाश को मार गिराया गया लेकिन किसी अखबार में कभी नहीं छपा कि राकेश पर इतना इनाम रखा गया। राकेश अपनी माता का इलाज लखनऊ केजीएमसी में करा रहा था और उनको लेकर आना-जाना लगा रहता था। राकेश की पत्नी की तबीयत भी खराब रहती थी। निजी दुश्मनी की वजह से राकेश को मारा गया।
क्या कहती है पुलिस
एसटीएफ के एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने बताया, एसटीएफ को इनपुट मिला था कि अपराधी इनोवा कार से जा रहा है। लखनऊ-कानपुर हाइवे पर सरोजनी नगर थाने के पास उसे रोकने की कोशिश की गई लेकिन उसने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। एसटीएफ की जवाबी फायरिंग में वह मारा गया। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा, गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद पांडे मुख्तार अंसारी गिरोह का मुख्य शूटर बन गया था। पांडेय और अन्य आरोपियों ने साल 2005 में बीजेपी नेता कृष्णानंद राय और 6 अन्य व्यक्तियों की हत्या में 400 राउंड फायर किए थे। अपराधियों ने एके-47 का भी इस्तेमाल किया था।