6 जुलाई से भगवान शिव के प्रिय सावन महीने की हुई शुरुआत, जानें कैसे शुरू हुआ था श्रावण मास

लखनऊ. भगवान शिव का प्रिय सावन का महीना यानी श्रावण मास 6 जुलाई से शुरू हो चुका है। इस महीने महादेव की अराधना करने का बड़ा महत्व होता है। सावन में भक्त अपनी मनोकामनाओं के लिए महादेव की उपासना करते हैं, क्योंकि सावन में भगवान शिव की कृपा जल्द प्राप्त हो जाती है। इस बार श्रावण मास 6 जुलाई से 3 अगस्त तक रहेगा। आज हम आपको श्रावण मास शुरू होने के पीछे एक पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।
भगवान शिव का ऐसे नाम पड़ा नीलकंठ
पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो हलाहल विष निकला। विष के प्रभाव से संपूर्ण सृष्टि में हलचल मच गई। ऐसे में सृष्टि की रक्षा के लिए महादेव ने विष का पान कर लिया। शिव जी ने विष को अपने कंठ के नीचे धारण कर लिया। यानी विष को गले से नीचे नहीं जाने दिया। विष के प्रभाव से भगवान भोले का कंठ नीला पड़ गया और उनका एक नाम नीलकंठ भी पड़ गया।
ऐसे शुरू हुई सावन मास की शुरुआत
जब विष का ताप शिव जी के ऊपर बढ़ने लगा, तब विष का प्रभाव कम करने के लिए पूरे महीने घनघोर वर्षा हुई, जिसके बाद विष का प्रभाव कुछ कम हुआ। लेकिन ज्यादा वर्षा से सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने अपने मस्तक पर चन्द्र धारण किया। चन्द्रमा शीतलता का प्रतीक है और भगवान शिव को इससे शीतलता मिली। ये घटना सावन मास में घटी थी, इसीलिए इस महीने का इतना महत्व है। तभी से हर वर्ष सावन में भगवान शिव को जल चढ़ाने की परम्परा की शुरुआत हुई। अराधना है कि सावन में भगवान शिव का अभिषेक करने से हर परेशानी दूर हो जाती है।
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