लखनऊ: दस लाख से ऊपर के पार्किंग टेंडर पर ई-टेंडरिंग न करने पर महापौर नाराज

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लखनऊ (संदेशवाहक न्यूज़ डेस्क)। महापौर संयुक्ता भाटिया ने 10 लाख से अधिक के आरक्षित दरों वाली पार्किंग पर ई-निविदा न करने पर नगर आयुक्त इन्द्रमणि त्रिपाठी से नाराजगी जाहिर की है। वहीं मामले को लेकर नगर आयुक्त से स्पष्टीकरण तलब किया है। ट्रांसपोर्ट नगर की कई पार्किंग का टेंडर नगर निगम द्वारा द्वि-लिफाफा पद्धति से किया जा रहा है, साथ ही विगत वर्ष 44 लाख रुपये में एलडीए द्वारा जो पार्किंग आवंटित की गई थी। उसकी आरक्षित दर कई गुना कम करते हुए मात्र 7.80 लाख ही रखी गयी थी।

इसी प्रकार दूसरे पार्किंग स्थलों में भी किया गया। जिस पर स्थानीय पार्षद वीना रावत ने नाराजगी जताते हुए जोन कार्यालय पर धरना प्रदर्शन भी किया गया था। अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही न होने पर पार्षद ने महापौर संयुक्ता भाटिया से नगर निगम को क्षति पहुँचाने और किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुँचाने का आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत की गयी थी। जिस पर महापौर संयुक्ता भाटिया ने जोनल अधिकारी को फोन कर पूछा, जिस पर जोनल अधिकारी ने बताया कि पार्किंग का आरक्षित मूल्य एलडीए द्वारा तय किया गया था। महापौर ने नगर आयुक्त को फ़ोन कर पार्किंग निविदा के सम्बंध में पूछा तो नगर आयुक्त ने बताया कि दरें सदन ने तय की है।

महापौर के नगर निगम को आर्थिक क्षति से बचाने एवं नियमानुसार पद्यति के सापेक्ष पुराने वर्ष एलॉट हुई पार्किंग दर को ही आरक्षित दर मानकर उसमें 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर वर्तमान वर्ष को आरक्षित दर तय करने हेतु पुनः मूल्यांकन करने सम्बंधित निर्देश दिए। जिस पर नगर आयुक्त ने बताया कि ई-टेण्डर के माध्यम से निविदा की जा रही है इसलिए रोकी नही जा सकती। जबकि निविदाएं द्वि-लिफाफा पद्यति से आमंत्रित की गई थी। बातों और तथ्यों में विरोधाभास प्रतीत होने पर महापौर ने नगर आयुक्त को पत्र लिख सम्पूर्ण घटनाक्रम पर स्पष्टीकरण मांगा है।

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उन्होंने लिखे पत्र में शासनादेश का हवाला भी दिया जिसमें 10 लाख के ऊपर सभी निविदाओं पर अनिवार्य रूप से ई-टेण्डर के माध्यम से आमंत्रित करने हेतु निर्देश दिए गए थे। परंतु नगर आयुक्त द्वारा प्रकाशित समाचार पत्रों के माध्यम से माँगी गयी कई निविदाओं के आरक्षित मूल्य 10 लाख से अधिक होने पर भी द्वि-लिफाफा पद्यति से निविदाएं की जा रही थी। जिस पर महापौर ने नाराजगी जताई। ध्यान रहे वर्तमान समय में नगर आयुक्त द्वारा 1 लाख से ऊपर के समस्त कार्यों को ई-टेण्डर कराने हेतु निर्देशित किया गया है। ऐसे में कई बड़े मूल्य की निविदाओं की ई-टेंडरिंग न कराकर लिफाफा पद्यति से कराना आशंकित करने वाला है।

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