PM मोदी ने नई शिक्षा नीति पर कहा- 3-4 साल के मंथन के बाद मिली मंजूरी, ये नए देश की नींव रखेगा

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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में कहा, तीन-चार साल के विचार-मंथन के बाद नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिली। आज हर विचारधारा के लोग इस मसले पर मंथन कर रहे। कोई इसका विरोध नहीं कर रहा है, क्योंकि इसमें कुछ भी एक तरफा नहीं। अब लोग सोच रहे हैं कि इतने बड़े रिफॉर्म को जमीन पर कैसे उतारा जाएगा। ये सिर्फ कोई सर्कुलर नहीं बल्कि एक महायज्ञ है, जो नए देश की नींव रखेगा और एक सदी तैयार करेगा। बता दें, कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल भी मौजूद थे।

प्रधानमंत्री ने कहा, नई शिक्षा नीति को जमीन पर उतारने के लिए जो भी करना होगा, वो जल्द किया जाएगा। आपको इसे लागू करने में जो भी मदद चाहिए, मैं आपके साथ हूं। नई नीति में देश के लक्ष्यों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि भविष्य के लिए पीढ़ी को तैयार किया जा सके। ये नीति नए भारत की नींव रखेगी। भारत को ताकतवर बनाने के लिए नागरिकों को सशक्त करने के लिए अच्छी शिक्षा जरूरी है।

क्रिएटिव पढ़ाई का मिलेगा मौका

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज जब नर्सरी का बच्चा भी नई तकनीक के बारे में पढ़ेगा, तो उसे भविष्य की तैयारी करने में आसानी मिलेगी। कई दशकों से शिक्षा नीति में बदलाव नहीं हुआ था, इसलिए समाज में भेड़चाल को प्रोत्साहन मिल रहा था। कभी डॉक्टर-इंजीनियर-वकील बनाने की होड़ लगी हुई थी। अब युवा क्रिएटिव विचारों को आगे बढ़ा सकेगा, अब सिर्फ पढ़ाई नहीं बल्कि वर्किंग कल्चर को डेवलेप किया जाएगा।

हमारे सामने सवाल था कि क्या हमारी नीति युवाओं को अपने सपने पूरा करने का मौका देती है? क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था युवा को सक्षम बनाती है? नई शिक्षा नीति को बनाते समय इन सवालों पर गंभीरता से काम किया गया। दुनिया में आज एक नई व्यवस्था खड़ी हो रही। ऐसे में उसके हिसाब से एजुकेशन सिस्टम में बदलाव जरूरी है। अब 10+2 को भी खत्म कर दिया गया है, हमें विद्यार्थी को ग्लोबल सिटीजन बनाना है, लेकिन उन्हें अपनी जड़ों से जुड़े रहें।

स्थानीय भाषा पर किया गया फोकस

प्रधानमंत्री ने कहा, बच्चों के घर की बोली और स्कूल में सीखने की भाषा एक ही होनी चाहिए, ताकि बच्चों को सीखने में आसानी होगी। अभी 5वीं क्लास तक बच्चों को ये सुविधा मिलेगी। अभी तक शिक्षा नीति व्हाट टू थिंक के साथ आगे बढ़ रही थी, अब हम हाउ टू थिंक पर जोर देंगे। आज बच्चों को ये मौका मिलना चाहिए कि वो अपने कोर्स को फोकस करे, अगर मन ना लगे तो कोर्स में बीच में छोड़ भी सके। अब छात्र कभी भी कोर्स से निकल सकेंगे और जुड़ सकेंगे।

आज कोई व्यक्ति पूरे जीवन में एक ही प्रोफेशन पर नहीं रहता। ऐसे में उसे लगातार कुछ सीखने की छूट होनी चाहिए। देश में ऊंच-नीच का भाव, मजदूरों के प्रति हीन भाव क्यों पैदा हुआ? आज बच्चों को पढ़ने के साथ-साथ देश की हकीकत भी जाननी जरूरी है। भारत आज टैलेंट-टेक्नोलॉजी का समाधान पूरी दुनिया को दे सकता है। टेक्नोलॉजी की वजह से गरीब व्यक्ति को पढ़ने का मौका मिल सकता है।

जब किसी संस्थान को मजबूत करने की बात होती है, तो ऑटोनॉमी पर चर्चा होती है। एक वर्ग कहता है कि सबकुछ सरकारी संस्थान से मिलना चाहिए, दूसरा कहता है सबकुछ ऑटोनॉमी के तहत मिलना चाहिए। लेकिन अच्छी क्वालिटी की शिक्षा का रास्ता इसके बीच में से निकलता है, जो संस्थान अच्छा काम करेगा उसे अधिक रिवॉर्ड मिलना चाहिए। शिक्षा नीति के जरिए देश को अच्छे छात्र, नागरिक देने का माध्यम बनना चाहिए। छात्रों के साथ-साथ नए टीचर तैयार करने पर भी जोर दिया जा रहा।

क्या है नई शिक्षा नीति में खास ?

– मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम अब शिक्षा मंत्रालय।

– 5वीं क्लास तक के बच्चों की पढ़ाई स्थानीय भाषा में।

– पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के स्किल डेवलपमेंट पर जोर देना

– विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर नए कैंपस पर जोर।

– एमफिल बंद, 10+2 का फॉर्मूला भी बंद