नाखून व बालों को छोडक़र किसी भी अंग में हो सकती है टीबी

लखनऊ: राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को सिल्वर जुबली बाल महिला चिकित्सालय ने 54 क्षय रोगियों को गोद लिया।

प्रदेश में यह मुहिम राज्यपाल आन्दीबेन पटेल द्वारा शुरू की गयी थी। जिसमें विभिन्न शिक्षण संस्थाएं, सरकारी संस्थान, सामाजिक संस्थान और अधिकारी सक्रिय रूप से जुड़े रहे हैं। इस अवसर पर किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के चिकित्सक डॉ. अजय पाल ने कहा कि टीबी पूरी तरह से ठीक होने वाली बीमारी है। इसकी जांच और इलाज स्वास्थ्य केंद्रों पर नि:शुल्क उपलब्ध है।

क्षय रोगी के साथ किसी भी तरह का भेदभाव न रखें, उनका मनोबल बढ़ायें। टीबी नाखून और बालों को छोडक़र किसी भी अंग में हो सकती है। उन्होंने बताया कि टीबी दो प्रकार की होती है। पल्मोनरी और एक्स्ट्रा पल्मोनरी।

पल्मोनरी टीबी को छोडक़र अन्य किसी भी अंग की टीबी संक्रामक नहीं होती है। टीबी की दवा का चिकित्सक की सलाह पर नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो यह मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट में परिवर्तित हो जाती है और तब और ज्यादा समय तक दवा का सेवन करना पड़ता है। इसलिए दवा का नियमित रूप से सेवन जरूर करें।

पौष्टिक भोजन का सेवन है जरूरी

इस मौके पर उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मिलिंद वर्धन ने कहा कि पोषण का टीबी से गहरा नाता है। टीबी रोगियों को दवा के साथ पौष्टिक एवं संतुलित भोजन जरूर करना चाहिए। इस रोग में जो दवाएं दी जाती हैं वह अधिक क्षमता की होती हैं ऐसे में पौष्टिक भोजन का सेवन बहुत जरूरी होता है। पोषण के लिए सरकार द्वारा निक्षय पोषण योजना के तहत क्षय रोगियों को इलाज के दौरान 500 रुपये की धनराशि सीधे उनके खाते में भेजी जाती है।

इस मौके पर 25 क्षय रोगियों को पोषाहार का भी वितरण  किया गया। पोषण सामग्री में सत्तू, भुना चना, मूंगफली, गुड़ दिया गया। इस मौके पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ., प्रियंका यादव, डॉ. गरिमा पांडे, डॉ. राधिका, डॉ. अमित, डॉ. अजीत, डॉ. अंकित, डॉ. प्रकाश और सीएचसी का स्टाफ  उपस्थित रहा।

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