उत्तर प्रदेश: बड़े सफेदपोशों का नाम आते ही CBI के तेवर ढीले, अधिकांश जांचों में मिल रही है क्लीनचिट

सीबीआई देश की शीर्ष जांच एजेंसी है। इसके बावजूद बड़े सफेदपोशों का नाम आते ही सीबीआई के तेवर मानो ढीले पड़ जाते हैं।

लखनऊ। सीबीआई देश की शीर्ष जांच एजेंसी है। इसके बावजूद बड़े सफेदपोशों का नाम आते ही सीबीआई (CBI) के तेवर मानो ढीले पड़ जाते हैं। खासतौर पर यूपी के अधिकांश प्रमुख मामलों की जांचों में सीबीआई सबसे पहले क्लीनचिट देना ही मुफीद समझती है।

अनाज घोटाला

सबसे पहला मामला पूर्व खाद्य रसद मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का है। इनका नाम अनाज घोटाले की सुर्खियों में आया था। बाकायदा तत्कालीन डीआईजी फूड सेल जसवीर सिंह ने सीबीआई के निदेशक को तीन पत्र लिखकर खुद से पूछताछ को कहा था। जसवीर ने अनाज घोटाले में दर्जनों एफआईआर की थी। वहीं राजा भैया के पूर्व पीआरओ (PRO) ने भी सीबीआई को अनाज घोटाले से हासिल काली कमाई से जुड़ी एक डायरी देने के साथ कई साक्ष्य सौपें थे। इसके बावजूद सीबीआई ने राजा भैया को गरीबों का हक डकारने वाले घोटाले में क्लीनचिट ही देना मुनासिब समझा।

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एनआरएचएम घोटाला

इसके बाद बारी एनआरएचएम घोटाले की है इस घोटाले में सीबीआई ने कुशवाहा और अनंत मिश्रा के बाद आये तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका की जांच नहीं की। दोहरे सीएमओ हत्याकांड में बसपा के पूर्व माफिया सांसद को भी बख्शा गया।

खनन घोटाला

अगला नंबर खनन घोटाले का है। पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के साथ कितने और सफेदपोशों की संलिप्तता थी। इस बिंदु को भी सीबीआई ने छोड़ दिया। जबकि सूत्रों के मुताबिक लखनऊ के मोहनलालगंज में प्रजापति ने एक कद्दावर सफेदपोश को करोड़ों रूपए की जमीने दी है।

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शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड घोटाला

यही हाल तकरीबन ढाई साल से रेंग रही शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड घोटाले की सीबीआई जांच का है। घोटाले में फंसे वसीम रिजवी उर्फ़ जितेंद्र त्यागी पर सीबीआई पूरी तरह सिर्फ इसलिए मेहरबान है क्योंकि कई बड़े सफेदपोशों का इसको संरक्षण है। वक्फ की सम्पत्तियां हड़पने में कई बड़े नेताओं का हाथ है।

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वहीं कानपुर विवि के कुलपति विनय पाठक मामले की जांच में भी सीबीआई की कृपा बरस रही है। पाठक को जिम्मेदार पद पर विराजमान एक प्रमुख सियासी हस्ती का संरक्षण है। रिवर फ्रंट घोटाले की जांच में भी सीबीआई पूर्व प्रमुख सचिव दीपक सिंघल और उनके सियासी आकाओं तक नहीं पहुंच पाई है। हजारों करोड़ के बाइक बोट घोटाले की जांच में भी कई बड़े सफेदपोश फंसे हैं। जिसमें एक प्रमुख पद पर है। सूत्रों के मुताबिक दबाव में सीबीआई इस सियासी हस्ती के परिजनों को बख्श रही है।

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अखिलेश को 2013 में सीबीआई की क्लीनचिट, सुप्रीम कोर्ट से क्लोजर रिपोर्ट मंजूर

दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह, पूर्व सीएम अखिलेश यादव और उनके भाई प्रतीक यादव को आय से अधिक संपत्ति मामले में बड़ी राहत मिली है। सोमवार को इन आरोपों की प्रारंभिक जांच बंद करने से जुडी सीबीआई की 2013 की क्लोजर रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने आरोपों की प्रारंभिक जांच बंद करने की सीबीआई रिपोर्ट की कॉपी मांगने वाली याचिका भी छह साल बाद दाखिल होने पर खारिज कर दी।

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बीआर हुंडई सर्विस सेंटर का कारनामा, सर्विसिंग में आई क्रेटा का म्युजिक सिस्टम और टायर बदला