अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में भारत को क्यों दी जा रही तव्वजो…जानिए क्या है इसकी वजह

0

नई दिल्ली (संदेशवाहक न्यूज डेस्क)। अमेरिका में 3 नवम्बर को राष्ट्रपति चुनाव होने है। चुनाव से पहले अमेरिका में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों ही राजनीतिक दल भारत के सुर गा रहे हैं। चीन के लिए अमेरिका की ओर से बयानों की बमबारी जारी है। जैसे-जैसे अमेरिका में चुनाव की सरगर्मियां तेज हो रही हैं, वैसे-वैसे अमेरिका की ओर से भारत के प्रति प्रेम और गहराता जा रहा है।

अब डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति के उम्मीदवार जो बिडेन ने भारत की शान में कसीदे पढ़े हैं और चीन की जमकर लानत-मलानत की है। भारत से सरहद पर भिड़कर चीन की तो पहले से ही सिट्टी पिट्टी गुम है, मगर सात समंदर पार अमेरिका ने मानो ठान लिया है कि वो चीन को कहीं का नहीं छोड़ेगा। अब तक तो सिर्फ अमेरिका राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उनके मातहत ही चीन की बखिया उधेड़ते थे, मगर अब चीन के खिलाफ डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति के उम्मीदवार जो बिडेन ने भी सीधे और सपाट लहजे में भारत से दोस्ती की बात की है।

बिडेन ने कहा है कि अगर वे जीतते हैं तो उनका प्रशासन भारत के साथ अमेरिकी संबंध को और मजबूती देगा और अमेरिका भारत के साथ हमेशा खड़ा रहेगा। बिडेन ने कहा कि भारत जो चुनौतियां झेल रहा है, अमेरिका उसके साथ खड़ा रहेगा। बिडेन के बयान का अर्थ समझिए। भारत के लिए इस वक्त सरहद पर चीन सबसे बड़ी चुनौती है, और बिडेन बगैर नाम लिए इसी चुनौती का जिक्र कर रहे हैं। अभी दो दिन पहले ही अमेरिकी संसद में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों ने मिलकर अमेरिका की संसद में एक प्रस्ताव भी पास किया था जिसमें चीन की जमकर बखिया उधेड़ी गई थी।

- Advertisement -

मतलब यह कि चीन में बहने वाली हवाओं का रुख भारत के पक्ष में और चीन के खिलाफ है, मगर ऐसा क्यों है, इसे समझिए? कोरोना वायरस के चलते अमेरिका में चीन के खिलाफ माहौल है, राष्ट्रपति के चुनाव में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों के उम्मीदवार चीन के खिलाफ माहौल बनाकर चुनाव जीतना चाहते हैं। इसके अलावा अमेरिका में रह रहे भारतीयों को लुभाने के लिए भी चीन के खिलाफ बयानों के बाण चलाए जा रहे हैं। दरअसल अमेरिका में करीब 41 लाख भारतीय मूल के अमेरिकी रहते हैं।

इनमें से करीब 44 फीसदी ऐसे हैं, जो वोट डालने के लायक हैं। यानी करीब पंद्रह लाख के आसपास भारतीय मूल के अमेरिकी वोटर 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में अपना वोट डालेंगे। ये 15 लाख मतदाता अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में बड़ा फेर बदल करने का माद्दा रखते हैं। यही वजह है कि इस बार अमेरिका में राष्ट्रपति के उम्मीदवार भारतीय मतदाताओं को रिझाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

मतलब यह कि चीन की मुश्किलें अमेरिका की ओर से अभी और बिगड़ेंगी, वैसे भी चीन के खिलाफ अमेरिका के रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और खुद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप बगावती सुर छेड़े हुए हैं। चीन के सामने वैसे भी कोई रास्ता नहीं बचा है। सरहद पर वो भारत से पस्त पड़ा है, कूटनीति स्तर पर उसकी बखिया पहले ही उधेड़ी जा चुकी है और इंटरनेशनल बिरादरी उसके खिलाफ है। वहीं अमेरिका के रहनुमाओं को भी मालूम है कि अगर अमेरिका में चुनाव जीतना है तो भारत का साथ होना बहुत जरूरी है, मतलब ये कि आने वाले वक्त में चीन के खिलाफ अमेरिका के विद्रोही तेवर अभी और सख्त होंगे।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.