अंसल ने टाउनशिप के नाम पर नहर की जमीन पर बनाये पार्क और भूखंड, खुलने लगीं भ्रष्टाचार की परतें

सिंचाई विभाग की करोड़ों की जमीन कब्जा कर उस पर टाउनशिप विकसित करने के मामले में अंसल एपीआई की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।

Sandesh Wahak Digital Desk: सिंचाई विभाग की करोड़ों की जमीन कब्जा कर उस पर टाउनशिप विकसित करने के मामले में अंसल एपीआई की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इस जांच के साथ ही अंसल एपीआई, सिंचाई विभाग, एलडीए के अफसर-कर्मचारियों पर गाज गिरने की पूरी संभावना है। जानकारों की मानें तो इस जांच में अभी कई बड़े खुलासे होने बाकी हैं।

हाईकोर्ट के आदेशों के क्रम में सोमवार को सीबीआई की मौजूदगी में एलडीए, सिंचाई विभाग, तहसील, पीडब्ल्यूडी की टीमें पूरा दिन पैमाइश में जुटी रहीं। इस मौके पर अंसल एपीआई के लोग भी मौजूद रहे। पैमाइश में खुलासा हुआ है कि सिंचाई विभाग की जिन जमीन पर अंसल एपीआई ने सडक़,पार्क, पक्के निर्माण समेत 54 भूखंड विकसित किए हैं उस नहर की चौड़ाई करीब 10-12 मीटर है। ऐसे में सैंकड़ों करोड़ का जमीन घोटाले की परतें खुलने लगी हैं। एलडीए के अफसरों का कहना है कि अभी दो दिन और जांच चलेगी। इस मामले में सीबीआई को 24 मई तक प्रगति रिपोर्ट हाईकोर्ट में प्रस्तुत करनी है।

गौरतलब है कि कोर्ट ने यूपी सरकार को भी इस मामले में विजिलेंस जांच के आदेश जारी किए हैं। मामले की पूरी रिपोर्ट 22 अगस्त तक सीबीआई हाईकोर्ट को सौंपेगी। जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ रहा है उससे साफ नजर आने लगा है कि अंसल एपीआई के सुशील अंसल जल्द ही जेल की सलाखों के पीछे नजर आएंगे।

बेच डाली बंधक जमीन

साल 2017 में एलडीए की जिम्मेदारी संभालने वाले तत्कालीन उपाध्यक्ष पीएन सिंह ने अंसल टाउनशिप की पूरी जांच करायी तो बड़ा खेल सामने आया। पता चला कि अंसल को कुल 439 एकड़ जमीन बंधक रखनी थी। मगर उससे 129 एकड़ जमीन ही बंधक रखाई। जांच में सामने आया कि बिल्डर ने बंधक रखी पूरी जमीन बेच डाली है। इसके बाद सख्ती कर उन्होंने बिल्डर की करीब 413 एकड़ जमीन दोबारा बंधक रखवायी। 26 एकड़ जमीन बंधक रखने के लिए मिली ही नहीं थी। उन्होंने बंधक जमीनों की रजिस्ट्री भी करवा दी थी। मगर अब पता चला है कि अंसल ने इसमें भी काफी जमीन बेच डाली है। करोड़ों की इस बंधक जमीन का बैनामा तक कर दिया गया है।

जमीन बेचने की होगी जांच

एलडीए उपाध्यक्ष डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने सचिव पवन कुमार गंगवार को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। उपाध्यक्ष ने कुछ बंधक भूखण्डों की सूची भी सचिव को भेजी है, जिसे अंसल बिल्डर ने बेचा है।

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