मनमुताबिक नंबर नहीं मिले तो ना हों परेशान, सोच बदलें और टैलेंट को बनाएं जुनून

यूपी बोर्ड परीक्षा में जो स्टूडेंट सफल होने के साथ-साथ मनमुताबिक नंबर पाने में सफल रहे हैं, खुशी से उनके पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे होंगे।

Sandesh Wahak Digital Desk। यूपी बोर्ड (UP Board) परीक्षा में जो स्टूडेंट सफल होने के साथ-साथ मनमुताबिक नंबर पाने में सफल रहे हैं, खुशी से उनके पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे होंगे। स्व-प्रेरित ऐसे बच्चे आगे अपने सपनों को पूरा करने को लेकर उत्साह से भरे होंगे। लेकिन जिन बच्चों के नंबर कम आए हैं या फिर किसी कारण फेल हो गए हैं, उन्हें निकम्मा कहकर खारिज नहीं किया जा सकता। उन्हें शर्मिंदा करने या उन्हें डांटने-फटकारने की बजाय उनका हौसला बढ़ाने और उनकी पसंद की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है।

जो स्टूडेंट सफल रहे हैं, उनकी सफलता में उनकी सकारात्मक सोच और उनके माता-पिता सहित शिक्षकों का भी बड़ा योगदान रहा है। जो छात्र छात्राएं किसी कारण फेल हो गए हैं या जिन्हें अपेक्षा के अनुरूप अंक नहीं मिले, हो सकता है कि उन विद्यार्थियों ने आशा के अनुरूप अपने परीक्षा की तैयारी ही ठीक तरीके से नहीं किया हो। असफल होने वाले तमाम ऐसे बच्चे भी हैं जो किताब खोलने पर यह समझते हैं कि मुझे सब कुछ आता है। तमाम विद्यार्थी ऐसे भी हैं जिनके लिए पढ़ाई से ज्यादा यारी दोस्ती जरूरी है। दिन भर इधर-उधर दोस्तों के साथ घूमना, सैर करना होटल में घूम-घूम कर मौज मस्ती करना आदि सब परीक्षा की तैयारी में बाधक होती है।

सोच बदलने की जरूरत

इसके विपरीत साल भर मेहनत करने के बावजूद किसी कारण जिन विद्यार्थियों के पेपर अच्छे नहीं हुए उसके लिए हो सकता है कोई पारिवारिक, शारीरिक या आर्थिक परेशानी रही हो या फिर जो विषय उन्हें दिलाए गए हों, उनमें रुचि न होने के कारण उनका मन नहीं लगता हो और इस कारण वे परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके। जो भी हो, इसके लिए उन छात्र-छात्राओं को डांटने-फटकारने या उन्हें सबके सामने शर्मिंदा करने की बजाय यह समय उनके साथ खड़े होने का है। सभी बच्चे एक जैसी प्रतिभा के नहीं होते और सभी से एक ही तरह के परिणाम की भी उम्मीद नहीं की जा सकती।

जैसे हैं वैसे ही रहने की कोशिश करें

असफल रह जाने वाले या कम अंक हासिल करके छात्र-छात्रायें इस बात का ध्यान रखें कि बेशक असफलता निराश और दुखी करती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप आगे कुछ और नहीं कर सकते या फिर आपके भीतर कोई प्रतिभा है ही नहीं। अपने माता-पिता से झूठ बोलने, परीक्षा में नकल करके पास होने या अध्यापकों से बहाने बनाने की बजाय आप जैसे हैं, वैसे ही रहने की कोशिश करें।

टैलेंट को बनाएं जुनून

एक बार अपनी प्रतिभा को पहचान लेने के बाद उसे अपना जुनून बनाने की ओर अग्रसर हों। हो सकता है कि इसके लिए आपके पास संसाधन नहीं हों या कम हों, लेकिन इससे हार न मानें। इसे जिद बनाकर मेहनत और अभ्यास करेंगे, तो धीरे-धीरे उस क्षेत्र में आपको कामयाबी मिलनी आरंभ हो जाएगी। अगर ऐसा नहीं भी होता और शुरुआत में आपको सफलता नहीं मिलती, तो भी अपने प्रयास न छोड़ें। अगर आपके भीतर अपनी पहचान बनाने की जिद और भूख होगी, तो एक न एक दिन कामयाबी जरूर मिलेगी।

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