संपादकीय: Online Game पर प्रतिबंध के मायने

आखिरकार केंद्र सरकार ने सट्टेबाजी से जुड़े ऑनलाइन गेम (Online Game) पर रोक लगाने का फैसला ले लिया है।

संदेशवाहक डिजिटल डेस्क। आखिरकार केंद्र सरकार ने सट्टेबाजी से जुड़े ऑनलाइन गेम (Online Game) पर रोक लगाने का फैसला ले लिया है। साथ ही इसको बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों को लेकर भी जरूरी सलाह संबंधित संस्थानों को दी है। हालांकि अभी ऐसे विज्ञापनों को रोकने के लिए कोई नियम-कायदे नहीं बनाए गए हैं। इसके बावजूद सरकार को उम्मीद है कि इससे बच्चों और युवाओं में तेजी से बढ़ रही सट्टेबाजी की प्रवृत्ति (betting trend) पर अंकुश लगेगा और तमाम घर व जिंदगिया बर्बाद होने से बच जाएंगी।

सवाल यह है कि…

  • इस फैसले का भारतीय समाज पर क्या असर पड़ेगा?
  • क्या ऐसे ऑनलाइन गेम खेलने से लोगों को रोका जा सकेगा?
  • क्या ऐसी कंपनियां सरकार के प्रतिबंधों से बचने के लिए कोई दूसरा रास्ता नहीं निकाल लेंगी?
  • इसकी सतत मॉनीटरिंग कौन करेगा?
  • क्या सट्टेबाजी वाले ऑनलाइन गेमों का विज्ञापन (online games advertising) करने वाले नामचीन अभिनेता और इसको प्रसारित करने वाले संस्थान सरकार का सहयोग करेंगे?
  • क्या केवल प्रतिबंध लगा देने भर से समस्या का समाधान हो जाएगा?
  • इसके आदती बन चुके लोगों की सेहत पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?

सस्ते डेटा ने दुनिया को मुट्ठी में समेटा

सूचना क्रांति विशेषकर इंटरनेट ने आज पूरी दुनिया को ग्लोबल गांव में तब्दील कर दिया है। स्मार्ट मोबाइल फोन और सस्ते डेटा ने दुनिया को मुट्ठी में समेट दिया है। इसका प्रयोग व दुरुपयोग समानांतर चल रहे हैं। जहां तक दुरुपयोग का सवाल है ऑनलाइन गेम (Online Game) से पैसा कमाने का चलन पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। इसके सबसे अधिक शिकार बच्चे और युवा हो रहे हैं।

Online Game खेलने वालों में भारत दुनिया में नंबर वन

आंकड़ों पर गौर करें तो हालात बेहद चिंताजनक हैं। इसके मुताबिक भारत में ऑनलाइन गेम खेलने वालों की संख्या 2022 में 50.7 करोड़ थी। ऑनलाइन गेम खेलने वालों में भारत दुनिया में नंबर वन है। 2025 तक यह संख्या 70 करोड़ के आसपास पहुंच जाएगी। वहीं 12 करोड़ ऐसे लोग हैं जिन्होंने गेम खेलने के लिए पैसे का भुगतान किया है। जाहिर है, पूरा कारोबार कई लाख करोड़ का है। ये कंपनियां बाकायदा नामचीन अभिनेताओं से सट्टेबाजी से जुड़े ऑनलाइन गेम्स का विज्ञापन करा रही हैं और विज्ञापन संस्थान यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि इसकी आदत लग सकती है और खेलने वाले अपने जोखिम पर खेले।

सच यह है कि ऑनलाइन गेम खेलने और रुपये नहीं दे पाने के कारण कई बच्चों और किशोरों ने आत्महत्या तक कर ली। कुछ ने अपने अभिभावकों की जमापूंजी लुटा दी।

बच्चों और किशोरों की करनी होगी कॉउंसलिंग

सरकार ने इस बारे में काफी देर से फैसला लिया है बावजूद इसके उसके इस कदम से सट्टेबाजी के दलदल में फंसने से बच्चों और किशोरों को रोका जा सकेगा। हालांकि यह तब तक नहीं रुक सकता है जब तक इसकी सतत मॉनीटरिंग नहीं की जाएगी। नियम तोडऩे वाली कंपनियों पर कानूनी शिकंजा भी कसना होगा। साथ ही इसके आदती हो चुके बच्चों और किशोरों की कॉउंसलिंग की व्यवस्था करनी होगी। अन्यथा हालात में बदलाव शायद ही हो सके।

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