सम्पादक की कलम से : विस्तारवादी चीन को संदेश

Sandesh Wahak Digital Desk : जापान के हिरोशिमा में संपन्न क्वाड शिखर सम्मेलन में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्षों ने हिंद प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर न केवल प्रतिबद्धता जताई बल्कि चीन को कड़ा संदेश भी दिया। क्वाड नेताओं ने संयुक्त बयान में साफ कर दिया कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में किसी प्रकार की सैन्य दखलंदाजी और यथास्थिति में एकतरफा बदलाव को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सवाल यह है कि :- 

  1. हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर क्वाड के सदस्य देश चिंतित क्यों हैं?
  2. क्या चीन इस इलाके में यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है?
  3. क्वाड के जरिए भारत, चीन की महत्वाकांक्षा पर अंकुश लगाने में सफल होगा?
  4. क्या संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय किए गए अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने में चीन आनाकानी कर रहा है?
  5. चीन की विस्तारवादी नीति तनाव की बड़ी वजह बनती जा रही है?
  6. क्या क्वाड देश इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में सफल होंगे?

क्वाड सम्मेलन में यूक्रेन-रूस युद्ध समेत कई मुद्दों पर भले चर्चा की गई हो, इसके केंद्र में हिंद प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा व यहां बढ़ती चीनी गतिविधियां रहीं। सच यह है कि पूरी दुनिया आज चीन की विस्तारवादी नीति को लेकर चिंतित है। जिन देशों से चीन की सीमाएं लगती हैं, वहां विवाद बना हुआ है। ये देश चीन की विस्तारवादी नीति से परेशान हैं। छोटे देश चीन के आक्रामक रवैए से डरे हुए हैं।

चीन अब हिंद-प्रशांत जैसे मुक्त क्षेत्र पर भी कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। उसकी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए ही क्वाड का गठन किया गया है। इसमें भारत, जापान, अमेरिका और आस्ट्रेलिया शामिल हैं। क्वाड देश जानते हैं कि यदि चीन पर अंकुश नहीं लगाया गया तो हिंद प्रशांत क्षेत्र से होने वाले अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बड़ा झटका लगेगा।

क्वाड देश इस मामले में जरा भी रियायत देने के मूड में नहीं

इससे विश्व के तमाम देशों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो जाएगी। हिंद प्रशांत क्षेत्र कितना अहम है। इसकी पुष्टि खुद प्रधानमंत्री मोदी के ताजा बयान से होती है, जिसमें उन्होंने इसे दुनिया का विकास इंजन बताया है। साथ ही इसकी सुरक्षा और यहां से होने वाले वैश्विक कारोबार की सफलता को विश्व की आर्थिकी के लिए अहम बताया है। साफ है क्वाड देश इस मामले में जरा भी रियायत देने के मूड में नहीं है।

चीन भी जानता है कि क्वाड देश उसे इस इलाके में मनमानी नहीं करने देंगे। बावजूद इसके वह इस क्षेत्र में अपनी दादागिरी करने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर अमेरिका, भारत के जरिए चीन पर अंकुश लगाने की रणनीति पर काम कर रहा है, यही वजह है कि वह भारत को आगे कर हिंद प्रशांत क्षेत्र में यथास्थिति बरकरार रखना चाहता है। क्वाड शिखर सम्मेलन इस मायने में सफल कहा जा सकता है क्योंकि सभी देशों ने इस क्षेत्र में किसी भी सैन्य दखल को बर्दाश्त नहीं करने की बात कह कर चीन को साफ संदेश दे दिया है कि यदि उसने सीमा रेखा का उल्लंघन किया तो इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा।

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