संपादक की कलम से: महंगाई के आंकड़े और हकीकत

केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में महंगाई तेजी से घट रही है। सवाल यह है कि महंगाई में आई गिरावट का असर बाजार में क्यों नहीं दिख रहा है? बाजार में पूंजी का प्रवाह बाधित क्यों है?

Sandesh Wahak Digital Desk: केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में महंगाई तेजी से घट रही है। मई में थोक महंगाई दर माइनस 3.48 फीसदी रही जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 16.63 प्रतिशत थी। सरकार के मुताबिक महंगाई में कमी का कारण खाद्य पदार्थों, ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं के मूल्य में आई गिरावट रही है।

सवाल यह है कि…

  • महंगाई (Inflation) में आई गिरावट का असर बाजार में क्यों नहीं दिख रहा है?
  • यहां खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार उछाल क्यों दिख रहा है?
  • अलग-अलग राज्यों में महंगाई की स्थिति अलग-अलग क्यों है?
  • बाजार में पूंजी का प्रवाह बाधित क्यों है?
  • कई क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां रफ्तार क्यों नहीं पकड़ पा रही हैं?
  • क्या बिना बेरोजगारी को दूर किए महंगाई पर लगाम लगाई जा सकती है?
  • सरकारी आंकड़ों और हकीकत में अंतर क्यों है?
  • क्या बिचौलियों की दखलंदाजी को कम किए बिना मूल्यों में आई गिरावट का फायदा आम आदमी तक पहुंचाया जा सकता है?

कोरोना के बाद आर्थिक गतिविधियां पड़ी सुस्त

कोरोना महामारी ने दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को बेपटरी कर दिया है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। हालांकि महामारी का प्रभाव कम होने के बाद देश में आर्थिक गतिविधियां शुरू हुईं लेकिन महंगाई की रफ्तार कम नहीं हुई। यह तेजी से बढ़ती रही। इसकी बड़ी वजह कोरोना काल में बंद उद्योग धंधे और इसमें काम करने वाले कर्मचारियों का बेरोजगार होना रहा है। पहले से तैयार बेरोजगारों की फौज और बढ़ गयी। इसका सीधा असर लोगों की क्रय शक्ति पर पड़ा और वे बाजार में जरूरी सामान ही खरीदने पर फोकस करने लगे। इससे बाजार में पूंजी का प्रवाह बाधित हुआ और आर्थिक गतिविधियां रफ्तार नहीं पकड़ सकी।

अर्थव्यवस्था को संभालने में भारतीय कृषि ने निहाई अहम भूमिका

यह दीगर है कि जब दुनिया वैश्विक मंदी की मार से जूझ रही थी, भारतीय कृषि ने देश की अर्थव्यवस्था को संभालने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ाकर ईंधन की कीमतों को स्थिर रखने में सरकार ने सफलता प्राप्त की। खाद्य पदार्थों के उत्पादन और ईंधन की स्थिर कीमतों ने महंगाई पर अंकुश लगाने में बहुत कुछ सफलता प्राप्त की। बावजूद इसके बाजार में आज भी महंगाई पर अंकुश लगता नहीं दिख रहा है। सब्जियों से लेकर फलों और तेल से लेकर दलहन और तिलहन का भाव लगातार चढ़ता जा रहा है।

हैरानी की बात यह है कि महंगाई की स्थिति भी विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है। सरकारी आंकड़े भी इसकी गवाही दे रहे हैं।

  • हरियाणा में महंगाई दर 6.04
  • बिहार में 6
  • उत्तराखंड में 5.75
  • उत्तर प्रदेश में 5.21
  • झारखंड में 4.09 फीसदी है।

यही हाल कई अन्य प्रदेशों का है। साफ है महंगाई दर में आई गिरावट पर सरकार को खुश होने की जरूरत नहीं है। यदि सरकार महंगाई पर अंकुश लगाना चाहती है तो उसे जरूरी समानों का मूल्य निर्धारित करना होगा और इन्हें बाजार व बिचौलिए के हवाले करने से बचना होगा। साथ ही बाजार में पूंजी प्रवाह को बढ़ाने के लिए रोजगार के नए साधनों का सृजन बेहद तेज गति से करना होगा।

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