संपादक की कलम से : घाटी में आतंक पर लगाम कब?

Sandesh Wahak Digital Desk : जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में कर्नल समेत तीन जांबाज शहीद हो गए। इसके पहले आतंकवादियों ने सेना के तीन जवानों को निशाना बनाया था। इस हमले में तीनों जवान शहीद हो गये थे। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े रेजिस्टेंस फ्रंट ने ली है।

सवाल यह है कि :-

  1. जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में अचानक तेजी क्यों आ गयी है?
  2. क्या घाटी में लगातार हो रहे आतंकियों के सफाए के कारण आतंकी संगठन बौखला गए हैं?
  3. पाकिस्तान से घुसपैठ करने वाले इन आतंकियों को प्रश्रय कौन दे रहा है?
  4. क्या आतंकियों के स्थानीय स्लीपर सेल एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं?
  5. क्या स्लीपर सेल को खत्म किए बिना आतंकियों का सफाया किया जा सकता है?
  6. क्या आतंकियों के खिलाफ एक और सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत सरकार को महसूस नहीं हो रही है?
  7. आखिर कब तक हमारे जवान आतंकियों की गोलियों का निशाना बनते रहेंगे?  

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद से ही पाकिस्तान के हुक्मरान, वहां की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन बौखलाए हुए हैं। यही नहीं सीमा पार से घुसपैठ करने वाले आतंकियों के लगातार हो रहे सफाए और जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास कार्यों से भी आतंकी संगठन परेशान हैं। वहीं पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुका है और वहां की जनता में अपने हुक्मरानों और सेना के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

पीओके में पाकिस्तान की नाम-मात्र की हुकूमत

पीओके में पाकिस्तान की नाम-मात्र की हुकूमत रह गयी है। अफगानिस्तान से भी उसके रिश्ते खराब होते जा रहे हैं। ऐसे में अपनी जनता का ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तान ने अपने पाले आतंकियों को फिर सक्रिय कर दिया है। पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों के जरिए दुनिया का ध्यान जम्मू-कश्मीर के प्रति आकृष्ट करना चाहता है। लिहाजा आतंकी समूह जम्मू-कश्मीर में कई रणनीति पर एक साथ काम कर रहे हैं। एक ओर वे टॉरगेट किलिंग के जरिए आम आदमी में दहशत पैदा करना चाहते हैं तो दूसरी ओर सेना पर बड़े हमले के जरिए अन्य आतंकी संगठनों को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं।

हालांकि सेना और पुलिस सुरक्षा के कारण अब कुछ जिलों तक ही आतंकवाद सीमित हो गया है लेकिन यह स्थिति भी बेहद खतरनाक हो चुकी है। सीमा पार से आने वाले आतंकी स्थानीय स्लीपर सेल की मदद से सेना और स्थानीय नागरिक को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अब तक इन्होंने कई निर्दोषों की जान ले ली है।

ऐसे में सरकार और सेना दोनों को आतंकियों के खिलाफ अपनी रणनीति बदलनी होगी। इनके खिलाफ व्यापक और घातक अभियान चलाना होगा। सरकार को यह समझना होगा कि इन आतंकियों को प्रश्रय देने वाले स्लीपर सेल को खत्म किए बिना जम्मू-कश्मीर में संपूर्ण शांति नहीं स्थापित होगी। आतंकियों के जड़ पर प्रहार करना होगा।

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