संपादक की कलम से: सबक क्यों नहीं सीखतीं सरकारें?

Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी के हाथरस में आयोजित एक सत्संग में भगदड़ (Hathras Stampede) के कारण अब तक 121 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि ढाई सौ से अधिक घायल हो चुके हैं। इस हादसे के बाद प्रदेश सरकार एक्शन में आई है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दे रही है। इस मामले की जांच को कमेटी भी गठित की गई है।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि :

  • धार्मिक व अन्य बड़े आयोजनों में भगदड़ जैसे हादसों पर नियंत्रण को कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जाते हैं?
  • इन हादसों से सरकारें सबक क्यों नहीं सीखती हैं?
  • क्या सिस्टम की लापरवाही के कारण हाथरस में यह हादसा हुआ?
  • इतनी बड़ी भीड़ को आयोजकों के भरोसे क्यों छोड़ा गया?
  • इतनी भारी भीड़ वहां कैसे और किसकी अनुमति पर पहुंची?
  • इतनी अधिक मौतों का जिम्मेदार कौन है?
  • क्या मुआवजे से अपनों को खोने वालों का दर्द को कम किया जा सकता है?
  • जिस समय सत्संग चल रहा था पुलिस-प्रशासन क्या कर रहा था?
  • प्रवचनकर्ता को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा सका?

भगदड़ की यह कोई पहली घटना नहीं है। देश भर में ऐसे कई आयोजनों में पूर्व में भगदड़ मच चुकी है और इनमें सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। बावजूद इसके सिस्टम में कोई सुधार नहीं आया। घटना के समय सरकार भी सक्रिय होती है लेकिन बाद में इसे एक दुर्घटना मानकर भुला दिया जाता है। कुछ दिन सरकार और विपक्ष की बयानबाजी चलती है और फिर सब शांत हो जाता है। कई सरकारें आईं और गईं लेकिन धार्मिक आयोजनों में भगदड़ न हो इसके लिए कोई ठोस पहल नहीं की गयी।

हाथरस की घटना इसी का परिणाम

यही नहीं पुलिस-प्रशासन भी ऐसे आयोजनों को कई बार गंभीरता से नहीं लेता है। हाथरस (Hathras Stampede) की घटना इसी का परिणाम है। मसलन आयोजकों ने केवल 80 हजार लोगों के सत्संग में शामिल होने की अनुमति ली थी लेकिन वहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या इससे कही अधिक थी। यही वजह है कि भगदड़ की स्थिति बनी और इसको रोका नहीं जा सका। हादसे के दौरान आयोजक और प्रवचनकर्ता के कारिंदे भाग खड़े हुए और लोग भीड़ में कुचलकर मरते रहे। भले ही सरकार ने दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आश्वासन दिया है लेकिन इससे क्या भगदड़ की पुनर्रावृत्ति नहीं होगी। सरकार को चाहिए कि वह इस समस्या का स्थायी हल निकाले और इसके लिए कार्ययोजना बनाए।

कम से कम सरकारों को विदेशों से इसकी सीख लेनी चाहिए जहां लाखों की भीड़ के बावजूद भगदड़ की स्थिति शायद ही कभी बनती है। इसके लिए सरकार को अपनी पुलिंसिंग व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा। पुलिस को भगदड़ रोकने के लिए खास प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता है। इसके अलावा सरकार को ऐसे आयोजनों की निगरानी करनी चाहिए। सरकार को समझना होगा कि यदि वह हादसों से सबक नहीं सीखती है तो यह समस्या निकट भविष्य में और भी भयावह रूप में हमारे सामने आ सकती है।

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