बच्चों को Mobile Phone से रखें दूर, ऑटिज्म के हो सकते हैं शिकार

जब छोटा बच्चा लगातार रोता रहता है और उससे उसके पेरेंट्स या अन्य परिवारजन के काम में व्यवधान होता है तो बच्चे को मोबाइल फ़ोन (Mobile Phone) थमा दिए जाते हैं।

Sandesh Wahak Digital Desk: जब छोटा बच्चा लगातार रोता रहता है और उससे उसके पेरेंट्स या अन्य परिवारजन के काम में व्यवधान होता है तो बच्चे को मोबाइल फ़ोन (Mobile Phone) थमा दिए जाते हैं। इससे बच्चा शांत बैठकर घंटों स्क्रीन के सामने बिताने लगता है। लेकिन यह बहुत कम लोगों को मालूम है कि इतनी कम उम्र में बच्चों को फोन थमाने से उनके मानसिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

माता पिता अक्सर कम उम्र में बच्चों में ऑटिज्म के लक्षणों को समाज के भय से नजरअंदाज कर देते हैं। कम उम्र में ही इसके संकेत दिखने शुरू हो जाते हैं। हाईपर एक्टिव यानी अत्यधिक चंचल होना इसका शुरुआती लक्षण होता है। कम उम्र में बच्चे जब 2 से 3 घंटे मोबाइल फ़ोन स्क्रीन (Mobile Phone Screen) पर समय देते हैं तो वे फोन के आदी होने लगते हैं। उनमें फोन के अलावा दूसरी चीजों की समझ कम हो जाती है। ऐसे में असामान्य व्यवहार, संज्ञात्मक कमी और भाषा का कम विकास आम समस्या है।

बच्चे गतिविधियां सीमित हो जाती हैं

बच्चे जब कम उम्र में अत्यधिक स्क्रीन टाइम देते हैं तो उनके न्यूरोनल चैनल का विकास नहीं होता हैं। जब बच्चे कोई भी गतिविधि खुद से करते हैं तो शरीर के एकाधिक न्यूरॉन चैनल काम आते हैं, जिससे उनकी देखने, सुनने और बोलने की शक्ति बढ़ जाती है। वहीं छोटे बच्चे जब केवल दिन भर फोन देखते हैं तो न्यूरोनल चैनल विभिन दिशाओं में काम नहीं कर पाते हैं जिसके फलस्वरूप बच्चे की गतिविधियां सीमित हो जाती हैं।

कम उम्र में ही होने लगते हैं चिड़चिड़े

2 से 5 वर्ष की आयु दिमाग के विकसित होने की होती है। इस उम्र में बाहरी और परिवार के लोगों से बातचीत, शारीरिक गतिविधियां, माइंड गेम यानी बुद्धि परक खेल इत्यादि बच्चों के दिमाग को तेज करते हैं। बच्चे जितनी ज्यादा गतिविधियां करेंगे उतने ही शरीर और दिमाग से तेज बनेंगे। फोन के आदी बच्चे थोड़ी देर फोन न मिलने पर चिड़चिड़े हो जाते हैं और मोबाइल (Mobile Phone) के लिए चिल्लाने और रोने लगते हैं।

बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण

  • बच्चे हमेशा फोन में वीडियो देखना चाहते हैं, गेम खेलते हैं और अपने आस-पास के वातावरण से दूर हो जाते हैं।
  • बच्चों का व्यवहार धीरे-धीरे असामान्य होने लगता है।
  • उम्र के अनुसार उनकी गतिविधियां कम होती हैं, न तो वे नजर मिलाकर बात करते हैं और न ही सही से शब्दों का उच्चारण कर पाते हैं।
  • एक ही गतिविधि बार-बार दोहराते है।

बच्चों में ऐसे लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान

  • हर थोड़ी देर में फोन मांगना।
  • माता-पिता व किसी से भी नजर न मिलाना।
  • नाम पुकारने पर अनसुना करना।
  • पूरे दिन वीडियो में आने वाले शब्दों को गुनगुनाना।
  • बोलने में देरी।
  • एक ही गतिविधि को दोहराना।
  • परिवारजन को न पहचानना।
  • रंग व आकार पहचानने में दिक्कत।

ऐसे बच्चों को खाने पीने के लिए क्या देना चाहिए?

  • चाइल्ड ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चों को खाने में हरी सब्जियां ताजे मौसमी फल थोड़े से सूखे मेवे दाल चावल रोटी सब्जी देनी चाहिए।
  • मांसाहार देना चाहते हैं तो सीमित मात्रा में मछली देना बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।
  • जंक फूड (नूडल्स, पास्ता, बर्गर इत्यादि बच्चों को बिल्कुल ना दें।
  • कोल्ड ड्रिंक से बच्चों को यथासंभव दूर रखें। ताजे फलों का जूस बच्चों को दें।
  • पैक्ड फूड मैटेरियल जैसे टोमेटो सॉस, नमकीन, कुरकुरे इत्यादि भी बच्चों से दूर ही रखें।

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