UP Politics: मायावती का खास प्लान, क्या NDA और INDIA गठबंधन को होगा नुकसान?

Sandesh Wahak Digital Desk: आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बसपा कड़ी मेहनत कर रही है. इसी क्रम में बसपा सुप्रीमों मायावती ने खास प्लान तैयार किया है. जिसके तहत पार्टी फिर से आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों पर फोकस करने जा रही है. अपने कैडर वोट को जोड़ने के लिए बसपा ने दलित बहुल क्षेत्रों में काम करने की रूपरेखा तैयार की है. बसपा अपने सोशल इंजीनियरिंग के साल 2007 के फॉर्मूले पर दोबारा से भरोसा करते हुए आगे बढ़ने की रणनीति बना रही है.

दरअसल, बसपा अलग-अलग क्षेत्र में कैडर कैंप का आयोजन कर रही है. इसके जरिए वो सर्व समाज के फॉर्मूले पर फोकस करना चाहती है. इस फॉर्मूले के तहत बसपा आर्थिक रूप से कमजोर तबके को जोड़ने के लिए प्रयासरत है. पदाधिकारियों को लक्ष्य दिए जा रहे हैं. बसपा के गांव चलो अभियान में इस वर्ग पर विशेष ध्यान रखा जाएगा.

इतना ही नहीं, पार्टी हर विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग-अलग योजना बना रही है. बीएसपी इस वक्त कैडर कैंप के जरिए दलित बस्तियों में भी कैंप कर रही है. इसके साथ ही हर विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग से कार्य योजना भी बना रही है. इसी कैंप के तहत बसपा युवाओं और महिलाओं को जोड़ने के साथ-साथ गरीब सवर्णों पर भी फोकस कर रही है.

बता दें कि साल 2007 में बसपा सत्ता में आई थी. इसके बाद से उसका वोट लगातार खिसकता जा रहा है. साल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को सिर्फ 1 करोड़ 18 लाख वोट मिले थे. वहीं, बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट पर ही जीत मिली थी. यूपी में दलित वोटरों की संख्या आज की स्थिति में लगभग 3 करोड़ है. मूल रूप से बसपा के कोर वोटर के तौर पर माने जाने वाले ये मतदाता धीरे-धीरे कर खिसकते जा रहे हैं.

बीते दिनों घोसी में हुए उपचुनाव में बसपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था. हालांकि, पार्टी ने नोटा दबाने की अपील की थी, लेकिन उसका वोट दूसरी जगह शिफ्ट हुआ था.

 

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