‘मेरे शब्द लिखकर रख लीजिए…’ PM मोदी ने लाल किले से क्यों दोहराई ये बात?

Sandesh Wahak Digital Desk: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली के लाल किले की प्राचीर से दिए भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को एकजुट होकर देश के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया. इस दौरान पीएम मोदी आत्मविश्वास के साथ कहा कि वर्ष 2047 तक देश को विकसित बनाना है. इस बीच उन्होंने अपने भाषण में दो बार कहा कि ‘मेरे शब्द लिखकर रख लीजिए.’ आइये जानते हैं कि पीएम मोदी ने क्या-क्या कहा?

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘बलिदान-तपस्या का व्यापक रूप आखिरकार 1947 में सफल हुआ. हजार साल की गुलामी में संजोए हुए सपने पूरे हुए. मैं हजार साल की बात इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि मैं देख रहा हूं कि फिर देश के सामने एक मौका आया है. हम ऐसे कालखंड में जी रहे हैं, हमारा सौभाग्य है कि भारत के अमृतकाल का यह पहला वर्ष है. या तो हम जवानी में जी रहे हैं या मां भारत की गोद में जन्म ले चुके हैं. मेरे शब्द लिखकर रख लीजिए, इस कालखंड में हम जो करेंगे, जो कदम उठाएंगे, त्याग करेंगे, तपस्या करेंगे, आने वाले एक हजार साल का देश का स्वर्णिम इतिहास उससे अंकुरित होने वाला है. इस कालखंड में होने वाली घटनाएं आगामी एक हजार साल के लिए प्रभाव पैदा करेंगी. देश पंच प्रण को समर्पित होकर एक नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है.’

पीएम मोदी ने कहा कि ‘आज भारत पुरानी सोच को पीछे छोड़कर चल रहा है. जब मैं कहता हूं ना कि जिसका शिलान्यास हमारी सरकार करती है. उसका उद्घाटन भी हमारे ही कालखंड में होता है. इन दिनों जो मैं शिलान्यास कर रहा हूं. आप लिखकर रख लीजिए, उनका उद्घाटन भी आप सब ने मेरे नसीब में छोड़ा हुआ है.’

उन्होंने कहा कि ‘सपने अनेक हैं, संकल्प साफ है, नीतियां स्पष्ट हैं, नीयत के सामने कोई सवालिया निशान नहीं है. लेकिन, कुछ सच्चाइयों को हमें स्वीकार करना पड़ेगा. उसके समाधान के लिए मेरे प्रिय परिवारजनों, मैं आज लाल किले से आपकी मदद मांगने आया हूं. मैं लाल किले से आपका आशीर्वाद मांगने आया हूं. पिछले वर्षों में जो देश को मैंने समझा, परखा है, अनुभव के आधार पर मैं कह रहा हूं कि आज हमें गंभीरतापूर्वक उन्हें देखना होगा.’

पीएम ने कहा कि ‘वर्ष 2047 में जब देश आजादी के सौ साल मनाएगा, उस समय दुनिया में भारत का तिरंगा, विकसित भारत का तिरंगा होना चाहिए. रत्ती भर भी हमें रुकना नहीं है, पीछे नहीं हटना है. इसके लिए शुचिता, पारदर्शिता, निष्पक्षता पहली जरूरत है. हम उस मजबूती को, जितना खाद-पानी संस्थाओं, परिवार, नागरिक के नाते दे सकें, हम दें. यह हमारा सामूहिक दायित्व होना चाहिए.’

 

Also Read: पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर किया बड़ा ऐलान, बोले- देश में बढ़ेगी जन औषधि केंद्रों की संख्या

Get real time updates directly on you device, subscribe now.