नगर निकाय चुनाव: परिवारवाद की आंच से भाजपा का झुलसना तय

यूपी में नगर निकाय चुनाव का बिगुल बजते ही टिकट के लिए सबसे अधिक मारामारी सत्ताधारी पार्टी भाजपा में है।

संदेशवाहक डिजिटल डेस्क। यूपी में नगर निकाय चुनाव का बिगुल बजते ही टिकट के लिए सबसे अधिक मारामारी सत्ताधारी पार्टी भाजपा में है। खासतौर पर महापौर पद के लिए टिकट की लाइन में बड़े बड़े दिग्गजों के नाम हैं। सरकार और संगठन से जुड़े कई बड़ों ने अपनों को टिकट दिलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। यूपी से लेकर दिल्ली दरबार तक सियासी आकाओं के यहां करीबी महापौर प्रत्याशियों के बायोडाटा पहुंच चुके हैं। ऐसे में परिवारवाद की आंच से भाजपा का खुद को बचाना टेढ़ी खीर साबित होने जा रहा है।
एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री योगी संग संगठन और सरकार के जिम्मेदारों ने निकाय चुनाव पर मंथन किया है। जिसमें मंत्रियों को परिवाद से दूर रहने की सलाह खुद मुख्यमंत्री योगी ने दी है। इसके बावजूद उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक का नाम लखनऊ में महापौर पद के संभावित चेहरों में तैर रहा है। सिर्फ यही नहीं महिला सीट होने से एमएलसी डॉ. दिनेश शर्मा की पत्नी लक्ष्मी शर्मा का नाम भी चर्चा में है।

लखनऊ में कैबिनेट मंत्रियों के परिजनों को टिकट मिलना मुश्किल

भाजपाई सूत्रों के मुताबिक यहां भी परिवारवाद की वजह से इनको टिकट मिलने की संभावना कम है। लखनऊ उत्तरी से भाजपा विधायक नीरज बोरा की पत्नी बिंदु बोरा हों या सुधीर हलवासिया की पत्नी माधुरी हलवासिया, दोनों की चाहत के बावजूद भाजपा का प्रदेश नेतृत्व इनको महापौर पद का प्रत्याशी घोषित करने की जल्दबाजी में नहीं है। वहीं मुलायम की बहू अपर्णा यादव भी इसी सूची में हैं। पूर्व राज्यसभा सांसद कुसुम राय का नाम लखनऊ की महापौर सीट की संभावित उम्मीदवारों में भाजपा में सबसे आगे चल रहा है। इसके पीछे लखनऊ से सांसद व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का हाथ माना जा रहा है।

रक्षामंत्री ने उम्मीदवारों की टटोली नब्ज

हाल ही में राजनाथ सिंह ने राजधानी आकर महापौर पद के लिए संभावित उम्मीदवारों की नब्ज टटोली थी। इस खांचे में कुसुम राय फिट नजर आयी थी। इसी कड़ी में अखिलेश दास गुप्ता की पत्नी अलका दास गुप्ता का नाम भी सियासी गलियारों में छाया है। इनके लिए परदे के पीछे से अपर मुख्य सचिव स्तर के कुछ अफसर अपने भाजपाई कनेक्शनों का इस्तेमाल करने में जुटे हैं। इनके नाम पर भी सहमति बनना इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि बीबीडी ग्रुप के ऊपर टेढ़ी हो रही केंद्रीय एजेंसियों की पैनी नजरों की पूरी जानकारी केंद्रीय नेतृत्व को भी है।

महिला मंत्रियों के नाम भी लखनऊ सीट के लिए आगे

सूत्रों के मुताबिक आरएसएस से निवर्तमान महापौर संयुक्ता भाटिया की बहू रेशू भाटिया का नाम आगे बढ़ाने के संकेत हैं। यही नहीं भाजपा में चंद महिला मंत्रियों के नाम भी लखनऊ सीट के लिए सियासी गलियारों में छाए हैं।

लखनऊ में ओबीसी फैक्टर भी नजरें

प्रदेश नेतृत्व इस बार लखनऊ नगर निगम की कमान सियासी तौर पर परिपक्व किसी महिला नेता को देने के मूड में नजर आ रहा है। मिशन 2024 को देखते हुए ऐसे कई प्रोफाइल भाजपा के पास आये भी हैं। वहीं ओबीसी फैक्टर को भी देखा जा रहा है। ऐसे में भाजपा से महापौर पद के लिए किसी अप्रत्याशित नाम का ऐलान भी हो सकता है।

कई महापौरों का टिकट कटेगा, अभिलाषा की उम्मीदवारी से मिलेगी परिवारवाद को हवा

यूपी में 17 में से 11 नगर निगमों के निवर्तमान महापौरों का टिकट कटने की पूरी संभावना है। इसमें जहां नए आरक्षण नियम का हवाला दिया जा रहा है, वहीं तमाम निवर्तमान महापौरों के खिलाफ ऐंटी इंकम्बेंसी फैक्टर भी जिम्मेदार है। प्रयागराज में कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता को इस बार भी महापौर पद के लिए उतारा जा सकता है। उनकी भेंट हाल ही में सीएम से भी हुई है लेकिन भाजपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो इससे परिवारवाद को हवा मिलेगी।

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