सियासी रसूख : राजा भैया पर दरियादिली दिखाने में माहिर है सीबीआई

डीएसपी हत्याकांड में कुंडा विधायक की भूमिका की जांच का हश्र अनाज घोटाले जैसा न हो

Sandesh Wahak Digital Desk : डीएसपी जिया उल हक की नृशंस हत्या के मामले में भले सुप्रीम कोर्ट ने कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर भले शिकंजा कसते हुए सीबीआई को उनकी भूमिका जांचने के निर्देश दिए हैं। लेकिन देश की शीर्ष जांच एजेंसी सीबीआई पहले से राजा भैया पर मेहरबान रही है। ऐसे में क्या इस बार निष्पक्ष जांच होगी, इस सवाल का जवाब भविष्य के गर्भ में है।

सबसे बड़ा मामला तो अरबों के अनाज घोटाले का है। तत्कालीन खाद्य रसद मंत्री राजा भैया के पीआरओ रहे राजीव यादव ने हाल ही में कहा कि घोटाले में राजा भैया की पत्नी और कई सारे जनप्रतिनिधि भी शामिल है। यादव ने सुप्रीम कोर्ट में डायरी में दर्ज 100 करोड़ की अवैध रकम के रिकार्ड भी दिए। 2014 में प्रतापगढ़ निवासी मनोज कुमार त्रिपाठी की याचिका पर हाईकोर्ट ने राजा भैया और उनके सहयोगियों के खिलाफ साक्ष्यों पर गौर करने के निर्देश सीबीआई को दिए थे।

सीबीआई को घोटाले की काली कमाई से खरीदी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया

इसके बावजूद सीबीआई ने कोई कार्रवाई नहीं की। 23 मई 2012 को राजा भैया के पीआरओ रहे राजीव यादव ने सीबीआई के विवेचक को डायरी के 14 मूल पन्ने सौंपे। जिसमें अफसरों द्वारा वसूली गयी काली कमाई का ब्योरा दर्ज था। यादव ने 2011 में ही सीबीआई को घोटाले की काली कमाई से खरीदी गयी सम्पत्तियों का ब्योरा भी दिया था।

काली कमाई के जरिये लखनऊ, इलाहाबाद और दिल्ली समेत कई शहरों के पॉश इलाकों में सम्पत्तियां खरीदी गयी थीं। नोएडा के अरबपति चीफ इंजीनियर रहे यादव सिंह से भी रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का कनेक्शन जुड़े होने की शिकायत सीबीआई से हुई। अनाज घोटाले से हासिल तकऱीब ढाई सौ करोड़ की काली कमाई यादव सिंह, यूफ्लेक्स ग्रुप के मालिक अशोक चतुर्वेदी, मुंबई के बिल्डर मसरूर अहमद और इलाहाबाद के अनिल तुलसियानी के पास निवेश की गयी थी। सीबीआई ने जांच ही नहीं की।

आईपीएस जसवीर सिंह ने लिखे थे तीन पत्र

फूड सेल में तैनात रहे तत्कालीन एसपी (अब एडीजी) जसवीर सिंह ने तत्कालीन सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा को तीन पत्र भी लिखे थे। जिसमें राजा भैया के ऊपर अनाज घोटाले को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। जसवीर ने सीबीआई द्वारा स्वयं से पूछताछ की न सिर्फ गुहार लगाई थी बल्कि गवाही को भी तैयार थे। इसके बावजूद सीबीआई ने राजा भैया को अनाज घोटाले में क्लीनचिट से ही नवाजा।

सरकारें मेहरबान, अफसरों में भी दहशत

यूपी में राजा भैया पर सरकारें भी शुरू से मेहरबान रही हैं। राजा भैया के ऊपर भले आधा सैकड़ा गंभीर मुकदमें दर्ज हैं। फिर भी योगी सरकार ने 33 माफियाओं की सूची से राजा भैया को बाहर कर रखा है। इसे राजा भैया की दहशत कहें या प्रशासनिक मजबूरी, राजा भैया के प्रतापगढ़ में पुलिस कप्तान भी चंद महीनों का ही मेहमान रहता है फिर उसका या तो तबादला हो जाता है या फिर वो खुद ही छुट्टी पर चला जाता है।

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