संपादकीय: एक और युद्ध की आहट

संदेशवाहक डिजिटल डेस्क। रूस-यूक्रेन की जंग अभी समाप्त भी नहीं हुई कि दुनिया पर एक और युद्ध के बादल मंडराने लगे हैं। यह आहट अब ताइवान और चीन के बीच बढ़ते तनाव के चरम पर पहुंचने के साथ सुनाई दे रही है। ताइवान पर कब्जा करने की चीनी मंशा ने दुनिया के देशों के लिए चिंता उत्पन्न कर दी है। दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका का हस्तक्षेप कभी भी युद्ध को भड़का सकता है।

सवाल यह है कि

  • चीन, ताइवान पर कब्जा क्यों करना चाहता है?
  • छोटे और स्वतंत्र देशों को बलपूर्वक हथियाने की नीति पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है?
  • संयुक्त राष्ट्र बड़े देशों के मामले में लाचार क्यों हो जाता है?
  • क्या किसी भी शक्तिशाली देश को निरंकुश और विस्तारवादी होने की छूट दी जा सकती है?
  • क्या छोटे-छोटे देशों को युद्ध की आग में झोंकने की चाल चलकर अमेरिका अपने हितों को साधने की कोशिश कर रहा है?
  • क्या अमेरिकी हस्तक्षेप दुनिया में समस्याओं को घटाने की बजाए बढ़ाने का काम कर रहा है?

चीन और ताइवान के बीच तनाव काफी पुराना है। सात दशक पहले चीन से पलायन कर लोकतांत्रिक नेता ताइवान द्वीप पहुंचे थे और यहां लोकतांत्रिक शासन की स्थापना की। बावजूद इसके चीन, ताइवान पर अपना दावा करता रहा है। चीन की कम्युनिस्ट सरकार का कहना है कि यह उनका हिस्सा है और इसे पाने के लिए वे ताकत का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

सेनाओं ने युद्धाभ्यास के बहाने ताइवान को चारों ओर से घेर रखा

इसी लाइन पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग चल रहे हैं। वहीं अमेरिका, चीन को कूटनीतिक और सैन्य रूप से पछाड़ने के लिए ताइवान को सुरक्षा की गारंटी देता रहा है। ताइवान और अमेरिका के बढ़ते संबंधों को लेकर चीन न केवल चौकन्ना है बल्कि वह इस क्षेत्र पर जल्द से जल्द कब्जा करना चाहता है। लिहाजा उसकी सेनाओं ने युद्धाभ्यास के बहाने ताइवान को चारों ओर से घेर रखा है। इसकी प्रतिक्रिया में अमेरिका ने अपने युद्धपोत मिलियस को ताइवान जलडमरूमध्य के लिए रवाना कर दिया है।

ताइवान भी चीन से दो-दो हाथ करने को तैयार है। ऐसे में इस क्षेत्र में युद्ध की आशंका बढ़ गयी है। चीन का दुस्साहस रूस-यूक्रेन युद्ध पर विश्व शक्तियों के खामोश होने के कारण बढ़ गया है। चीन को लगता है कि यदि वह ताइवान पर हमला करेगा तो अमेरिका या अन्य शक्तियां विरोध नहीं करेंगी लेकिन अमेरिका की पहलकदमी से साफ है कि यहां वह यूक्रेन वाली नीति न अपनाकर सीधे चीन को टक्कर देने की रणनीति पर चल रहा है।

दुनिया एक और युद्ध के मुहाने पर

ताइवान में अमेरिका के हित हैं और यहां से वह चीन पर आसानी से अंकुश रख सकता है। इसके विपरीत अमेरिका का यूक्रेन में कोई सीधा हित नहीं है। यहां वह हथियारों को बेचकर न केवल मालामाल हो रहा है बल्कि रूस को युद्ध में उलझाकर उसकी आर्थिक स्थिति को कमजोर करने में जुटा है। ऐसे में यदि चीन, ताइवान पर कब्जा करने की रणनीति पर आगे बढ़ता है, जैसा दिख रहा है तो दुनिया एक और युद्ध के मुहाने पर है।

Also Read :- संपादकीय : पूछताछ से परेशानी क्यों?

Get real time updates directly on you device, subscribe now.