फिर निकला राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाले का ‘जिन्न’, हरदोई में फर्जीवाड़े पर विजिलेंस ने दर्ज किया केस

Sandesh Wahak Digital Desk/Abhishek Srivastava: राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के नाम पर हुए 1600 करोड़ के घोटाले का जिन्न फिर बाहर निकला है। विजिलेंस ने लखीमपुर के बाद अब हरदोई के 85 गांवों में कराये गए कार्यों में करोड़ों का घोटाला पकड़ा है। पहले जहां इस घोटाले में एलएंडटी कंपनी का नाम आया था, वहीं इस बार नोएडा की रिलायंस इनर्जी लिमिटेड पर शिकंजा कसा है। विजिलेंस ने लखनऊ सेक्टर थाने में हरदोई के तत्कालीन जेई बैजनाथ सिंह, नरेश सिंह, एसडीओ देवेंद्र प्रसाद जोशी, अमजद अली, प्रमोद आनंद समेत रिलायंस इनर्जी के प्रोजेक्ट मैनेजर अशोक कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार, गबन और आपराधिक साजिश का मुकदमा दर्ज किया है।

विजिलेंस के निरीक्षक विकास चंद्र मिश्रा ने बताया कि योजना में पॉवर कार्पोरेशन ने रिलायंस इनर्जी नोएडा को टेंडर जारी किया था। विजिलेंस ने दर्ज एफआईआर में 85 गांवों के विद्युतीकरण में 1 करोड़ 31 लाख 52 हजार 888 रुपयों के घोटाले का जिक्र किया है। भुगतान नियमों के विपरीत हुआ। इसके साथ ही विजिलेंस जांच में हरदोई में कराये गए सेक्शनलाइजर, स्टोन पैड, डेंजर बोर्ड और अर्थिंग वायर से जुड़े कार्यों के साथ ही 33/11 केवी न्यू सबस्टेशन बनाने में भी कमियां मिली हैं।

छोटे इंजीनियर फंसे, आईएएस नहीं, मधु कोड़ा से जुड़े हैं तार

विजिलेंस ने 12 से ज्यादा जिलों में अरबों के फर्जीवाड़ों वाली इस योजना में अभी तक लखीमपुर, ललितपुर, झांसी में घोटाला पाए जाने पर मुकदमें पूर्व में दर्ज किये थे। बिजली विभाग के छोटे इंजीनियरों को छोडक़र पावर कार्पोरेशन में तैनात रहे एक भी आईएएस जांच के शिकंजे में नहीं फंसे हैं। इस घोटाले में कई आईएएस भी फंसे हैं। एक आईएएस बाद में मुख्य सचिव की कुर्सी पर भी बैठे। घोटालेबाज कंपनी आईवीआरसीएल के तार झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा से जुड़े हैं।

राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाले में विजिलेंस सख्त, ईडी मेहरबान

लखनऊ यूपी पावर कार्पोरेशन में 1600 करोड़ के राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाले की कलंक कथा लिखने वाले भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई में वर्षों का समय लग रहा है। जिससे घोटाले के साक्ष्य भी मिटने की पूरी संभावना है। यही नहीं विजिलेंस भले कई जिलों में घोटाले का खुलासा करके एफआईआर दर्ज करा रही है।

लेकिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अफसर मनी लांड्रिंग के इस खेल में हाथ पर हाथ धरे लम्बे समय से बैठे हैं। ईडी ने अभी तक सिर्फ झांसी में हुए घोटाले के मामले में पीएमएलए एक्ट के मुताबिक केस दर्ज किया है। जबकि उक्त घोटाले में शामिल कंपनियों के तार घोटालेबाज झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा तक से जुड़े हैं।

झांसी विजिलेंस इंस्पेक्टर अजीत शर्मा ने पांच जुलाई 2019 को नवाबाद थाने में तत्कालीन एक्सईएन लोकेश कुमार, जेई योगेंद्र सिंह, शशिवेंद्र, भगवंत सिंह, हरीश कुमार, जंग सिंह, एई अनुभव कुमार, प्रदीप कुमार सिन्हा और मेसर्स आइबीआरसीएल हैदराबाद के खिलाफ धोखाधड़ी, साजिश रचने व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।

ईडी ने दर्ज किया था मनी लांड्रिंग का केस

विजिलेंस ने मुकदमा तो दर्ज किया लेकिन जांच के नाम पर आगे कोई कारवाई नहीं की। इसी मुकदमे की आधार बना वर्ष 2021 में ईडी ने बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता समेत नौ बिजली कर्मियों के खिलाफ मनीलांड्रिंग का केस दर्ज किया है। सभी के खिलाफ झांसी में योजना के तहत करोड़ों रुपये घोटाले का आरोप है। झांसी जिले के 144 गांवों में वर्ष 2005-06 में विद्युतीकरण से जुड़ा काम करवाया गया था।

ललितपुर, लखीमपुर खीरी में दर्ज मामले में ईडी ने नहीं की कार्रवाई

मनी लांड्रिंग के दर्ज मुकदमे में करीब ढाई साल बाद भी ईडी ने नामजद आरोपियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की। न ही किसी भी आरोपी अवैध संपत्ति को अटैच किया गया और न ही छापेमारी की गयी। इसके साथ ही ललितपुर और लखीमपुर में भी सामने आए विद्युतीकरण घोटाले में ईडी ने आज तक मनी लांड्रिंग का मुकदमा दर्ज नहीं किया। घोटाले की तह तक जाना तो दूर ईडी ने न ही मुकदमे दर्ज किए और न ही कोई ठोस कार्रवाई की।

हाईकोर्ट हुआ था सख्त, पूछा था क्यों नहीं की गिरफ्तारी

झांसी में करोड़ों का घोटाला सामने आने के बाद वर्ष 2021 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई थी। घपले की वसूली करने व विजिलेंस जांच पूरी करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से प्रगति रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने पूछा था कि अब तक क्या तथ्य इक_ा किए गए हैं। यदि जमानत पर नहीं हैं तो क्या अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। यदि गिरफ्तार नहीं किया गया है तो क्या कारण है।

राष्ट्रपति के अनुमोदन पर शुरु हुई थी योजना

अपर सचिव मिनिस्ट्री ऑफ पावर श्रम शक्ति भवन नई दिल्ली ने 18 मार्च 2005 को राष्ट्रपति के अनुमोदन पर वर्ष 2005-2006राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना की शुरुआत की थी। योजना के तहत ग्रामीण विद्युतीकरण एवं हाउस होल्ड विद्युतीकरण आने वाले पांच साल में सभी को दिए जाने, आरईसी के माध्यम से किए जाने और योजना में 90 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान है। काम की जिम्मेदारी यूपीपीसीएल को दी गई।

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