निकाय चुनाव में BJP के नए प्रयोगों की अग्निपरीक्षा, धर्मपाल सिंह की प्रतिष्ठा भी दांव पर

उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में इस बार भाजपा (BJP) ने कई नए प्रयोग किये हैं।

Sandesh Wahak Digital Desk। उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में इस बार भाजपा (BJP) ने कई नए प्रयोग किये हैं। प्रदेश भाजपा के संगठन शिल्पी कहे जाने वाले सुनील बंसल के बाद अब प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह ने इस बार पूरी तरह न सिर्फ मोर्चा सम्भाला है बल्कि नए प्रयोगों को भी हरी झंडी दिखाई है। इस बार निकाय चुनाव में भाजपा के नए प्रयोगों की न सिर्फ अग्निपरीक्षा होगी बल्कि महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह की प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी। इन्ही प्रयोगों के दम पर भाजपा मिशन 2024 का सेमीफाइनल करार दिए जाने वाले निकाय चुनाव में बड़ी सफलता के इन्तजार में है। ऐसा होने पर धर्मपाल का कद और भी ऊंचा होना तय है।

भाजपा फिलहाल हर उस शख्स पर दांव लगाने को तैयार हैं जो चुनाव जीत सकने की हैसियत में है। इसका नजारा आखिरी वक्त में शाहजहांपुर से सपा उम्मीदवार अर्चना वर्मा (SP candidate Archana Verma) को तोडक़र भाजपा (BJP) से टिकट देने में दिखा। भाजपा के इस नए प्रयोग के पीछे संगठन के जिम्मदारों की फुलप्रूफ प्लानिंग काम कर रही है। भाजपा के नए संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह के लिए निकाय चुनाव लिटमस टेस्ट (Litmus test) की तरह है।

BJP
प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह

परिवारवाद से दूर होना चाहती है भाजपा

संगठन में चुपचाप काम करने वाले धर्मपाल सिंह ने खतौली की हार और रामपुर की जीत से मिले सबक को लेकर निकाय चुनाव में नए प्रयोगों को अमलीजामा पहनाया है। संगठन के जिम्मेदारों ने कई मौजूदा महापौरों को जबरदस्त पैरवी के बावजूद टिकट की रेस से काफी दूर कर दिया। इनमें से तमाम के ऊपर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप भी थे। ये परिवारवाद के आरोपों से भाजपा को दूर रखने की मजबूत कवायद है। इस कड़ी में प्रयागराज से निवर्तमान महापौर और कैबिनट मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता और अयोध्या के ऋषिकेश उपाध्याय शामिल हैं। उपाध्याय पर अयोध्या में जमीन घोटाले का आरोप लगा था।

300 से ज्यादा मुस्लिम चेहरों पर BJP का बड़ा दांव

निकाय चुनाव में इस बार 300 से ज्यादा मुस्लिम चेहरों पर भाजपा ने दांव लगाकर नया प्रयोग किया है। गोला गोकर्णनाथ और रामपुर में कई पोलिंग बूथ पर भाजपा को सपा से भी ज्यादा मुस्लिम वोट मिले थे। इसी आधार पर भाजपा ने मुस्लिमों को लेकर बड़े प्रयोग करते हुए निकाय चुनाव में तीन गुना टिकट बांटें। आजमगढ़, रामपुर, बिजनौर, अंबेडकरनगर और अमरोहा जैसे जिलों में नगर पालिका अध्यक्ष (Municipal President) और नगर पंचायत के लिए भी मुस्लिम उम्मीदवारों पर संगठन की ओर से भरोसा जताया गया है।

माफियाओं को मिट्टी में मिलाने की कार्रवाई को भुनाएगी भाजपा

सीएम योगी ने जिस अंदाज में पश्चिमी यूपी से निकाय चुनाव की सभाएं शुरू करते हुए माफियाओं के खिलाफ मिट्टी में मिला देने की कार्रवाई को मुद्दा बनाया है। उससे तय है कि अतीक अहमद, अशरफ से लेकर असद तक की मौत को भाजपा इस चुनाव में भुना लेना चाहती है। उमेश हत्याकांड (Umesh Murder Case) के बाद सरकार की कार्रवाई को व्यापक जनसमर्थन मिला है। अतीक और अशरफ की हत्या पर विपक्षी दलों के सवाल भी आम जनता की बेरुखी से हवा में उड़ गए।

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