आरटीओ के कई बाबुओं के रसूख के आगे दम तोड़ रही तबादला नीति

सरकार ने हाल ही में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की तबादला नीति जारी की है। इसके बाद से ही पांच से लेकर सात वर्ष से अधिक समय से तैनात बाबुओं को लेकर चर्चा शुरू हो गई कि इस बार भी इनका तबादला होगा कि नहीं। वहीं वर्षों से तैनात ये बाबू तबादले से बचाने की जुगाड़ में लग गए हैं।

Sandesh Wahak Digital Desk: प्रदेश सरकार की तबादला नीति चाहे जैसी हो, लखनऊ के आरटीओ कार्यालय में वर्षो से तैनात कई बाबुओं पर इसका कोई असर नहीं होता। पिछले कई वर्षो से कई बाबू आरटीओ कार्यालय में अंगद के पैर की तरह अपना पैर जमाए हुए हैं। पता नहीं कितनी तबादला नीति आई और गई, पर आरटीओ के इन बाबुओं का जलवा आज भी बरकरार है। जानकारों का कहना है कि इन बाबुओं को परिवहन विभाग के आलाधिकारियों का आशीर्वाद मिला हुआ है।

सरकार ने हाल ही में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की तबादला नीति जारी की है। इसके बाद से ही पांच से लेकर सात वर्ष से अधिक समय से तैनात बाबुओं को लेकर चर्चा शुरू हो गई कि इस बार भी इनका तबादला होगा कि नहीं। वहीं वर्षों से तैनात ये बाबू तबादले से बचाने की जुगाड़ में लग गए हैं।

कइयों के खिलाफ तो चल रही विजिलेंस जांच

सूत्रों का कहना है कि यह बाबू इतने शक्तिशाली है कि कार्यालय के हर काम में इन्हीं बाबुओं की चलती है। कई बाबुओं के खिलाफ तो आय से अधिक संपत्ति की विजिलेंस जांच तक चल रही है। शासन से दो बार रिपोर्ट तलब की गई, लेकिन ऊपर तक इनकी पहुंच के चलते किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है। कइया के पास तो पेट्रोल पंप तक हैं। इनकी संपत्ति का किसी को अंदाजा नहीं है।

तीन वर्ष बाद हो जाना चाहिए तबादला

नियमानुसार तीन वर्ष बाद ही तबादला हो जाना चाहिए। लखनऊ के आरटीओ कार्यालय से तीन वर्ष से अधिक समय की तैनाती के बाद कई बाबुओं का तबादला किया जा चुका है, लेकिन इन बाबुओं का नहीं हुआ है। खास बात यह भी है कि आरटीओ कार्यालय में तैनात चहेते बाबुओं की रिपोर्ट जब तबादला नीति के दौरान मांगी जाती है तो अधिकारी सही जानकारी देने में ही खेल कर देते हैं। अटैचमेंट को लेकर गुमराह कर दिया जाता है।

वर्षों से तैनात बाबुओं के नाम

  • आरटीओ कार्यालय में प्रधान सहायक अखिलेश चतुर्वेदी 8 जून 2018 से जमे हुए हैं।
  • प्रधान सहायक विनय कुमार शाही साल 2017 से लखनऊ आरटीओ कार्यालय में कार्यरत हैं।
  • प्रधान सहायक विनय कुमार मिश्रा ने भी 7 जून 2018 को बाराबंकी से लखनऊ कार्यालय ज्वाइन किया तब से यहीं पर हैं।
  • प्रधान सहायक श्रीप्रकाश मालवीय 23 अगस्त 2017 से लखनऊ आरटीओ कार्यालय में तैनात हैं।
  • आशुलिपिक अरुण यादव लखनऊ में पांच फरवरी 2019 से कार्यरत हैं।
  • वरिष्ठ सहायक दिनेश प्रताप सिंह दो जून 2018 से यहां तैनात हैं।
  • वरिष्ठ सहायक पंकज कुमार सिंह एक जुलाई 2017 से लखनऊ में सेवाएं दे रहे हैं।
  • वरिष्ठ सहायक किशनचंद का 16 जुलाई 2017 को रायबरेली से आरटीओ लखनऊ में तबादला हुआ।

तबादला सूची में एआरएम वित्त का नाम गायब

उत्तर प्रदेश राज्य सडक़ परिवहन निगम अपने अधिकारियों और कर्मचारियों की तबादला सूची बनाने में लगा हुआ है। तबादला नीति के अनुसार 30 जून तक तबादला किया जाना है। तबादले को लेकर अधिकारियों में बैचेनी है। यहीं वजह है कि वे जुगाड़ में लग गए हैं। यहीं वजह है कि तैयार हो रही तबादला सूची पर परिवहन विभाग के अफसरों ने ही आपत्ति की है। उनका कहना है कि इसमें एआरएम वित्त का नाम नहीं शामिल है। पांच सदस्यीय कमेटी तबादले को लेकर निर्णय लेगी। जो तबादला सूची बन रही है, उसमें परिवहन निगम में सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक वित्त के पद पर कई अफसर तैनात हैं। इनमें से केवल छह अफसरों से ही मनपंसद तीन क्षेत्रों के नाम मांगे गए है। इसके बाद अन्य अफसरों ने अपत्ति जताई है।

उनका कहना है कि इसके इतर पांच वर्ष से अधिक समय से तैनात एआरएम वित्त के नाम सूची में शामिल नहीं किए गए हैं। मुख्य प्रधान प्रबंधक प्रशासन राम सिंह वर्मा का कहना है कि तीन वर्ष से अधिक समय से तैनात अफसरों की सूची तैयार की गई है।

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