UP: अरबों के घोटालों की काली कमाई लोकसभा चुनाव में खपेगी

यूपी के बड़े आर्थिक अपराधों में शामिल रसूखदार अफसरों और नेताओं की मनी लांड्रिंग पर ईडी की दरियादिली

Sandesh Wahak Digital Desk : आर्थिक अपराधों की कमर तोडऩे के लिए प्रवर्तन निदेशालय अर्थात ईडी का गठन हुआ है। इसके बावजूद यूपी के बड़े घोटालों में हुई मनी लांड्रिंग पर ईडी की नजरें या तो टेढ़ी नहीं हो रही हैं या फिर जांचें फाइलों में दफन करा दी गई हैं। लोकसभा चुनाव निकट है। घोटालों का कालाधन लोकसभा चुनाव में खपने का अंदेशा है।

सबसे पहले बात अरबों के रिवर फ्रंट घोटाले की, समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में अंजाम दिए गए इस घोटाले में ईडी ने अभी तक बड़े अफसरों और इंजीनियरों की अकूत सम्पत्तियों पर सिर्फ दरियादिली ही दिखाई है। तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी तक नहीं हुई। एक और पूर्व मुख्य सचिव भी इस घोटाले की अहम कड़ी हैं। घोटाले में ईडी को 36 चेहरों पर शिकंजा कसना था। अगला नंबर मनरेगा घोटाले का है। ईडी इस घोटाले में सिर्फ केस दर्ज करके बैठी है।

मनरेगा घोटाले में तमाम आईएएस और पीसीएस अफसर फंसे

जबकि मनरेगा घोटाले में तमाम आईएएस और पीसीएस अफसर फंसे हैं। जिलों के डीएम की संलिप्तता भी नहीं जांची गयी। बारी अब खनन घोटाले की है। जिसमें तकरीबन एक दर्जन आईएएस सीबीआई की एफआईआर में नामजद थे। ईडी की मनी लांड्रिंग जांच सिर्फ तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति तक सीमित है। आईएएस अभय सिंह के बुलंदशहर डीएम रहते सरकारी बंगले से सीबीआई ने 50 लाख बरामद किये थे।

मनी लांड्रिंग की जांच तो ईडी ने आजतक शुरू ही नहीं की

इसके बावजूद ईडी ने आईएएस अफसरों के खिलाफ खनन घोटाले की जांच में पूरी तरह नरमी बरती हुई है। हजारों करोड़ के अनाज घोटाले में मनी लांड्रिंग की जांच तो ईडी ने आजतक शुरू ही नहीं की। इस घोटाले में तत्कालीन खाद्य रसद मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया समेत कई बड़ों की गर्दन फंसी है। जिन नौ एसडीएम के खिलाफ सीबीआई ने प्रारम्भिक जांच के बाद एफआईआर की थी। उनमें से अधिकांश प्रमोट होकर आईएएस बनकर मलाईदार पदों पर तैनात हैं। ईडी ने इन अफसरों की बेनामी सम्पत्तियों को खंगालना कभी मुनासिब नहीं समझा।

बारी अब 1600 करोड़ के राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाले की है। सिर्फ झांसी जिले में नामजद इंजीनियरों के खिलाफ पीएमएलए ऐक्ट के तहत केस दर्ज करके ईडी अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। घोटाले की आंच कई बड़ी कंपनियों तक आ रही है। जिनमें से एक कम्पनी एलएंडटी तो राम मंदिर का निर्माण तक संभाल रही है। लैकफेड घोटाले के बड़े आरोपियों पर भी आज तक मेहरबानी बरकरार है।

आयकर विभाग की जांच रिपोर्ट पर भी मारी कुंडली

आयकर विभाग ने बीते वर्षों में जितने रसूखदारों के बेनामी साम्राज्य की रिपोर्ट ईडी को सौंपी है। उनमें से अधिकांश के खिलाफ मनीलांड्रिंग का केस तक दर्ज करना मुनासिब नहीं समझा गया। वहीं जिन आईएएस अफसरों का कच्चा चिटठा आयकर विभाग की बेनामी इकाई ने खोला, उनके खिलाफ भी पीएमएलए ऐक्ट के तहत कार्रवाई नहीं शुरू की गयी।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.