यूपी मलेरिया विभाग : होनी थी 79 फर्जी कार्मियों की बर्खास्तगी, मिल रहा करोड़ों का वेतन

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: एक तरफ जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएं हैं। वहीं दूसरी तरफ उनके अफसर दोषियों पर दरियादिली दिखाते हैं। सटीक उदाहरण स्वास्थ्य विभाग की मलेरिया यूनिट में फर्जी तरीके से हुआ 79 लोगों का विनियमितीकरण घोटाला है। निदेशक प्रशासन की जांच रिपोर्ट शासन के अफसरों की फाइलों में धूल फांक रही है। अभी तक घोटाले की फाइल गायब होने पर एफआईआर भी नहीं दर्ज कराई गयी है। करोड़ों रुपयों का सालाना वेतन उन कर्मचारियों को दिया जा रहा है, जिनको अवैध नियुक्ति पर अभी तक बर्खास्त हो जाना चाहिए था। दोषियों में एक पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक भी हैं।

राजा गणपति आर

दरअसल स्वास्थ्य विभाग की मलेरिया यूनिट में विनियमितीकरण घोटाले की जांच रिपोर्ट पिछले वर्ष निदेशक प्रशासन राजा गणपति आर ने प्रमुख सचिव को कार्रवाई की संस्तुतियों के साथ भेजी थी। जांच में फर्जीवाड़ा साबित होने के बाद पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक समेत पांच अफसरों-कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई और सभी अवैध नियुक्तियों की बर्खास्तगी के साथ वेतन वसूली की सिफारिश इसमें शामिल थी। मलेरिया विभाग के अफसरों के गैंग ने प्रति व्यक्ति अवैध नियुक्ति कराने की एवज में लाखों की वसूली को अंजाम दिया था। चंद दिन काम करने वाले संविदा कर्मियों को भी विनियमितीकरण शासनादेश की धज्जियां उड़ाते हुए स्थाई नौकरियां बांटी गयी थी।

विभाग में इन कर्मचारियों को 2001 से 2016 तक दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्य करना चाहिए था। लेकिन एक भी कर्मी ने इतनी अवधि तक विभाग में सेवाएं नहीं दी।

डॉ. पद्माकर सिंह

तत्कालीन स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. पद्माकर सिंह  के समय भर्ती घोटाले की नींव रखी गयी थी। उन्होंने दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को नियमित करने के लिए निदेशक संचारी के पद पर आयीं डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी को पांच सदस्यीय कमेटी का अध्यक्ष बनाया था। जिन्होंने इस नियुक्ति फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। शासन से घोटाले की शिकायत के बाद निदेशक प्रशासन की अध्यक्षता में जांच कमिटी का गठन किया गया। जांच में घोटाले की पुष्टि के बाद तत्कालीन निदेशक संचारी डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी (बाद में कार्यवाहक डीजी हेल्थ भी बनी), तत्कालीन अपर निदेशक मलेरिया अरुण प्रकाश सिन्हा, संयुक्त निदेशक मलेरिया डीबी मिश्रा, वरिष्ठ सहायक जीसी जोशी और कनिष्ठ सहायक प्रशांत श्रीवास्तव जांच में दोषी करार दिए गए।

कदम-कदम पर मनमानी, फर्जी कर्मियों के आश्रित भी पाए नियुक्तियां

जिन दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को वर्ष 2000 में ही मलेरिया यूनिट से निकाल दिया गया था। उन्हें घर से बुलाकर नियमित नियुक्तियां अफसरों ने दी। विभाग में 14 दिन, एक माह और एक साल भी जिसने दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम किया। अफसरों ने उसे भी फर्जी तरीके से नियमित नियुक्तियां दे डाली। 2019 से अभी तक इन 79 फर्जी नियुक्ति पाए कर्मियों ने करोड़ों का वेतन हासिल किया है। जिन फर्जी कर्मियों की मृत्यु हो गयी, उनके आश्रितों को भी नौकरी दे दी गयी। निदेशक प्रशासन ने सभी से वेतन वसूली की सिफारिश की थी। लेकिन अभी तक वेतन वसूली और बाकी कार्रवाई नहीं हुई।

निदेशक प्रशासन की रिपोर्ट पर चुप्पी, जिम्मेदार बोलने को तैयार नहीं

शासन और स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अफसर विनियमितीकरण घोटाले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। तभी स्वास्थ्य विभाग के एक जिम्मेदार अफसर ने कहा कि दो बार आपत्तियां शासन ने मांगी थी। जिनका निस्तारण करते हुए फ़ाइल शासन भेज दी गयी है। वहीं शासन के अफसर इस मामले में कुछ भी सीधे तौर पर कहने से हिचक रहे हैं। उनके मुताबिक दोषी रिटायर हो चुके हैं। नियमों के मुताबिक उनके खिलाफ कार्रवाई अब संभव नहीं है।

घोटाले की फाइल गायब, एफआईआर भी नहीं

विनियमितीकरण घोटाले से जुडी फाइल तक मलेरिया यूनिट से गायब करा दी गयी है। निदेशक प्रशासन राजा गणपति आर ने स्वास्थ्य महानिदेशक से फाइल गायब किये जाने पर एफआईआर की सिफारिश भी की। मलेरिया विभाग के अफसरों ने तहरीर भी तैयार की। लेकिन एफआईआर अभी तक नहीं कराई जा सकी।

अपने हक के लिए खटखटाया कोर्ट का दरवाजा

विनियमित न हो पाने वाले कई पूर्व संविदा कर्मियों ने अपने हक के लिए कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है। उन्होंने अपनी नियुक्ति न करने के लिए अफसरों को जिम्मेदार ठहराते हुए अवमानना की कार्यवाही करने की अर्जी कोर्ट से की है। इन पूर्व कर्मचारियों का साफ तौर पर कहना है कि एक मलेरिया इंस्पेक्टर ने भर्ती की एवज में खूब वसूली की है। सभी फर्जी कर्मियों की तत्काल बर्खास्तगी करके पुन: हमारे जैसे पात्र लोगों को विनियमित किया जाना चाहिए। घोटाले की जानकारी डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को भी है। उनके कैम्प के एक कर्मचारी को नियुक्त कराने के लिए योगी 1.0 के स्वास्थ्य मंत्री ने अफसरों से सिफारिश भी की थी।

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