Time रहते इन आदतों को सुधारें, अन्यथा चालीस के बाद होगा ये कष्टकारी रोग
आजकल के समय (Time) व दिनचर्या में मेहनत और व्यायाम धीरे-धीरे कम होता चला जा रहा है और हम बैठे-बैठे ही सारे काम को करना चाहते हैं।
Sandesh Wahak Digital Desk। आजकल के समय (Time) व दिनचर्या में मेहनत और व्यायाम धीरे-धीरे कम होता चला जा रहा है और हम बैठे-बैठे ही सारे काम को करना चाहते हैं। यह कितना गलत है जिसकी कल्पना हम भी नहीं कर नहीं सकते। उम्र बढ़ने के परिणामस्वरूप धीरे-धीरे हमारे चलने फिरने की क्षमता कम हो जाती है। दिन भर बैठे रहने की आदत पड़ जाती है और फिर चारपाई या पलंग पर लेटे रहने की आदत बन जाती है जो एक भयानक स्थिति है। इसी को सार्कोपेनिया (Sarcopenia) कहते हैं। सार्कोपेनिया से बचने की कोशिश करें। इसके लिए 40+ और 50+ लोगों को क्या करना चाहिए, इस बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करते हैं।
खड़े होने की आदत को विकसित करना उचित है। यदि ज्यादा देर खड़े नहीं हो सकते हैं तो बैठ जाएं परंतु तुरंत लेट मत जाए। वहीं, यदि आपने पहले कभी व्यायाम नहीं किया है और अचानक से 40 साल के बाद टहलना घूमना या व्यायाम करना शुरू कर देंगे तो शुरू-शुरू में घुटनों में बहुत दर्द होगा। लेकिन अगर मांसपेशियों की पर्याप्त ताकत है और धीरे-धीरे दौड़ने, साइकिल चलाने और चढ़ने की आदत विकसित हो जाती है, तो यह एक अच्छा व्यायाम हो सकता है और आपके घुटनों को चोट नहीं पहुंचाएगा।
Time to Time गतिविधि से करें परहेज
अगर कोई बुजुर्ग बीमार और अस्पताल में भर्ती है, तो अस्पताल से डिस्चार्ज कराने के बाद घर आने पर उन्हे और अधिक आराम करने के लिए न कहें बल्कि बुजुर्गों को हल्का फुल्का चलने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए जिससे उनके मांसपेशियों में थोड़ी बहुत ताकत बनी रहे। जब आप पार्क में जाएं तो रोजाना एक ही तरह की गतिविधि न करें। जब आप अपने पैर भी हिला सकते हैं तो केवल अपने हाथों को ही ना हिलाएं। पैरों की भी कसरत करें क्योंकि जब तक एक व्यक्ति चलता है, तब तक पूरे शरीर की सभी मांसपेशियां शामिल होंगी।
कम से कम 20 बार करें स्क्वाट
सरकोपेनिया रोग ऑस्टियोपोरोसिस से भी ज्यादा भयानक है। ऑस्टियोपोरोसिस में केवल सावधान रहने की आवश्यकता है कि आप गिरें नहीं, जबकि सरकोपेनिया न केवल जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है बल्कि अपर्याप्त मांसपेशियों के कारण उच्च रक्त शर्करा का कारण बनता है।
सरकोपेनिया का सबसे तेज नुकसान पैरों की मांसपेशियों में होता है क्योंकि जब कोई व्यक्ति बैठता है या लेटता है, तो पैर नहीं चल रहे होते हैं और पैरों की मांसपेशियों की ताकत प्रभावित होती है। इसलिए दिन में कम से कम 20 बार स्क्वाट करें। स्क्वाट मतलब नीचे बैठना नहीं है बल्कि अपने घर के ऊंची कुर्सी पर उठना बैठना है।
यथासाध्य ऊपर और नीचे सीढ़ियाँ चढ़ना उतरना, हल्का फुल्का दौड़ना, साइकिल चलाना और ऊपर चढ़ना सभी बेहतरीन व्यायाम हैं और मांसपेशियों को बढ़ा सकते हैं।
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