पर्यावरण में बदलाव के लिए अपनी आदतों में करें बदलाव, सही उपयोग का समझें तरीका

कुछ लोग एसी का तापमान 18-19 डिग्री कर कंबल ओढ़कर सोते हैं। इससे न केवल बिजली की खपत बढ़ती है बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित होता है।

Sandesh Wahak Digital Desk: कुछ लोग एसी का तापमान 18-19 डिग्री कर कंबल ओढ़कर सोते हैं। इससे न केवल बिजली की खपत बढ़ती है बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। कई शोध बताते हैं कि घर में एसी का तापमान 24-28 डिग्री सबसे अच्छा होता है। ऐसे ही जिनके घर में बाइक-कार है तो 100 मीटर भी उसी से जाते हैं। उपभोग के तरीकों पर भी हमें सोचना होगा कि क्या हम इनका सही तरीके से उपयोग कर रहे हैं।

जब संस्कार और आदत सिखाने की बात आती है तो सारा फोकस बच्चों पर होता है। बुजुर्ग कहते हैं कि अब तो हमारी उम्र हो चली, आने वाली पीढ़ी पर ध्यान दें जबकि वयस्क अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त रहते हैं। बच्चों में संस्कार या आदत अपने बड़ों के देखने से आते हैं। बच्चों को शब्दों से नहीं खुद प्रैक्टिकल कर दिखाएं।

बच्चें को ऐसे दें पर्यावरण शिक्षा

  • जब भी समय मिले या फिर सप्ताह में एक बार बच्चों के साथ घर या आसपास पौधे लगाएं। उससे पौधों में खाद-पानी डलवाएं। उनके महत्व बताएं। इससे वे पर्यावरण प्रेमी बनेंगे।
  • स्कूलों-घरों में रिसाइकल से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर फोकस होना चाहिए।
  • पढ़ाई में भी इसे शामिल करें। क्रॉफ्ट के लिए नए पेपर की जगह अखबार दें। नई चीजें बार-बार खरीदने की जगह उनमें क्रिएटिव बदलाव करें।
  • पानी के महत्त्व को उदाहरणों से समझाएं। पानी के नल बंद करना, शावर में कम नहाना, ब्रश करते समय नल खोलकर न रखना और बोतल में बचे पानी को पौधों में डालना सिखाएं।
  • शेयरिंग की आदत बनाएं ताकि बच्चे हर बार नई चीज की डिमांड नहीं करें। पुराने कपड़े और खिलौने जरूरतमंदों को दिलवा सकते हैं।
  • किसी दिन खुद से घर में नो प्लास्टिक यूज डे भी मनाएं। उसी दिन घर से झोला या स्टील की बोतल आदि का ही प्रयोग करें। इससे भी जागरूकता आएगी। हां, अच्छा करने पर बच्चों की तारीफ करना न भूलें।

देखा-देखी से बचें

आजकल देखा-देखी में बिना जरूरत की चीजें खरीदने का चलन बढ़ा है। दिखावे के लिए कपड़ा, गैजेट्स यहां तक की कार और घर भी लोग खरीद लेते हैं। सेल्फी और इंस्टा के लिए ऐसे फूड्स खरीद लेते हैं और उन्हें फोटो के बाद छोड़ दिया जाता है जो देखने में अच्छे होते हैं लेकिन स्वाद नहीं आता है। छोटा परिवार है लेकिन बड़ी गाड़ियां खरीद लेते हैं। इसकी कीमत प्रकृति को चुकानी पड़ती है। एक तरफ डीजल-पेट्रोल का दोहन और दूसरी तरफ पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है।

रिसाइकिल का उपयोग बढ़ाएं

दुनियाभर में हर एक मिनट में 10 लाख से अधिक प्लास्टिक की बोतलें बनती हैं और इनमें 10% भी रिसाइकल नहीं हो पाती हैं। रिसाइकल ऐसा शब्द है जो बहुत सी चीजों को बेकार होने से बचाकर न केवल पैसे की बचत कराता है बल्कि कूड़ा भी कम होता है। जैसे एक जींस पुरानी या थोड़ी फटी है तो बेकार नहीं है। इसका बैग, शॉटर्स आदि जरूरत की चीजों के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसको फेकने से कूड़ा होगा। ऐसे ही सिंगल यूज प्लास्टिक और अन्य चीजें भी हैं। सोच के तरीकों को बदलने हाेंगे। हमें किसी चीज को खारिज करने की जगह उसकी अन्य उपयोगिता को ध्यान में रखना होगा।

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