LIPOMA से घबराएँ नहीं बल्कि सही कदम उठायें… नहीं तो हो सकती हैं ये समस्याएँ

अधिकांश युवकों या युवतियों होती हैं जिनके शरीर पर इधर-उधर कई जगह गांठें (LIPOMA) निकली हुई रहती है जैसे कमर के पास, हाथों में, पेट पर, पीठ पर, जांघों पर आदि।

Sandesh Wahak Digital Desk: अधिकांश युवकों या युवतियों होती हैं जिनके शरीर पर इधर-उधर कई जगह गांठें (LIPOMA) निकली हुई रहती है जैसे कमर के पास, हाथों में, पेट पर, पीठ पर, जांघों पर आदि। अक्सर उनको यह घबराहट होती है कि कहीं यह कैंसर तो नहीं? इस बात को लेकर आपको घबराना नहीं हैं बल्कि सही कदम उठाना है। इस प्रकार की गाठोँ को ‘लाईपोमा’ (LIPOMA) यानी नरम गांठ कहते हैं। वैसे तो यह अधिकतर किसी को भी बहुत ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, परंतु देखने के लिहाज से यह बहुत भद्दे लगते हैं और कभी-कभी उनमें दर्द भी होता है। अतः उनकी चिकित्सा अत्यंत आवश्यक है।

LIPOMA यानि नरम गांठ क्या है?

लाइपोमा चर्बी की मुलायम गांठ होती है जो त्वचा के नीचे पायी जाती है। ये ज़्यादातर छोटी और पीड़ाहीन होती है और इससे स्वास्थ को कोई हानि नहीं पहुचती है। ये काफी आम परेशानी है और 100 में से 1 इंसान में पायी जाती है।

कारण- इसका कोई निश्चित कारण नहीं होता है। अगर परिवार में किसी को यह समस्या है तो और लोगों को भी हो सकती है। कभी कभी चोट लगने के बाद भी लाइपोमा बन जाता है।

लक्षण- त्वचा पर उठी हुई गांठें एक या उससे ज़्यादा भी हो सकती है जो छूने में मुलायम होती है और त्वचा के अंदर इधर-उधर घूमती है। ये ज़्यादातर गर्दन, कंधों, हाथों और कमर पर होती है लेकिन ये शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकती है। गांठ के अलावा और कोई लक्षण नहीं होता। लेकिन कभी कभी दबाव डालने पर दर्द हो सकता है।

रोकथाम- लाइपोमा (LIPOMA) का कोई स्पष्ट कारण पता नहीं है इसलिए इससे बचने का कोई तरीका नहीं है। यह किसी को भी ही सकता है। चिकित्सक गांठ की जांच करके बता देते हैं की यह लाइपोमा है। कभी कभी कैंसर की शंका दूर करने के लिए बायोप्सी कराई जाती है। सिर्फ होमियोपैथी में ही इन गांठों का बहुत बेहतर इलाज है बशर्ते धैर्यपूर्वक दवा खाई जाय । चूंकि होमियोपैथी लक्षणो पर आधारित एक चिकित्सा पद्धति है अतः किसी भी प्रकार से दवा के सेवन से पूर्व होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें क्योंकि चिकित्सक ही पावर एवं पोटेन्सी निर्धारित करके औषधि दे सकते हैं।

दवा

सिर्फ होमियोपैथी में ही इन गांठों का बहुत बेहतर इलाज है बशर्ते धैर्यपूर्वक दवा खाई जाय। चूंकि होमियोपैथी लक्षणो पर आधारित एक चिकित्सा पद्धति है, अतः किसी भी प्रकार से दवा के सेवन से पूर्व होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें क्योंकि चिकित्सक ही पावर एवं पोटेन्सी निर्धारित करके औषधि दे सकते हैं।

जटिलताएँ- कभी कभी ये कैंसर में बदल सकता है परंतु यह बहुत ही कम होता है। अगर गांठ किसी तंत्रिका के पास हो जाये तो दर्द हो सकता है।

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