डीएसपी जिया उल हक हत्याकांड: कुंडा विधायक राजा भैया की भूमिका की होगी जांच, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

Sandesh Wahak Digital Desk : पत्नी से तलाक मामले में सुर्खियां बटोर रहे कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की मुश्किलें जल्द बढ़ेंगी। इस बार सुप्रीम कोर्ट ने राजा भैया के खिलाफ तल्ख़ तेवर अपनाते हुए दस वर्ष पहले प्रतापगढ़ में नृशंस तरीके से मारे गए डीएसपी जिया उल हक की हत्या में उनकी भूमिका की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया है। डीएसपी की पत्नी की ओर से दायर याचिका पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को रद कर दिया है।

क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए जांच जारी रखने का आदेश

हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी। ट्रायल कोर्ट ने राजा भैया और उनके चार साथियों के खिलाफ सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए जांच जारी रखने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि हमारे विचार में उच्च न्यायालय ने पुन: जांच और आगे की जांच के बीच एक अति तकनीकी दृष्टिकोण अपनाया है। न्यायालय ने माना कि विशेष सीबीआई अदालत का 8 जुलाई 2014 का आदेश पुन: जांच के समाने है।

कुंडा के ग्राम प्रधान की हत्या के बाद एकत्र हुए सैकड़ों लोगों की भीड़ में से राजा भैया का करीबी बताए जाने वाले व्यक्ति ने डीएसपी को गोली मार दी थी। सीबीआई की तरफ से क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद डीएसपी की पत्नी परवीन आजाद ने उसी वर्ष विरोध याचिका दायर की थी। इस संबंध में मजिस्ट्रेट ने आगे की जांच का आदेश दिया। यह दोबारा जांच से अलग मामला है। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने दो आरोप पत्र दायर किए और उनके पति की हत्या में 14 आरोपियों और 85 गवाहों को सूचीबद्ध किया। इनमें से 36 प्रमुख गवाहों के बयान दर्ज ही नहीं किए गए और राजा भैया व अन्य को क्लीन चिट दे दिया गया।

महत्वपूर्ण तथ्यों की अनदेखी की गयी: परवीन आजाद

याचिका में डीएसपी की पत्नी परवीन आजाद ने आरोप लगाया कि सीबीआई ने राजा भैया की भूमिका की ओर इशारा करने वाले महत्वपूर्ण तथ्यों की अनदेखी की है। उन्होंने सवाल किया कि पुलिस टीम ने उनके पति को कैसे अकेले छोड़ दिया। इतनी भीड़ में किसी अन्य पुलिसकर्मी को कोई चोट नहीं आई। उन्होंने कहा कि उनके पति रेत खनन और अन्य दंगों के मामलों की जांच संभाल रहे थे। इसमें राजा भैया और उनके सहयोगियों की भी भूमिका थी। यह लोग उनके पति को खत्म करना चाहते थे। उन्होंने सीबीआई की चार्जशीट पर भी सवाल उठाए।

ट्रायल कोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने किया बहाल

ट्रायल कोर्ट के फैसले को फिर से बहाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आगे की जांच का निर्देश देने में मजिस्ट्रेट की ओर से कोई त्रुटि प्रतीत नहीं होती है। निचली अदालत के आदेश में सीबीआई को उस समय यूपी सरकार में मंत्री रहे राजा भैया, कुंडा नगर पंचायत के तत्कालीन अध्यक्ष गुलशन यादव और कुंडा विधायक के तीन सहयोगियों हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह और गुड्डू सिंह की भूमिका की जांच के लिए कहा था।

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