संपादकीय: Corruption पर सियासी गोलबंदी

भ्रष्टाचार (Corruption) के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्यवाहियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह बयान कि कोई भी भ्रष्टाचारी नहीं बचना चाहिए, अपने पीछे सवालों की लंबी फेहरिस्त छोड़ गया है।

संदेशवाहक डिजिटल डेस्क। भ्रष्टाचार (Corruption) के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्यवाहियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह बयान कि कोई भी भ्रष्टाचारी नहीं बचना चाहिए, अपने पीछे सवालों की लंबी फेहरिस्त छोड़ गया है। सवाल यह है कि…

  • सीबीआई की हीरक जयंती के मौके पर पीएम ने यह बयान क्यों दिया?
  • क्या यह उन लोगों के लिए संदेश है जो भ्रष्टाचार में लिप्त होने के बावजूद खुद को क्लीन चिट देते हैं या सत्ता पक्ष पर आरोप लगाते हैं कि वह एजेंसियों का विपक्ष के खिलाफ दुरुपयोग कर रहा है?
  • क्या भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लडऩे की तैयारी कर रही है?
  • वे कौन लोग हैं जो देश को अंदर ही अंदर खोखला कर अपनी तिजोरियां भर रहे हैं?
  • क्या एजेंसियों के खिलाफ विपक्ष की गोलबंदी नकारात्मक असर डालेगी?
  • क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए?
  • क्या अदालतें बिना सबूतों के भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे लोगों को जमानत नहीं दे रही हैं या उन्हें जेल से बाहर नहीं जाने दे रही हैं?

विपक्ष भाजपा पर एजेंसियों के दुरुपयोग करने का लगाती है आरोप

लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2019) के पहले भ्रष्टाचार (Corruption) के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियां ईडी और सीबीआई (Central agencies ED and CBI) ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही हैं। कई क्षेत्रीय दलों के नेता और मंत्री इसकी चपेट में आ चुके हैं। कुछ सलाखों के पीछे तो कुछ जमानत पर हैं। अधिकांश नेता या मंत्री भाजपा से इतर दलों के हैं। ये सभी दल सत्तारूढ़ भाजपा पर एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। ऐसे में पीएम मोदी का यह बयान सियासी कम मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ सरकार की ओर से जांच एजेंसियों को खुली छूट का प्रतीक है। यह इस बात का भी प्रतीक है कि देश और लोकतंत्र को कमजोर करने वाले भ्रष्टाचारियों को अब किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह सत्ता पक्ष से जुड़ा हो या विपक्ष से। यह नीति उस दिन से शुरू हो गयी थी जब मोदी ने देश की कमान संभाली थी। नोटबंदी से लेकर तमाम कड़े फैसले इसको ध्यान में रखकर लिए गए।

कई मंत्रियों और नेताओं के निशाने पर केंद्रीय एजेंसियां

पिछले नौ साल में कई बड़े घोटालों का पर्दाफाश हुआ। कई राज्यों में सत्तासीन सियासी दलों के नेताओं और मंत्रियों को एजेंसियों ने बेनकाब किया है। ऐसे में इनके निशाने पर केंद्रीय एजेंसियां (Central agencies)आ गयी हैं। वे एजेंसियों पर तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि जिन लोगों को पकड़ा गया है वे यदि पाक-साफ हैं तो सलाखों के पीछे क्यों हैं?

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई आम जनता को पसंद

ऐसे में आम आदमी में यह संदेश जा रहा है कि कुछ दल भ्रष्टाचार (Corruption) की जंग में साथ नहीं देना चाहते हैं और उनकी कथनी व करनी में अंतर साफ दिख रहा है। विपक्ष को यह बात समझ क्यों नहीं आ रही है कि आम आदमी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को तहेदिल से पसंद कर रहा है और यदि सियासी दलों ने अपने आचरण में बदलाव नहीं किया तो इसका खामियाजा उसे आम चुनाव में भुगतना पड़ेगा जबकि मोदी इसी नब्ज को पकडक़र चल रहे हैं। वहीं, भ्रष्टाचार तभी खत्म होगा जब इसके खिलाफ सभी एकजुट होंगे।

Also Read: संपादकीय: चिंता का सबब है ऐसी घटनाएं

Get real time updates directly on you device, subscribe now.