संपादकीय: चिंता का सबब है ऐसी घटनाएं
पिछले कुछ अरसे से अक्सर ऐसी खबरें सामने आती रहती हैं कि इंसानी आबादी के बीच जंगली जानवर आ जाते हैं।
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संदेशवाहक डिजिटल डेस्क। पिछले कुछ अरसे से अक्सर ऐसी खबरें सामने आती रहती हैं कि इंसानी आबादी के बीच जंगली जानवर आ जाते हैं। इन जानवरों के आबादी में आ जाने से अक्सर लोग दहशत में आ जाते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि इंसान और जानवर की ये मुलाकात काफी घातक साबित होती है और इंसान को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ता है।
आखिर क्या वजह है कि…
- अब जंगली जानवरों की चहलकदमी इंसानी बस्तियों में बढ़ती जा रही है?
- क्या वास्तव में जंगली जानवर रास्ता भटककर इंसानी बस्तियों का रुख कर रहे हैं या वजह कुछ और है?
- कौन किसके क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहा है?
इसको लेकर भी लोगों की राय अलग-अलग हो सकती है लेकिन ये सच है कि आज जंगली जानवरों जैसे बाघ और तेंदुआ आदि की इंसानी आबादी में घुसने की खबर सामने आती रहती है। ताजा मामला राजधानी से सटे जिला बाराबंकी से है। पिछले कुछ दिनों से यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में एक तेंदुआ स्थानीय लोगों के बीच दहशत का पर्याय बना हुआ है। वह अभी तक वन विभाग के अधिकारियों के हाथ नहीं लगा है। इस तेंदुए के हमले से कुछ लोगों के घायल होने की बात भी सामने आ रही है। सवाल फिर वही उठता है कि ऐसा क्यों?
![तेंदुए के हमले से घायल ग्रामीण](https://www.thesandeshwahak.com/wp-content/uploads/2023/04/leopard-in-barabanki.jpg)
दरअसल, इंसान की जरूरत का दायरा इतना बढ़ गया है कि अब उसने अपने और जंगल के बीच की सीमा भी लांघ दी है। पारिस्थितिकी और जैव विविधता की कसौटियों और अनिवार्यताओं को समझने वाले तमाम लोग यह जानते हैं कि एक ओर जहां मनुष्य का जीवन अनमोल है, वहीं पशुओं और खासतौर पर विलुप्तप्राय जीवों का संरक्षण प्राकृतिक संतुलन के लिए जरूरी है। लेकिन इस मामले में सरकार से लेकर आम लोगों तक की लापरवाही के अलावा अवैध रूप से जानवरों का शिकार करने वाले गिरोहों की ओर से जंगल और उसके आसपास के इलाकों में ऐसे माहौल बनाया जा रहा है कि पशुओं के भीतर असुरक्षा की स्थिति में आक्रामक प्रवृत्ति में इजाफा हो रहा है।
हालांकि वन्यजीव खुद ही अपने लिए सहज और प्राकृतिक पर्यावास की ओर रुख करते हैं। लेकिन इस क्रम में उनका सामना इंसानी आबादी से होता है। बचाव की कोशिश में हुए संघर्ष की वजह से नाहक ही जान जाने के हालात पैदा होते हैं। कभी जंगली इलाकों का दायरा वृहद था और इंसानी बस्तियों की भी सीमा थी। तब मनुष्य और पशु, दोनों को अपनी जीवन स्थितियों में एक दूसरे से बहुत बाधा नहीं आती थी। लेकिन आबादी के दबाव के साथ ही कृषि भूमि का विस्तार, शहरीकरण और औद्योगीकरण में वृद्धि के मकसद से जंगलों की कटाई की वजह से वनक्षेत्र घटता जा रहा है। इसी वजह से बाघ, तेंदुआ और हाथी जैसे कुछ पशुओं के अक्सर इंसानी बस्तियों की ओर चले जाने और मनुष्यों पर हमले की घटनाएं बढ़ रहीं हैं। जरूरत यह है कि जंगल क्षेत्रों के आसपास रहने वाली इंसानी आबादी को वन्यजीवों की प्रकृति और पारिस्थितिकी संतुलन में उनकी अनिवार्यता के बारे में जागरूक किया जाए।