फर्जीवाड़ा: शासन को भेजी रिपोर्ट में NHM को गड़बडिय़ों का जिम्मेदार बता रहे UPMSCL के एमडी

गड़बडिय़ों का सारा ठीकरा एनएचएम (NHM) के सर फोड़ा जा रहा है। ऐसे में निष्पक्ष जांच पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।

संदेशवाहक डिजिटल डेस्क/मनीष श्रीवास्तव। करोड़ों के एचआईवी और हेपेटाइटिस सी एलाइजा किट फर्जीवाड़े (Forgeries) के कई राज अभी खुलने बाकी हैं। फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद शासन ने यूपीएमएससीएल के एमडी (MD of UPMSCL) की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है। कमेटी में कार्पोरेशन के अफसरों को भी शामिल किया गया है। जबकि खुद कार्पोरेशन के एमडी ने शासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में ऐसा करने से मना किया था। खैर कार्पोरेशन के एमडी की प्रारम्भिक रिपोर्ट भी बड़ी गजब है। जिसमें गड़बडिय़ों का सारा ठीकरा एनएचएम (NHM) के सर फोड़ा जा रहा है। ऐसे में निष्पक्ष जांच पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।

Uttar Pradesh

किटों की खरीद चार करोड़ से ऊपर होने के चलते कार्पोरेशन के बोर्ड के अध्यक्ष तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद (Chief Secretary Amit Mohan Prasad) से भी इस फर्जीवाड़े का अनुमोदन अफसरों ने लिया था। जिससे जांच शुरू होने पर असली खिलाडिय़ों तक आंच न आ पाए। संदेश वाहक के खुलासे पर अफसर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।

Uttar Pradesh: एचआईवी और हेपेटाइटिस किट खरीद में करोड़ों का फर्जीवाड़ा

यूपीएमएससीएल के एमडी जगदीश ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि प्राप्त मांग पत्र में यूनिट शब्द लिखा है, जिसे कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है। एनएचएम को क्रयादेश के बारे में समय-समय पर बताया गया, लेकिन कोई जानकारी नहीं दी गयी। रिपोर्ट में कहा गया है कि एनएचएम (NHM) के अफसर 96 यूनिट का एक किट मान रहे हैं।

जांच के लिए कार्पोरेशन और NHM के अफसर इसमें शामिल क्यों?

लाख टके का सवाल है कि अगर यूनिट में कोई गलतफहमी थी तो आखिर एनएचएम के ब्लड सेल सर्विसेज अनुभाग से कार्पोरेशन ने कोई सम्पर्क क्यों नहीं किया। एमडी जगदीश ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा है कि जांच के लिए उच्च पदस्थ तकनीकी अधिकारी की अध्यक्षता में प्रश्नगत सामग्री के विषय विशेषज्ञ सदस्यों का गठन किया जाना चाहिए। निष्पक्ष जांच के लिए कार्पोरेशन और एनएचएम (NHM) के अफसरों को इसमें शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

जांच कमेटी गठित, उठे सवाल

एमडी के अलावा जांच कमेटी में शासन के संयुक्त सचिव अजीज अहमद, स्वास्थ्य विभाग के वित्त नियंत्रक मुकेश कुमार जैन और कार्पोरेशन के वित्त नियंत्रक संजीव गुप्ता को शामिल किया गया है। इससे पहले कार्पोरेशन के पूर्व वित्त नियंत्रक महामिलिन्द लाल ने भी किटों की खरीद को नियमों के विपरीत करार दिया था। उन्हें अतिरिक्त चार्ज का नाम देकर हटा दिया गया। जबकि सूडा के वित्त नियंत्रक संजीव गुप्ता को भी अतिरिक्त चार्ज ही मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन में सौंपा गया।

करोड़ों की एचआईवी व हेपेटाइटिस-सी किटें हुईं एक्सपायर

सूत्रों के मुताबिक करोड़ों की किटें एक्सपायर हो चुकी हैं। इन्हे लखनऊ के सबसे बड़े ट्रांसपोर्टनगर के वेयर हाउस में रखा गया है। जब वेयरहाउस मैनेजमेंट की प्रबंधक सुगंधा शर्मा से पूछा गया कि कितनी एक्सपायरी किटें यहां रखी हैं और किन किन जिलों ने किटों को वापस किया है तो उन्होंने दफ्तर में न होने का हवाला देते हुए कुछ भी बताने से मना कर दिया। ट्रासंपोर्ट नगर के फार्मासिस्ट ने पिछले वर्ष नवंबर में ही लिखा था कि किटों की एक्सपायरी मार्च 2023 में है। साथ ही किटों के परिवहन में कोल्ड चेन नहीं मेंटेन की गयी है। गहराई से जांच में मामले की असल तस्वीर सामने आयेगी।

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