संपादक की कलम से: जल प्रबंधन पर करना होगा फोकस

Sandesh Wahak Digital Desk: देश में भूगर्भ जल का स्तर लगातार घट रहा है। अंधाधुंध हो रहे जल दोहन का परिणाम सतह पर दिखने लगा है। तमाम शहरों में जल संकट की स्थिति बन चुकी है। गर्मी की आहट के साथ कई शहरों में पेयजल की किल्लत होने लगी है। वहीं दूसरी ओर जल प्रबंधन का मुद्दा न सियासी दलों के एजेंडे में दिख रहा है न ही सरकार इस पर गंभीर पहल करती दिख रही है। यह स्थिति तब है जब बढ़ती आबादी के साथ पेयजल की मांग में भारी इजाफा हो चुका है।

सवाल यह है कि :

  • पेय जल संकट से निपटने के लिए सरकार कोई ठोस पहल क्यों नहीं कर रही है?
  • सैकड़ों नदियों और भरपूर मानसून वाले भारत में पानी की किल्लत क्यों उत्पन्न हुई?
  • आखिर देश में जल प्रबंधन की कोई कार्ययोजना जमीन पर क्यों नहीं दिखती है?
  • क्या जनभागीदारी के बिना इस विकट समस्या से निपटा जा सकता है?
  • रेन वॉटर हार्वेस्टिंग योजना क्यों कागजी बनकर रह गयी है?
  • क्या लोगों को स्वच्छ और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध करना सरकार की जिम्मेदारी नहीं है?
  • जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक क्यों नहीं किया जा रहा है?

भारत ही नहीं पूरी दुनिया में स्वच्छ पेयजल का संकट गहराता जा रहा है। भारत में जल संकट की स्थिति खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। सिंचाई से लेकर पेयजल तक में भूगर्भ जल का इस्तेमाल किया जाता है। आबादी बढऩे के कारण इसकी मांग काफी बढ़ गयी है। केवल शहरों की बात करें तो यहां प्रतिवर्ष 17 फीसदी की दर से आबादी बढ़ रही है। इसका सीधा असर भूगर्भ जल पर पड़ रहा है। अधिकांश लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए इसी जल का इस्तेमाल किया जाता है।

भूगर्भ जल का स्तर कभी भी शून्य पर पहुंच सकता

इसके कारण भूगर्भ का खजाना खाली हो रहा है। हालात यह है कि कई शहर डार्क जोन में जा चुके हैं यानी यहां भूगर्भ जल का स्तर कभी भी शून्य पर पहुंच सकता है। यही वजह है कि गर्मी के दिनों में विभिन्न शहरों के तमाम हैंडपंप सूख जाते हैं और हर साल पानी का स्तर कई इंच नीचे चला जाता है। सच यह है कि प्रकृति केंद्रित विकास नहीं होने के कारण ये हालात पैदा हुए हैं।

सरकार ने कंक्रीट के शहर बसा दिए लेकिन यहां बसने वाले लोगों को जीवनदायी जल उपलब्ध कराने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनायी। भूगर्भ जल को निकाला तो जा रहा है लेकिन इसको रिचार्ज करने की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं की गयी। हालांकि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लागू किया गया है लेकिन यह जमीन पर आज तक उतर नहीं सकी है।

वहीं वर्षा जल को अपनी जड़ों के जरिए जमीन के नीचे पहुंचाने वाले पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने भी प्राकृतिक तरीके से भूगर्भ जल को रिचार्ज करने की व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है। यदि यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में लोगों को पानी के एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ सकता है। इस समस्या से तभी निपटा जा सकेगा जब सरकार जल प्रबंधन की ठोस योजना को जमीन पर उतारे और लोगों को इसके संरक्षण के लिए भी जागरूक करे।

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