Health News: लाइफस्टाइल को आधुनिक बनाने के फेर में बिगड़ रही किडनी की सेहत
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Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: पहले 50 वर्ष की आयु के बाद किडनी में संक्रमण के मामले अस्पतालों की चौखट पर दस्तक देते थे। अब महज 15 से 25 वर्ष की आयु के युवाओं में भी किडनी संक्रमण तेजी से बढ़ा है। लाइफस्टाइल को आधुनिक बनाने के फेर में युवा अपनी किडनी की सेहत लगातार बिगाड़ रहे हैं।
लखनऊ के बड़े अस्पतालों की ओपीडी में ऐसे मामलों में तेजी देखी जा रही है, जिसमें कम उम्र के दौरान ही युवाओं की किडनी बदलने की नौबत तक आ गयी। हालांकि केजीएमयू, लोहिया और पीजीआई जैसे बड़े स्वास्थ्य संस्थानों के डॉक्टरों के मुताबिक शरीर को सुडौल बनाने के खातिर युवाओं द्वारा अतिरिक्त प्रोटीन के रूप में सप्लीमेंट्स से लेकर एंटीबायोटिक और पेन किलर समेत कई दवाओं का सेवन भी इसके लिए जिम्मेदार है। अस्पतालों की ओपीडी में तकरीबन दस फीसदी ऐसे मरीज शामिल हैं।
युवाओं की लाइफस्टाइल भी इसके लिए अहम जिम्मेदार
हाल ही में केजीएमयू में करीब आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे केसेज सामने आये, जिसमें युवाओं ने बॉडी बनाने की चाहत में सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल जमकर किया। लम्बे समय तक ऐसा करने के बाद उन्हें दिक्कत होने पर केजीएमयू में सीरम क्रिएटिनिन की जांच कराई गयी तो स्थिति खतरनाक अवस्था तक आ गयी थी। हालांकि डॉक्टरों ने दवाओं से किडनी के संक्रमण को नियंत्रित किया, लेकिन कुछ मामलों में नौबत डायलिसिस तक भी आ गयी। इन युवाओं की लाइफस्टाइल भी इसके लिए अहम जिम्मेदार थी।
पीजीआई की ओपीडी में रोजाना बड़ी संख्या में युवा किडनी के संक्रमण से ग्रसित होकर पहुंच रहे हैं। कुल मरीजों की आधी संख्या युवाओं की है। हर्बल और सुरक्षित बताकर जिन सप्लीमेंट्स के विज्ञापन देखकर युवा इसके फेर में फंसते हैं। वो कुछ समय बाद बॉडी को बनाने की बजाय हमेशा के लिए बीमार बनाने का काम भी अक्सर करते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि किडनी को क्या सूट करेगा, ये सिर्फ डॉक्टर ही बेहतर बता सकते हैं। इसलिए सिर्फ सप्लीमेंट पर ही युवाओं को भरोसा नहीं करना चाहिए।
ओपीडी में आने वाले मरीजों में बड़ी संख्या युवाओं की: प्रो. प्रसाद
एसजीपीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के मुखिया प्रोफेसर नारायण प्रसाद के मुताबिक ओपीडी में आने वाले मरीजों में बड़ी संख्या युवाओं की है। युवा गड़बड़ लाइफस्टाइल के साथ मनचाहे पेन किलर और एंटीबायोटिक दवाएं बिना किसी डॉक्टर की सलाह के खा रहे हैं। जिससे डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की स्थिति भी अक्सर आ जाती है। हर्बल दवाओं का चलन बाजार में बढऩे से भी दिक्कतें हो रही हैं। हर्बल के फेर में किडनी द्वारा उचित फिल्टर न हो पाने वाली दवाएं भी युवा खा रहे हैं। जिसकी उन्हें कोई जानकारी भी नहीं है। जिससे किडनी को काफी नुकसान पहुंचता है।
सोशल मीडिया को अपना डॉक्टर ना समझें: प्रो. विश्वजीत
केजीएमयू में नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर विश्वजीत सिंह के मुताबिक गलत खानपान से लाइफस्टाइल सुधरने की बजाय और बिगड़ती है। युवाओं को इसे समझना होगा। तभी किडनी की समस्याएं अब 20 वर्ष के युवाओं को भी घेर रही हैं। ओपीडी में रोजाना आने वाले करीब तीन सैकड़ा मरीजों में से 20 फीसदी ऐसी समस्याओं से ग्रसित हैं। युवाओं को समझना पड़ेगा, हर्बल के नाम पर बाजार में बिक रही हर चीज फायदेमंद नहीं है। सोशल मीडिया को अपना डॉक्टर न समझें। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाओं का सेवन मर्ज को लाइलाज भी।
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