गांधी का ‘रामराज्य’ पहले से कितना बदल गया?

Ayodhya Ram Mandir News : प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या दुल्हन की तरह सजकर तैयार है. हर तरफ जय-जय श्रीराम के नारे हैं. छोटे बच्चे, बूढ़े-जवान सभी राममय नज़र आ रहे हैं. अब लोगों को इंतज़ार है, तो बस भगवान् राम के दर्शन का. क्योंकि सभी हिन्दुस्तानवासियों के लिए श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा किसी पर्व से कम नहीं है.

 

Mahatma Gandhi Ka RamRajya
Mahatma Gandhi Ka RamRajya

 

लेकिन क्या आपको पता है कि ‘राम’ महज़ एक शब्द नहीं, इमोशन है. जिसे हर आस्थावान अपने दिल में संजोंकर रखना चाहता है. क्योंकि ये आस्था का विषय है. तो अब जब बात राम की चली है, तो क्यों न गांधी के ‘राम’ को भी समझने की कोशिश की जाए.

वैसे तो गांधी के राम ‘रघुपति राघव राजा राम’ हैं, जो रामराज्य की अवधारणा को दर्शाते हैं. महात्मा गांधी के रामराज्य का मतलब सिर्फ और सिर्फ हिन्दुओं से नहीं था. क्योंकि इस भजन में आगे की पंक्तियां हैं, ‘ईश्वर अल्लाह तेरो नाम’.

मतलब साफ़ है कि गांधी के राम सौम्य हैं, उदार हैं, करुणानिधान है, नैतिक बल के स्रोत हैं, अभय की अमोघ शक्ति हैं और राजतंत्र में भी लोकतांत्रिक व्यवस्था को स्थापित करने वाले हैं.

महात्मा गांधी खुद के लिए राम को अमोघ शक्ति का स्रोत मानते थे, जिसका जिक्र उन्होंने अपनी आत्मकथा में भी किया है. गांधी खुद को सनातनी हिंदू तो कहते थे, लेकिन उनका हिंदुत्व वर्ण व्यवस्था और धार्मिक अनुष्ठानों की कैद से आजाद था.

बता दें भोपाल की एक जनसभा में गांधीजी ने रामराज्य की पूरी व्याख्या करते हुए कहा था कि मुसलमान भाई इसे अन्यथा न लें, रामराज्य का मतलब है. ईश्वर का राज्य. मेरे लिए राम और रहीम में कोई अंतर नहीं है. महात्मा गांधी ने समझाया था कि रामराज्य वास्तव में आदर्श प्रजातंत्र का सर्वोत्तम उदाहरण है.

महात्मा गांधी जी ने अपनी एक किताब में लिखा था कि रामराज्य से मेरा अर्थ हिंदू राज्य नहीं है. मेरा मतलब है, ईश्वरीय राज, भगवान का राज्य. चाहे मेरी कल्पना के राम कभी इस धरती पर रहे हों या नहीं, रामराज्य का प्राचीन आदर्श यकीन ऐसे सच्चे लोकतंत्र का है, जहां सबसे कमजोर नागरिक भी बिना किसी लंबी और महंगी प्रक्रिया के जल्द-से-जल्द न्याय मिलने के प्रति आश्वस्त हो. मेरे सपनों का रामराज्य राजा और रंक को बराबरी का अधिकार देगा.

अंतिम शब्द ‘हे राम’

महात्मा गांधी को जब गोली लगी. तब उनके अंतिम शब्द थे ‘हे राम!’. ‘हे राम’ कहते हुए गांधी जी गिर पड़े थे. ये शब्द उनके पास चल रही उनकी पोती आभा ने सुने थे.

 

Mahatma Gandhi Ka RamRajya
Mahatma Gandhi Ka RamRajya

 

हिन्दू धर्म के ऐसी मान्यता है कि व्यक्ति के जीवन के अंतिम क्षणों में निकला वाक्य उसके जीवन का निचोड़ होता है. गांधी के विचारों का निचोड़ ‘राम’ थे. यहां तक की

अपनी मृत्यु से एक दिन पहले भी गांधी ने अपनी पोती मनु से कहा था कि यदि वह किसी लंबी बीमारी की वजह से शैय्या पर दम तोड़ें तो मान लिया जाए कि वह महात्मा नहीं थे.

अगर कोई बम विस्फोट हो या प्रार्थना सभा में जाते हुए कोई उन्हें गोली मारे और गिरते हुए उनके मुंह पर राम का नाम हो और मारने वाले के प्रति कोई कटुता न हो तब उन्हें भगवान का दास माना जाए.

…तो क्या मान लिया जाए कि सत्ताधारी पार्टी के ‘राम’ में महात्मा गांधी के ‘राम’ की झलक दिखती है. या नहीं? खैर, ये चर्चा का विषय है.

हाँ… इस खबर से आप इस बात का अंदाज़ा ज़रूर लगा सकते हैं कि आखिर महात्मा गाँधी के ‘राम’ और ‘रामराज्य’ की परिभाषा क्या थी. क्या इस परिभाषा को मौजूदा राजनीतिक परिवेश में व्यापक माना जाए. या फिर तथाकथित चर्चाओं में शामिल कर इसकी मूल भावना के साथ खिलवाड़ करते रहा जाए.

क्योंकि मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम कुछ ऐसे ही हैं. जिनमें हर दल के अपने ‘राम’ हैं. पार्टी सरीखे ‘राम’ हैं.

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