नजरअंदाज: CM Office लगातार भेज रहा रिमाइंडर, अफसर नहीं ले रहे सुध

उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के लेखाकार को अनिवार्य सेवानिवृत्ति से बचाने में जुटे अफसर

संदेशवाहक डिजिटल डेस्क/मनीष श्रीवास्तव। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी (CM Yogi) की नीति जीरो टॉलरेंस की है। इसके बावजूद प्रदेश में सबसे ताकतवर मुख्यमंत्री कार्यालय को किसी लेखाकार की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मामले के लिए सात बार अनुस्मारक पत्र (रिमाइंडर) भेजने पड़े तो वाकई इसे हैरतअंगेज ही कहा जाएगा। ‘सैयां भए कोतवाल तो डर काहे’ का जैसी चर्चित कहावत फिलहाल उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद (Uttar Pradesh Housing and Development Board) पर चरितार्थ हो रही है।

मुख्यमंत्री कार्यालय (CM Office) के अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल ने दो मार्च को आवास विभाग को भेजे पत्र में कहा है कि कनिष्ठ लेखाधिकारी (उप्र आवास एवं विकास परिषद) प्रदीप कुमार की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रकरण किस स्तर पर लंबित है। मुख्यमंत्री ने विलंबतम एक पक्ष (15 दिन) में इसकी आख्या मांगी थी। अभी तक कार्यवाही की स्थिति मुख्यमंत्री कार्यालय में अप्राप्त है। मुख्यमंत्री को तत्काल कार्यवाही की स्थिति से अवगत कराएं।

दरअसल, चिकित्सा-शिक्षा राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने खुद मुख्यमंत्री योगी से मिलकर परिषद के लेखाकार प्रदीप कुमार पांडेय को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने का मामला उठाया था।

चिकित्सा, शिक्षा राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह (यूपी)

CM Office की सख्ती के कारण अफसरों के मंसूबे फेल

प्रदीप को परिषद के वित्त नियंत्रक धर्मेंद्र वर्मा ने तीन वर्ष वर्ष पहले अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की सिफारिश आवास आयुक्त से की थी। बाद में इस मामले को दफन करा दिया गया। परिषद के कई अफसर लेखाकार को बचाने में शिद्द्त से जुटे हैं। उन्होंने कई बार शासन को मनमाफिक रिपोर्ट (Custom Report) भेजकर मामले को खत्म कराना चाहा। लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय की सख्ती के कारण अफसरों के मंसूबे फेल होते नजर आ रहे हैं। शासन के एक बड़े अफसर ने बताया कि इस मामले को दिखवाया जा रहा है। हाल ही में एक बैठक भी हुई है। जल्द रिपोर्ट भेजी जायेगी।

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चार अगस्त 2022 को Sandesh Wahak ने किया था खुलासा

संदेश वाहक ने सबसे पहले चार अगस्त 2022 के अंक में ‘मुख्यमंत्री की भी नहीं सुनते अफसर’ शीर्षक से खबर प्रकाशित करके इस मामले का खुलासा किया था। इसके बाद शासन ने परिषद की लीपापोती भरी रिपोर्ट पर कई सवाल उठाये। तत्कालीन उपसचिव ने कई बिंदुओं पर आख्या मांगी। परिषद के अफसर इस मामले में लगातार गुमराह कर रहे हैं।

कब-कब मुख्यमंत्री कार्यालय ने भेजे रिमाइंडर

सबसे पहले एक जुलाई 2022 को अपर मुख्य सचिव (मुख्यमंत्री) एसपी गोयल ने आवास विभाग को पत्र भेजकर मामले में कार्यवाही की स्थिति बताने को कहा था।

इसके बाद 2022 में एक अगस्त, दो सितंबर, तीन अक्टूबर, एक नवंबर, एक दिसंबर व 2023 में तीन जनवरी व 2 फरवरी तक सात अनुस्मारक (रिमाइंडर) पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय भेज चुका है।

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